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मुझे लगा तुम वो हो जिसे मैं कब से ढूंढ रही थी, मुझे लगा कि दुनिया में सब एक सरे नहीं, कुछ अलग भी हैंलेकिन कुछ दिनों बाद तुम भी वैसे ही हो गए?
मुझे लगा तुम वो हो जिसे मैं कब से ढूंढ रही थी, मुझे लगा कि दुनिया में सब एक सरे नहीं, कुछ अलग भी हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद तुम भी वैसे ही हो गए?
तुम मुझे क्या छोड़ोगे, तुम तो ख़ुद अपनी क़ैद में हो, तुमसे बू आती है मुझे ज़माने के दकियानूसी पहलुओं की तुम भी औरत को लिबास की तरह देखते हो तुम्हें भी लगता है कि मैं तुमसे कम हूं, कमज़ोर हूं तो तुम मुझे क्या छोड़ोगे, तुम तो ख़ुद अपनी क़ैद में हो…
वो वक्त था जब तुम कहा करते थे कि हम एक हैं, साथ हैं वो वक्त था जब तुम कहते थे कि हम एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं मुझे लगा तुम वो हो जिसे मैं कब से ढूंढ रही थी मुझे लगा कि दुनिया में सब एक सरे नहीं, कुछ अलग भी हैं लेकिन कुछ दिनों बाद तुम भी वैसे ही हो गए वही लोग जिनसे मुझे घिन आती थी, जो कहते थे कि औरत आदमी से कमतर है जो कहते थे औरत का ही काम है, सब काम करना और सबका ख्याल रखना…
कुछ दिन बाद तुम भी मुझसे कहने लगे… ये क्या पहना है, ऐसे मत करो, नौकरी करके क्या करोगी अच्छा खाना बनाना सीख लो, मेरे दोस्त आ रहे हैं कुछ बना दो तुम देर से आते थे तो मेरे सवाल करने पर झल्लाते थे मैं देर से आती थी तो तुम शक की निगाह गड़ाते थे सारी कही तुम्हारी बातें अब फीकी हो गई थी और तुम भी सबके जैसे, वैसे ही हो गए थे…
उस दिन तुमने मुझपर हाथ भी उठा दिया और जो ज़रा सी उम्मीद रह गई थी उसे भी चकनाचूर कर दिया मैं ही ग़लत थी जो अंधेरे में रोशनी ढूंढ रही थी सोचती थी प्यार सब बदलता है, पर ग़लत इंसान ग़लत ही रहता है औरत के वजूद को बस जिस्म मानने वालों में अब तुम्हारा नाम भी शुमार है…
तो अगर अब तुम मुझे यूं कहो कि मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं तो याद रखना कि तुम तो ख़ुद अपनी क़ैद में हो…
मूल चित्र : Pexels
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