कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

पर तुम पुरुष हो ना, तुम स्वीकार थोड़े ना करोगे

तुम मेरी फ़िक्र करो, ना करो, मेरे रहते घर से बेफिक्र हो तुम, जानती हूँ मैं, और मानते हो तुम भी, पर पुरुष हो ना, स्वीकार थोड़े ना करोगे। 

तुम मेरी फ़िक्र करो, ना करो, मेरे रहते घर से बेफिक्र हो तुम, जानती हूँ मैं, और मानते हो तुम भी, पर पुरुष हो ना, स्वीकार थोड़े ना करोगे। 

जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

मैं पुरुष नहीं, बदल जाय जो हालात के संग
मैं नारी हूं, जो बदले खुद को हालात के रंग
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना ,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

मैं राम नहीं, ना ही मैं हूँ कृष्णा,
न रावण के जैसी मुझमें मृगतृष्णा,
खुद को मिटाकर तुम्हें बचाऊं
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी।
पर पुरुष हो ना,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

मैं समय नहीं जो बदल जाए,
पत्थर भी नहीं जो थम जाए,
सागर हूं, गगरी नहीं जो छलक जाए,
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना ,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

भुला सकते हो तुम अपनी खुशी में मुझ को,
हो सकता है याद भी ना आऊँ तुम को,
पर याद करो दुःख का कोई एक पल,
सदा ही साथ खड़ा पाया होगा मुझ को,
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

तुम मेरी फ़िक्र करो, ना करो,
तुम मेरा ज़िक्र करो, ना करो,
मेरे रहते घर से बेफिक्र हो तुम,
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

चाहे युग वैज्ञानिक हो,
या कोई सा भी युग रहा होगा,
याद करो मैंने नहीं,
तुमने ही मुझे छोड़ा होगा,
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

मैं बाहर से कोमल, भीतर से कठोर,
तुम भीतर से कोमल, बाहर से कठोर,
इक दूजे के पूरक, ना अस्तित्व कहीं और,
जानती हूँ मैं, और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,
कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी,
पर पुरुष हो ना,
स्वीकार थोड़े ना करोगे…

मूल चित्र : Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Samidha Naveen Varma

Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...

70 Posts | 149,294 Views
All Categories