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तृष्णा और जूनून कुछ कर दिखाने का

खुद को अडिग कर दो और जीवन में जीने की लालसा पैदा कर के आगे बढ़ने की सोचो। जीवन आपको खुद आपकी मंज़िल तक पहुंचाएगा। 

खुद को अडिग कर दो और जीवन में जीने की लालसा पैदा कर के आगे बढ़ने की सोचो। जीवन आपको खुद आपकी मंज़िल तक पहुंचाएगा। 

कभी कभी व्यक्ति को ,
अपने नाम से भी प्रेम हो जाता है ,

ये वह तृष्णा है , जिसकी अनदेखी चमक ने ,

मेरी आँखे चकाचौंध कर दी ,

और जिसके पीछे , पागलों की तरह रेंगते रहे हम ,

फिर दिल ने कहा , अपने जज्बातों को बहने दो ,

दिल को खोल दो , हर्ज़ ही  क्या है इसमें ,

बादलों से पंख उधार ले और आकाश की सैर  कर ,

जमीन के  जर्रे जर्रे ,
दिल , दीवार , दरख़्तों  को , रोशन होने दे

भूत को भूल जा , वर्तमान जी ले ,
और भविष्य पर निगाह रख ,

कुछ करने का जुनून , तो पैदा कर दिल मैं ,

मगर इतना भी नहीं ,

की खुद ही स्तब्ध हो जा ,

और छीन ले मुस्कराहट अपने ही होंठो से ,

क्षणिक भी निराश न हो ,

तनिक भी हीनता न पनपे मन मैं ,

खुद पर विश्वास रख , और धीरे धीरे चलता चल ,

मगर चल ,

तूँ एक पथिक है ,

और पथिक बस अड़िग  है ,

मंजिल खुद तेरे कदम चूमेगी …

मूल चित्र : Pexels 

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Vibhooti Rajak

Blogger [simlicity innocence in a blog ], M.Sc. [zoology ] B.Ed. [Bangalore Karnataka ] read more...

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