कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

रेडियो जॉकी कैसे बनें, जानिए अवार्ड विनिंग आर जे आकांशा सक्सेना से

रेडियो जॉकी आकांशा सक्सेना को रेडियो से जुड़े हुए 15 साल हो गये हैं और लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए इन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

रेडियो जॉकी आकांशा सक्सेना को रेडियो से जुड़े हुए 15 साल हो गये हैं और लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए इन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

शुरुवात इन्होंने अपने ऑडिशन में प्रीति ज़िंटा के डायलॉग ‘सलाम नमस्ते’ से करी और आज इनको रेडियो से जुड़े हुए 15 साल हो गये हैं।  इनके रेडियो में लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए इन्हें लाडली अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

आज भी बहुत सी लड़कियों के सपने पूरे नहीं हो पाते, उन्हें उनके मर्ज़ी के प्रोफेशन में नहीं जाने दिया जाता और जब बात हो किसी ऐसे प्रोफेशन की जिसमें उन्हें फील्ड में जाना हो तो ये और भी मुश्किल हो जाता है। इन्हीं में से एक है मीडिया, जिसे देश का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। इसे लेकर आज भी समाज में बहुत गलतफहमियां फैली हुई हैं। लेकिन अब वक़्त आ चुका है कि इन्हें दूर करा जाये और हर महिला को उसके सपने पूरे करने की आज़ादी मिल सके।

इसी सिलसिले में नेशनल अवार्ड विनिंग रेडियो जॉकी आकांक्षा सक्सेना जी बात हुई। ये पिछले 15 वर्षों से मीडिया से जुड़ी हुई हैं। आइये जानते हैं इनसे हुए टेलीफोनिक इंटरव्यू के कुछ अंश जिसमें इन्होनें रेडियो से सम्बन्धित बहुत सी जानकारियां हमारे साथ साझा करीं :

आपका रेडियो जॉकी का सफ़र कहां से शुरू हुआ?

मैं अप्लाई करने तो मार्केटिंग टीम के लिए गयी थीलेकिन वहां मुझे बतौर रेडियो जॉकी ले लिया गयामुझे इसके बारे में कोई आइडिया नहीं था। मुझे बस एक लाइन याद आ रही थी प्रीति ज़िंटा की – ‘सलाम नमस्ते।’ और उसी को फ्रेम करके मैंने अपना पहला ऑडिशन दिया था। तो बस यहीं से मेरा और रेडियो का सफर शुरू हुआ और मैंने सोचा नहीं था कि ये यहां तक पहुंच जायेगा। 

आप काफी लम्बे समय से रेडियो जॉकी हैं, तो क्या कभी आपको ऐसा लगा कि यहां लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज़्यादा चांस मिलता है?

नहीं मेरा अनुभव यही कहता है की मीडिया और परफार्मिंग आर्ट्स ( आप थिएटर भी करती हैं ) दो ऐसे फील्ड हैं, जहां आपके टैलेंट (हुनर) और हार्ड वर्क (कड़ी मेहनत) के बेसिस पर आपको आंका जाता है न कि जेंडर (लिंग) के बेसिस परअगर रेडियो की बात करें तो इसमें फीमेल वॉइस को भी उतनी ही दवज्जो दी जाती है जितनी मेल वॉइस को।

टियर-2 और टियर-3 सिटी की अगर हम बात करें तो क्या वहाँ लड़कियाँ रेडियो जॉकी का करियर चुनती हैं?

बिलकुल चुनती हैं। अगर हम देखें तो एक रेडियो स्टेशन में अगर 2 पुरुष होंगे तो 2 महिलायें भी होंगी। यह एक अच्छा करियर ऑप्शन है, उन सभी लड़कियों के लिए जो मीडिया से जुड़ी रहना चाहती हैं लेकिन हार्डकोर मीडिया में नहीं जाना चाहतीं

करियर की बात करें तो रेडियो जॉकी बनने के लिए क्या योग्यताएं चाहिए होती हैं?

आप ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करें। चाहें तो जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन (पत्रकारिता एवं जनसंचार) का कोर्स भी कर सकती हैं या आजकल बहुत से कॉलेज में इसके डिप्लोमा कोर्स होते हैं। वो भी कर सकते हैं।  लेकिन पढ़ाई इसमें सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।

पर्सनल लेवल पर हम कैसे इसमें आगे बढ़ सकते हैं?

 आप एक अच्छे रेडियो जॉकी तब ही बन सकते है जब आप अच्छा पढ़ते हों। एक रीडिंग हैबिट यानि पढ़ने की आदत होनी बहुत ज़रूरी है। एक अच्छा रेडियो जॉकी हमेशा सेंसिबल बात बोलता है और साथ ही आपकी भाषा पर पकड़ होना बहुत ज़रूरी है। आप इंग्लिश, हिंदी और साथ ही रीजनल लैंग्वेज पर भी ध्यान देंआप अख़बार पढ़ें, न्यूज़ चैनल देखें, जनरल नॉलेज आपकी अच्छी होनी चाहिए। बेसिकली खबर और शब्दों पर आपकी पकड़ अच्छी होनी चाहिए।

रेडियो जॉकी की जॉब के लिए कैसे अप्लाई कर सकते हैं

जब 2006 में, मैं इस फील्ड में आयी थी तब प्राइवेट एफ एम चैनल शुरू ही हुए थे, तो हर शहर में इसके ओपन ऑडिशन्स हो रहे थे, तो कह सकते हैं कि उस टाइम थोड़ा आसान था लेकिन अब ऐसा नहीं है। अगर आप के अंदर टैलेंट है, तो ही आपको लिया जायेगा। और आजकल तो सोशल मीडिया की वजह से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि किस चैनल की क्या ज़रूरतें हैंऔर मीडिया में जाने के लिए कॉन्टेक्ट्स होना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि इसमें एक्सपीरियंस बहुत मायने रखता है। तो जो लोग इसमें पहले से काम कर रहे हैं, ज़्यादातर उन्हीं को चांस मिलता है। लेकिन अगर आप में टैलेंट है तो आपको कोई नहीं रोक सकता

एक रेडियो जॉकी एवरेज सैलरी कितनी होती है?

शुरुवात में 15000 – 20000 रुपये तक आप कमा सकती हैं। और ये ब्रांड और शहर के हिसाब से भी अलग अलग होती है। अगर आप एक अच्छे ब्रांड और मेट्रो सिटीज़ में है तो सैलरी उसके हिसाब से होगी।  और जैसे जैसे एक्सपीरियंस बढ़ेगा, सैलरी भी बढ़ जाती है। 

रेडियो में हम और किस-किस फील्ड में अप्लाई कर सकते हैं।

इसमें सेल्स और मार्केटिंग का बहुत बड़ा रोल होता है, तो वो भी एक अच्छा करियर ऑप्शन है। साथ ही प्रोग्राम हेड और एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम हेड, म्यूजिक टीम, टेक्निशंस की भी इसमें पोस्ट होती है। और इनफैक्ट रेडियो जॉकी से ज्यादा अच्छा पैसा इनमे होता है।      

रेडियो जॉकी के बारे में बहुत सारे मिसकन्सेप्शन लोगों में फैले हुए हैं, तो आप उसके बारे में कुछ कमेंट करना चाहेंगी?

 रेडियो जॉकी के बारे में कहा जाता है कि वो कुछ भी बोलते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, एक अच्छा रेडियो जॉकी अपने 4 घंटे के प्रोग्राम के लिए कम से कम 2 घंटे प्री प्रोडक्शन को देते हैं। 

दूसरी बात कहा जाता है कि ‘ऐंकर्स का क्या है, ये तो 4 घंटे आते हैं और साथ में दूसरी जॉब भी करते हैं‘, तो मैं उन सभी को बताना चाहूँगी की ऐसा बिलकुल नहीं है। हम भी फुल टाइम जॉब करते हैं। 4 घंटे अगर हम ऑन एयर आते है तो उसके पीछे घंटो की तैयारी, मीटिंग्स में भी समय लगता है। 

साथ ही लोगों को लगता है कि रेडियो में तो बस विज्ञापन ही आते हैं। तो आप को बता दूं कि हमारे पास रेवन्यू जेनेरेट करना का इकलौता माध्यम सिर्फ यही होता है। लेकिन फिर भी हम कोशिश करते हैं कि कम से कम विज्ञापन चलाएं और जो हैं उन्हें एंटरटेनिंग फॉर्म में चलाएं।      

अगर म्युज़िक की बात करें तो उसके पीछे भी एक पूरी टीम होती है जिन्हें क्रेडिट मिलना बहुत ज़रूरी है। और कहा जाता है कि मीडिया में पैसा नहीं है। लेकिन मैं बताना चाहूँगी कि रेडियो में अच्छा पैसा मिलता है अगर आप में टैलेंट है तो। 

एक फ़ीमेल रेडियो जॉकी होने के नाते बताएं क्या ये फील्ड औरतों के लिए उपयुक्त है?

अगर कोई भी महिला जो मीडिया से तो जुड़ी रहना चाहती है लेकिन हार्डकोर जर्नलिज्म में नहीं जाना चाहती हैं तो उनके लिए ये बेहतरीन जगह है। और मेरा अनुभव कहता है कि रेडियो महिलाओं के लिए बहुत ही सेफ है। ज़्यदातर कंपनीज़ आपको पब्लिक शोज़ या किसी भी इवेंट के लिए जाने-आने की सुविधा देती है। और इसमें टैलेंट के आधार पर आपको चुना जाता है ना कि जेंडर के आधार पर। तो अगर आपको लगता है कि आप इस काबिल हैं कि लोगों को बांध सकती हैं तो आपको ज़रूर इसे चुनना चाहिए। 

आंकाक्षा महिलाओं के लिए एक उम्दा उदाहरण हैं

कहते है महिलायें अपनी आइडेंटिटी छिपाती हैं लेकिन ये भारत की पहली महिला रेडियो जॉकी हैं जिन्होंने ऑन एयर कहा था कि ये शादी शुदा हैं। इनका शो Mrs. शर्मा’ बहुत ही पॉपुलर शोज़ में से एक रह चुका है। फिलहाल, ये एक सिंगर मदर है। ये कहती हैं कि रेडियो इनका पहला प्यार है और साथ ही ये अपने अन्य शौक भी पूरे करती हैंये बहुत ही ख़ूबसूरत कथक भी करती हैं और एक बेहतरीन थिएटर आर्टिस्ट भी हैं। इन्होनें ज़ी मीडिया एंटरटेनमेंट लिमिटेड के साथ भी काम करा हुआ है। और अभी ये बेंगलुरु के Fever 104 एफएम के साथ जुड़ी हुई हैं। इनके रेडियो में लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए इन्हे नेशनल अवार्ड (राष्ट्रीय पुरुष्कार) से भी सम्मानित किया जा चुका है।

मूल चित्र : RJआकांशा सक्सेना की एल्बम से / Canva

        

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

136 Posts | 565,597 Views
All Categories