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मधु प्रेम – एक ऐसा प्रेम जिसने अपनों को दुःख दिया!

जो हो रहा था, इसकी वजह से मैं डिप्रेशन में आ गयी, समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ, पर जब बेटी को सामने देखा तो तुरंत खुद को कहा, 'अपनी बेटी के बारे में सोच ज़रा...'  

जो हो रहा था, इसकी वजह से मैं डिप्रेशन में आ गयी, समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ, पर जब बेटी को सामने देखा तो तुरंत खुद को कहा, ‘अपनी बेटी के बारे में सोच ज़रा…’  

 नोट : ये स्टोरी एक सत्य घटना है, किसी का बहुत कीमती पल उनकी ज़िंदगी का एक भाग था। मैंने यहाँ इसलिये शेयर किया है कि शायद किसी को इससे मदद या प्रेरणा मिले। इसमें सेंसिटिव कंटेंट है। 

“बेटा, पापा के मोबाइल पर गेम खेलना बंद करो और जल्दी से तैयार हो जाओ, स्कूल रिजल्ट लेने जाना है।” 

“मम्मी ये देखो पापा को उस लड़की ने ‘गुड मॉर्निंग डार्लिंग’ का मैसेज भेजा है।”  

“बेटा ऐसे मैसेज देखना गलत है।”  

“मम्मी ये लड़की वही है, जब आप जयपुर गये थे तब पापा को मिलने आती थी, पापा मुझे आजी के घर छोड़ के उसको लेने जाते थे और मेरे को रात में बहुत ही लेट लेने आते थे। पूरी रात पापा फ़ोन पर बातें करते रहते थे। मैंने नींद से उठ के देखा था। पापा ने मेरी फोटो भी उसको भेजी थी।”  

“अच्छा ठीक हे बेटा, आप जाओ स्कूल के लिए तैयार हो जाओ।”  

मैं नहीं थी, तब आयी थी? कौन होगी? उन्होंने तो कुछ बताया नहीं मुझे हम्म्म! फ़ोन चेक करू या नहीं? क्या करू, देख ही लेती हूँ, शायद फिर कभी देखने को मिले या नहीं। मैंने फ़ोन हाथ में लिया और मैसेज स्क्रॉल किया। ओह माय गॉड! तो बात यहाँ तक पहुँच गयी है।”

जब नींद से उठा तो, वो उठ के किचन में आया, फ्रिज  खोला और पानी लिया। तब मैंने उसे पूछा, “जब मैं नहीं थी, तब कोई घर पर आया था क्या?”

उसने कहा,नहीं तो!” 

अच्छा! पर बेटी तो बोल रही थी कि कोई लड़की आयी थी घर पर?” 

अच्छा अच्छा लड़की! हाँ एक बार आयी थी। उसको सिंगिंग सीखनी है तो आयी थी। तुम नहीं थीं। तो मैंने उसे कहा, तुम आओगी उसके बाद आना। आयेगी वो, ये शनिवार को प्लान किया है।”   

“अच्छा, तो मुझे भी उसका कांटेक्ट नंबर देके रख।” बस इतना बोलते ही वो थोड़ा हिचकचाने लगा, “क्यों? क्यों चाहिए नंबर?” 

मैंने कहा,ऐसे ही बोला।” उसके हाव-भाव से साफ पता चल रहा था कि कुछ गड़बड़ है।”  

जैसे ही वो बाथरूम में गया, मैंने उसके फ़ोन से उन दोनों की पूरी व्हट्सप चैट खुद को ईमेल कर दी।  

वो तैयार हुआ, नाश्ता किया, ऑफिस जाने को निकल ही रहा था, तब मैंने उसको कहा, “शाम को जल्दी आना, कुछ बात करनी है। तब तक उसे पता नहीं था कि मुझे सब पता चल चुका है।”

“क्या बात करनी हैमुझे लेट होगा आने में।” 

“अच्छा क्यों लेट होगा?” 

ऑफिस तो 5 बजे छूट जाता है, फिर कहा जाना है? गर्ल फ्रेंड को मिलने?” 

बस इतना बोलते ही, एयरकंडीशनर रूम में भी खड़े-खड़े उसको पसीने छूट गये और वह तुरंत घर से बाहर निकल गया।  

इसका मतलब ये कि गर्ल फ्रेंड हैं।  

पूरी चैट पढ़े बिना मैं उस लड़की को मिलने चली गई। मेरे पास उस लड़की का नंबर तो था ही इसलिए मैं डायरेक्ट उसके वहाँ गयी। मैं ये सब बात नहीं करूँ इसीलिए जाते ही उसने मुझे और बातों में उलझाने की कोशिश की। मैंने सीधे ही उसको पूछा,ये सब क्या है?” 

 उसने मुझे झूठ बोला,मैं  सिर्फ एक ही बार आयी हूँ और ऐसा कुछ नहीं है जो आप सोच रहे हो।

 मैंने उसे कहा,पर ये सब क्या है? गुड मॉर्निंग डार्लिंग एंड स्वीटहार्ट और इतनी सारी कविता तेरे पर लिखी हैं,  वो क्या हैं? क्या तुम्हें पता नहीं है कि उसको वाइफ और एक बेटी है? फिर भी ये सब? शर्म नहीं आती तुम्हें? अगर दुबारा उससे मिलने की कोशिश की तो….अच्छा नहीं होगा।

शाम को घर आने से पहले वो उसके काका को मिलने गया। वहाँ जाकर वह खुद को शरीफ़ और मेरे बारे में गलत बातें उनके कानों में डाल के आया। उनको यहाँ तक कहा कि मेरी बीवी बेटी के सामने गालियां बोलती है और मुझे मारती है। वह ऐसी गलत बातें करके सहानुभूति ले रहा था।  

जब उसके काका ने मुझे ये सब बतायीं तो मुझे बहुत हर्ट हुआ कि कितना गिरा हुआ इंसान है ये। एक तो खुद ही ने गलती की है और अब उसे छुपाने के लिए झूठ पर झूठ बोले जा रहा है। लोगों को क्या पता कितना साइको आदमी है ये। जो रात-दिन एक बात के लिये पूरे दस साल बर्बाद कर दिये, वर्ना जिनको अपने बीवी बच्चों की पड़ी होती है उनके घरों में ऐसी बातों को एन्ट्री नहीं होती और यहाँ तो दस साल से इस आदमी ने शारीरिक त्रास से परेशान कर के रखा है।  

जैसे ही वो घर आया और आते ही बोलने लगा, “हाथ भी मत लगाना।”  

“वाह! क्या बात है, क्या प्यार है, कहना पड़ेगा! इतना प्यार तो कभी तूने मुझे भी नहीं किया। तेरे भाई-भाभी, तेरी माँ,  सबने बहुत परेशान किया मुझे। तब कहाँ था तू? उनको ये बोलने के लिये कि मेरी पत्नी को कोई कुछ मत बोलना, वो निर्दोश है? और यहाँ देखो माशूका को बचाया जा रहा है? वाह! और लव बर्ड्स ने एक दूसरे को आज की सब बात बताई हैना? वाह क्या ग़हरा प्यार है! ‘मेरा पूरा जहाज़ तुम्हारे प्यार में डूब चूका है’, यही कहा था ना तुमने चैट में?” 

खाना किचन में पड़ा था, फिर भी वो पोली भाजी वाली के पास से खाना लेकर आया। खाना खाते वक्त भी मेरे सामने खुन्नस से देख रहा था। मुझे बोला, “मेरे सामने से चली जा! मुझे शांति से खाना खाने दे।” 

खा लो और मेरे सामने आकर बैठ। मुझे तुमसे बात करनी है।”  

जब वो मेरे सामने बैठा तो मैंने कहा,अब बताओ क्या बात है? ये सब क्या चल रहा है?”

उसने कहा तू सोच रही है, ऐसा कुछ नहीं है।”  

मैंने कहा,मैंने तेरी पूरी व्हाट्सएप्प चैट पढ़ ली हैं, गुड मॉर्निंग से लेकर गुड नाईट स्वीटहार्ट तक। और तेरा जहाज़ कितना डूब गया है प्यार में, वहां से लेकर सेक्स टॉक और बर्थडे को मूवी, कैंडल लाइट डिनर, फिर कपल डांस और फिर सेक्स, उसके ऊपर लिखी कविताएं और उसको बीवी बनाने के तेरे सपने, सब पढ़ चुकी हूँ। और तुम और वो बोल रहे हो कि एक बार ही घर पर आयी है? पूरी लव स्टोरी तुम्हारी पढ़ी मैंने। वो एक बार नहीं, कई बार आयी है यहाँ और तुम दोनों मर्यादा की हद पार कर चुके हो। और फिर भी तुम बोल रहे हो कि कुछ नहीं है?  शर्म नहीं आती तुम्हें ऐसे झुठ बोलते हुए?” 

मैंने तेरी गर्लफ्रेंड को पिटाई की धमकी दी, तब जाकर उसने बोला कि हाँ उसने गलती की है, 40% उसकी भी गलती है और तुम झुठ पर झुठ बोले जा रहे हो? क्या है ये सब?”

गिल्टी फील करने के बजाय ये आदमी मुझे कहता है, “मैं और मेरी फ़ैमिली तुझसे परेशान हो चुके हैं। तू बता अब क्या करें।” 

“क्या मतलब हैं इसका? क्या करें मीन्स? 10 साल से तेरे और तेरी फ़ैमिली से मेन्टली टॉर्चर मैं सहन कर रही हूँ।  शारीरिक टॉर्चर तू देता है वो अलग, और तू बोल रहा है तुम लोग परेशान हो मुझसे? शर्म नहीं आती? ये सब बोलते हुए?” गलत या सही, नहीं पता, पर मेरा हाथ उठ गया उस पर। 

उसने मुझे कहा,निकल जा अब तेरी यहाँ कोईरुरत नहीं है।”  और खुद का बचाव करने के लिए वो बाजु वाले आंटी को बुला कर लाया, “बचाओ! मेरी बीवी मुझे मार रही है।”

 आंटी को मैंने सारी हकीकत बताई, तो आंटी ने कहा, “आपने तो सिर्फ मारा है। मैं होती तो पता नहीं क्या करती।”

 ये सुनते ही वो चुपचाप जाकर सोफे पर बेठ गया। आज मार पड़ने पर भी माँ-बाप को फ़ोन नहीं किया, वर्ना तो छोटी सी बात पर झगड़ा होते ही बाप को फ़ोन करके बुला लेता है। एक बार दिवाली के दो-तीन दिन पहले उसने मुझे मारा था, क्योकि उस दिन मैं उसके साथ सोयी नहीं। जब वो जबरदस्ती करने गया तो मैंने उसको रोका तो उसने मुझे  इतना मारा की मुझे मार के निशान लग चुके थे। तब भी उसने उसके बाप को कॉल करके बुलाया और कहा कि इसने मुझे मारा इसीलिए मैंने मेरे बचाव में इसको मारा। मेरी मम्मी को भी फ़ोन करके यही झुठा मेसेज उसने दिया। ऐसे ही कई बार उसने मुझे लोगों के सामने झुठा साबित किया।  

मैंने उसके माँ-बाप को बुलाया। उसकी माँ के आते ही उसने माँ का माइंड डाइवर्ट करने को कहा, “आई तुझे आज यहाँ क्यों बुलाया है? खुद के मतलब के लिए?” 

 और जब मैंने उनको बताया, “आपके बेटे को उससे आधी उम्र की एक लड़की से प्यार हो गया है। कल मैंने समझाने की कोशिश की, पर आपका बेटा बोल रहा हैं कि आप सब मुझसे परेशान हो गये हो?” 

उसकी माँ ने अपने बेटे को डांटने की बजाय मुझे कहा, “तुम्हें  तो एक बेटी है सिर्फ, बेटा तुम पैदा कर नहीं सकती, तो तू मेरे बेटे को कुछ मत बोल, उसको जो करना है, तू उसे करने दे।” ये एक पढ़ी-लिखी औरत है, जो रोज दिन में तीन बार मंदिर जाकर पूजा-पाठ करती है और अपने बेटे को कुछ बोलने की बजाय मुझे सुना रही थी। कितने निर्लज बेशर्म लोग थे ये! बाप ने सिर्फ इतना कहा उसे, “बेटा तुमने ये ठीक नहीं किया” और बाप अपनी बीवी के डर से चुप था, और माँ हैं वो खुद के बेटे को भड़का रही हैं, उसको अपनी ही बीवी के खिलाफ। 

बात बहुत आगे बढ़ गयी थी। मेरे भाई, मेरी बहन आये, उसकी बड़ी मासीमासा आये और उसके माँबाप, सबको मैंने बोला ऐसी बात हुयी है। आज भी उसकी माँ और बड़ी मासी ने ‘उसने ऐसा क्यों किया?’ उसको डांटने की बजाय, मुझे डांट रह रहे थे कि, तू अच्छी नहीं है। मासी बोल रही थी, मेरे बेटे की शादी का न्योता देने आयी थी, तब तू क्यों पानी लेकर नहीं आयी?” और ऐसी छोटी बातों को लेकर मुझे बहुत बुरा बोल रहे थे।  

 मैंने कहा, “मैंने अभी इन सब बातों की चर्चा करने आपको नहीं बुलाया। आपके बेटे ने जो लफड़ा किया है, उसपर बात कीजिये। आप के लाडले बेटे को बोलो कि उसने मेरे होते हुए जो किया है, वो जुर्म है।” पर बेटे का पक्ष लेते हुये वो लोग मुझे ही कोस रहे थे।  

मेरे भाई ने कहा, “हमने सब कुछ सुना और देखा, तू हमारे साथ घर चल, जहां तुम्हें कोई इज़्ज़त ही ना दे, ऐसे लोगों के साथ रहने की कोई जरुरत नहीं है।”  

मैंने कहा नहीं, “मैं नहीं रही हूँ।” और भाईबहन दोनों लोग चले गये। अभी भी मैं यही सोच रही थी कि मेरा घर ना टूटे, मेरी बेटी को हम दोनों का प्यार मिले, शायद इनको भी ज़रा सा ख्याल आये कि उन्होंने गलत किया है।   

उसके बाद मैंने उससे बहुत बार बात करने की कोशिश की, पर वो मेरे साथ बात करने की बजाय सिंगिंग क्लास चला जाता, या फिर फ़ोन में घुसा रहता, जैसे गलती उसकी नहीं पर मेरी हो। ऐसे वर्ताव करके घर में माहौल खौफनाक करके रखा था। गुस्से में बोलता, अगर अच्छा नहीं लगता तो, ‘जा ना किसने रोका है? तेरी हिम्मत ही नहीं है घर छोड़ने की समझी’ जैसी बातें बोलता। 

 ये सब जो हो रहा था इसकी वजह से मैं बहुत डिप्रेशन में गयी थी। समझ नहीं रहा था क्या करूँ। एक बार तो सूसाइड करने का विचार भी आया। पर जब बेटी को सामने देखा तो तुरंत खुद को कहा, नो-नो ऐसा कभी मत सोचना, बेटी के बारे में सोच ज़रा, तेरे जाने के बाद बेटी का क्या होगा कभी सोचा है? जो लोग तेरी परवाह नहीं करते वो तेरी बेटी की क्या करेंगे? इनको बेटी नहीं पर बेटा चाहिए। अगर इनको यही सब करना था तो मुझसे शादी ही क्यों की? मेरी हालत बहुत ख़राब हो रही थी। मैंने सोचा कुछ दिन के लिए मायके चली जाती हूँ, नहीं तो सच में, मैं कुछ गलत कर बैठती।  

फ्लाइट बुक की और मैं और बेटी मायके जाने को निकले। एयरपोर्ट भाई लेने आया था। घर जाने की बजाय वो बहन के वहाँ लेकर गया। मैं समझ गयी मम्मी ने मना कर दिया घर आने को। इसका मतलब मम्मी को उसने मेरे बारे में भड़काया होगा। गलत बात बताई होगी। कुछ दिन फिर भी मैं बहन के वहाँ रुकी और वहाँ मेरा मन नहीं लगा। मैं और बेटी वापस आ गए। हमें देख के उसे कोई ख़ुशी नहीं हुई। ऊपर से मुँह फुलाए बैठा था। मैंने जाकर बैग रखा। वार्डरोब खोला तो पता चला कंडोम के पैक में से कुछ पैक कम हुए हैं। मतलब अभी भी सब चालू है। उसे हमारे जाने से कोई फरक नहीं पड़ा। वह तो मज़े कर रहा था  और मैं इतना होने के बाद भी वापस आ गयी। 

मैं उससे बात करने गयी, तो उसने मेरी बात सुनने की बजाय मुझे गुस्से में बोला,जैसी आयी है वैसी निकल जा, यहाँ तेरी कोईरुरत नहीं है।” 

ये सब सुनके और देख के बेटी रोने लगी। मैंने सोचा मैं ये निर्लज बेशर्म आदमी के लिए वापस आयी, जिसको ना बेटी की पड़ी है, ना मेरी कोई परवाह? मेरी आँखों से अपने आप आंसू की धारा बह रही थी। मैं और डिप्रेशन में  आ जाऊँ या कोई गलत क़दम उठाऊं, उससे पहले मुझे मजबूरन वहाँ  से बेटी को लेकर जाना पड़ा।  

पूरे रास्ते मैं यही सोचती रही कि जिसके लिए दस साल सब कुछ सहन किया, उसने अपने मतलब के लिये खुद की बेटी और मुझे ठुकरा दिया? जा रही हूँ, अब कभी वापस नहीं आऊँगी। बहुत कोशिश की मेरी बेटी का घर बचाने की, पर शायद उसके नसीब में सिर्फ माँ का ही प्यार लिखा होगा।  

इतना आसान नहीं हैं, ये सब करना। वापस आयी। इतना हुआ। फिर भी सिर्फ बेटी के लिए। पर जहां आपकी कितनी भी कोशिश के बाद भी जब किसी को समझ में ना आये कि वो लोग क्या कर रहे हैं तो उनको सुधरना ही नहीं हैं। बैंक में क्लर्क की नौकरी करने वाली मासी को ये नहीं पता कि वो खुद के मतलब के लिए अपने ही बेटे का घर बर्बाद कर रही हैं और ऐसे बेटे को सपोर्ट कर के उसको और गलत काम करने को प्रेरणा दे रही है। ऐसे ही सपोर्ट जब बेटों को मिलते हैं, तब जाकर तो इन जैसों को बलात्कार करने की हिम्मत आती है। शर्म के मारे डूब जाना चाहिए, ऐसी माओं को और ऐसी मासियों को जो ऐसे नालायक बेटों को पालती हैं।  

उनको लगता है, वही सही हैं। तब ऐसे लोगों से दूर हो जाओ, नहीं तो ऐसे लोग सच में आपको झुठा साबित करके आपको मरने पर मजबूर कर देंगे। सो ऐसे वक्त में कभी सूसाइड जैसे गलत क़दम मत उठाना और ऐसे नालायक लोगों के लिए तो बिल्कुल नहीं क्यूंकि आपकी जिंदगी बहुत कीमती है। वो तब पता चलेगा जब ऐसे लोगो से दूर होकर, जब अपने बारे सोचोगे, अपने बच्चों के बारे में सोचोगे।  

मत डरो अगर आपके पास कुछ नहीं है। मुसीबत के समय ऐसे लोग भी साथ छोड़ देते हैं, जो हमेशा आपकी ख़ुशी में शामिल होते थे। कोई बात नहीं, मत डरो अकेले खड़े रहने में। सच बताऊँ तो आप अकेले ही काफी हो खुद की लड़ाई लड़ने को। सबसे बड़ी बात ये है कि आप जिन्दा हो, जिन्दा हो खुद के लिए, अपने बच्चों के लिए। पैसे और घर तो मेहनत करोगे तो  जायेगा, भले कम होगा पर ख़ुशी और शांति तो होगी। 

आप चाहो तो कोर्ट में भरण पोषण का केस कर सकते हो। अगर आपके साथ भी ऐसा सब हो रहा है, तो महरबानी कर के ये सब के सबूत हो सकें तो जरूर इक्कठे कीजिये, कोर्ट या पुलिस केस में काम आयेंगे। वर्ना ऐसे लोग आपको कोर्ट में भी झुठा साबित करेंगे।

ये स्टोरी एक सत्य घटना है, किसी का बहुत कीमती पल उनकी ज़िंदगी का एक भाग था। मैंने यहाँ इसलिये शेयर किया है कि शायद किसी को इससे मदद या प्रेरणा मिले।शायद किसी के साथ ऐसा हो रहा हो तो उसे समझा  सके कि जिंदगी यहाँ ख़त्म नहीं होती। अगर जीना चाहो तो ज़िंदगी बहुत बड़ी है। सही ज़िंदगी जीने की शुरुआत तो अब है, जब आप आपकी ज़िंदगी दूसरों के लिये नहीं, खुद के लिए जीयेंगे। वो भी स्वाभिमान से। 

मूल चित्र : Pexels/YouTube 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

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