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वक़्त का खेल कभी हँसाएगा कभी रुलाएगा, मगर हार नहीं माननी

समय रेत  की तरह फिसल रहा है। हमको हर पल को जी भर के जीना चाहिए। चाहे वह घनेरी धूप  हो या सावन की बरसात। मन को हमेशा प्रफुल्लित रखो,जो अति आवश्यक है।

समय रेत  की तरह फिसल रहा है। हमको हर पल को जी भर के जीना चाहिए। चाहे वह घनेरी धूप  हो या सावन की बरसात। मन को हमेशा प्रफुल्लित रखो,जो अति आवश्यक है।

ये वक़्त का खेल है यारा,

कभी शाम कभी सवेरा।

कुछ हमारे बस में नहीं,

कभी हम खुद के बस में नहीं।

पर बस कर कभी कहीं रुक मत जाना

काले बादलों के अंधेरे से घबरा ना जाना।

इसे सावन का इशारा सोच झूम जाना ,

फिर देख सामने मंजिल नजर आएगी तुझे।

हर पल जिंदगी मुस्कुराके गले लगाएगी तुझे।

मूल चित्र : Pexels

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Rashmi Jain

Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...

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