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जीवन की मुस्कान देखो और आगे की ओर बढ़ते जाओ, खुद को विपरीत स्तिथिओं में व्यर्थ न करो, दृढ़ निश्चय से आगे बढ़ते जाओ।
तिनका, तिनका जोड़कर, करे निर्मित नव नीड़, तार तार बिखरे हों चाहे, जाने किस विधि जोड़कर।
तू भर दे ‘मधुर’ संगीत, फिर भी, जाने क्यों ये संसार, तुझे अबला ही पुकारे, चल रहा जबकि, तेरे ही सहारे।
लग गए तेरी मुस्कुराहटों पर भी, विराम चिन्ह! पौंछ आँसुओं के ढ़र्रे, बह रहे हैं, जो कोरों से तेरे,
तोड़ निर्बल का घरौंदा, हृदय मैं अन्तर्निहित शक्ति की , सुन आर्त पुकार, छोड़ अपना चीखों से भरा विलाप तू, त्रस्त नहीं तारणहार बन, आँसुओं को पीछे छोड़, आगे बढ़ तू , आगे बढ़ तू…..
मूल चित्र : Pexels
Blogger [simlicity innocence in a blog ], M.Sc. [zoology ] B.Ed. [Bangalore Karnataka ] read more...
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