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धरती को माता कहते हो और मुझको गाली देते हो? ये तुम्हारा ही अपमान है, क्यूंकि मैं केवल औरत नहीं, मैं एक जननी हूँ, और वही सबसे ऊँचा सम्मान है।
धरती को माता कहते हो और मुझको गाली देते हो? ये तुम्हारा ही अपमान है, क्यूंकि मैं केवल औरत नहीं, मैं एक जननी हूँ, और ये एक ऊँचा सम्मान है।
औरत हूँ! अबला नहीं सृष्टि की जननी हूँ मैं, प्राकृतिक का उपहार हूँ मैं।
अविरल हूँ पर्वत की भाँति लहराती वायु हूँ मैं।
फूल कहो या कहो सितारे आसमान का राग हूँ।
रूढ़िवादी दुनिया की ख़ातिर जोश भरी चट्टान हूँ।
रातों के लिए एक उजाला हूँ और दिन के लिए आवाज़ हूँ।
धरती को माता कहते हो और मुझको गाली देते हो? ये तुम्हारा ही अपमान है।
क्यूंकि मैं केवल औरत नहीं मैं एक जननी भी, और ये कमज़ोरी का निशान नहीं!
मूल चित्र : Canva
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