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लॉक डाउन में अब जब सब कुछ थोड़ा नार्मल हो रहा है, तो ये बेहद ज़रूरी है कि अपनी डोमेस्टिक हेल्पर यानि अपनी कामवाली बाई के प्रति अपनी इंसानियत अभी भी बनाए रखें।
अनुवाद : प्रगति अधिकारी
मुबारक हो! आप लॉक डाउन #3 के उस पार पहुँच गए हैं और आपकी अपार्टमेंट एसोसिएशन ने अनाउंस कर दिया है – ‘अब आप अपनी कामवाली बाई को वापस बुला सकते हैं!’ हम सब को इसी अनाउंसमेंट का बेसब्री से इंतज़ार था।
अब क्यूंकि आपकी हेल्पर यानि कामवाली बाई काम पर वापस आना शुरू कर रही हैं, ये कुछ चीज़ें आपको नहीं करनी हैं :
जी हैं! इसका एक वीडियो बेहद वायरल हो रहा है। न सिर्फ ये शारीरिक रूप से अप्रभावी है, यह मनोवैज्ञानिक रूप से हानिकारक है और वास्तव में खतरनाक भी हो सकता है, जिससे साँस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
यदि आप एक बार को ये भूल जाते हैं कि आपकी डोमेस्टिक हेल्पर एक इंसान है (जैसा कि कई बार होता है), और सोचते हैं कि यह करना ही ठीक है, तो पहले इसे खुद पर आज़माएं। क्यों ये ठीक कहा ना? जो दूसरों के साथ कर रहे हैं, उसका मज़ा थोड़ा खुद भी तो लें। अगर आप भी डिसइंफेक्टेड रहेंगे तो आपका ही फायदा है! है न?
ये ना मान के चलें कि डोमेस्टिक हेल्पर आपके घर कोरोना लेकर आएगी। माना कि इस समय किसी बाहर वाले को घर में आने देना रिस्की हो सकता है लेकिन ये मानना कि ये खतरा आपकी बाई के आने से बढ़ जाएगा, गलत है। इस वायरस का अमीर-गरीब से कुछ लेना-देना नहीं।
कुछ रिस्क फैक्टर्स जैसे कि तंग जगहों में सोशल-डिस्टैन्सिंग की कमी और कॉमन टॉयलेट्स का उपयोग, गरीब लोगों पर अधिक लागू हो सकते हैं, लेकिन अन्य, जैसे ट्रेवल-हिस्ट्री या किसी कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के साथ संपर्क इन कई फैक्टर्स से ज़्यादा काम करते हैं। ये मानना कि ‘गरीब गंदे होते हैं’, भारत में जातिगत पूर्वाग्रह या कास्ट प्रेज्यूडिस से जुड़ा हुआ है। आपको इसके बारें में और जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
अगर दोनों के लिए सुविधाजनक हो तो, उसको अपने घर पर ही रहने की जगह दें। लेकिन अगर ऐसा मुमकिन नहीं और आपकी हेल्पर रोज़ बाहर से काम पर आती है, तो उसके साथ भी वैसा ही इज़्ज़तदार व्यवहार रखें जैसा कि आप बाहर से आने वाले किसी भी दूसरे गेस्ट के साथ रखेंगे। इसका मतलब है कि उसको भी सैनिटाइज़र दें, अच्छे से हाथ धोने की सुविधा दें, बाथरूम इस्तेमाल करने की सुविधा दें, ठीक वैसी जैसे कि आप अपने घर में किसी भी दूसरे व्यक्ति को देंगे।
बात-बात पर ये न जताएं कि आपने उसको ‘पेड वेकेशन’ दी। अगर आपने उसको पैसे दिए भी तो ये ना भूलें कि ये समय गरीबों के लिए बेहद मुश्किल था। संभावना है कि उसके परिवार ने इस समय अपनी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया हो और यहां तक कि बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया हो। अगर उसके बच्चे हैं तो उनको ऑनलाइन स्कूलिंग की सुविधा प्राप्त नहीं हुयी होगी। वह भी बीमार पड़ने, तंग जगह में रहने, सामाजिक दूरी बनाए रखने में असमर्थ होने के बारे में चिंतित रही है। बस इतना आश्वासन रखिये कि उसकी पार्टी नहीं चल रही थी।
….’क्यूंकि तुमने फ्री की सैलरी ली!’ आपकी हेल्पर इंसान है, कोई मशीन नहीं। जितनी चिंता इस वक़्त आपको है, उतनी ही चिंता उसको भी है। इस समय काम बढ़ाना कोई समाधान नहीं है। रिलैक्स – अगर आपका घर इस समय चमका नहीं तो आपको कुछ नहीं होगा।
…सिर्फ इसलिए कि आप टेंशन में हैं? हम मानते हैं कि क्यूँकि आपकी हेल्पर बहुत घरों में जाती है तो इस समय रिस्क बढ़ जाता है। ऐसे में आप उसको अपने घर आने से, तब तक के लिए मना कर सकते हैं, जब तक हालात बेहतर ना हो जाएँ। लेकिन उसको दूसरे घर छोड़ने के लिए आप मजबूर नहीं कर सकते!
अपनी डोमेस्टिक हेल्पर को ऐसे काम करने के लिए ना कहें जो आप अपने लिए रिस्की या जोखिम से भरा समझते हैं। आप सोच भी कैसे सकते हैं कि आपके दिए गए चंद रुपये(या जितने भी रुपये) उसकी जान जोखिम में डालने के लिए काफी हैं। अगर कोई काम आपके लिए रिस्की है, तो मान के चलें कि वह काम उसके लिए भी उतना ही रिस्की है।
जी हाँ, हम सब जानते हैं कि ये समय अनिश्चित है और सभी के पास सुरक्षित आय नहीं है या नहीं होगी, लेकिन अनिश्चितता का आपका स्तर जो भी है, आप निश्चित हो सकते हैं कि उसका आपके स्तर से 5 गुना होगा। थोड़ा गहराई से सोचिये, आप पाएंगे कि आप उसका वेतन बिना बोझ के दे सकते हैं।
हालांकि कई शहरों में लॉक डाउन थोड़ा खुल रहा है, लेकिन कई वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है, और अब हमेशा की तरह भीड़-भाड़ वाली दुकानों से खरीदारी करना आसान नहीं। संभव है कि वह ऑनलाइन शॉपिंग नहीं कर सकती। आप उसके लिए जितना भी कर सकते हैं करें। जब आप अपना राशन खरीदें, तो उसके लिए भी कुछ राशन ले आएं। अगर उसे या उसके परिवार को कोई मेडिकल अटेंशन (ज़रूरी नहीं कि ये कोविड से जुड़ी हो) चाहिए तो उस तक वह पहुंचाने में उसकी मदद करें। हो सकता कि इस समय उसे ये भी न पता हो कि मदद के लिए जाना कहाँ है। ऐसे में अपने नेटवर्क के ज़रिये जितना हो सके उसकी मदद करें। अगर उसके पास अच्छा मास्क नहीं है, तो वह भी उसको आवश्य दें।
उससे ऐसे बात करें जैसे कि आपको अभी भी याद है कि आपकी वह एक इंसान है मशीन नहीं। ऐसा कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन हम में से कई ये भूल जाते हैं कि गरीब भी इसी धरती का एक हिस्सा हैं और किसी दूसरे गृह से नहीं आये। उनकी और हमारी भावनाएं एक सामान हैं। अपनी चिंता उनसे साझा करें। अपनी हेल्पर से पूछें कि उसने सब कैसे मैनेज किया? अब वह आगे क्या करने का सोच रही है? उसके बच्चे कैसे हैं? आप उसकी कैसे मदद कर सकते हैं? संक्षेप में, उसको ये जताइए कि आप भी उसके बारे में सोचते हैं। आपको सच में उसकी कद्र है।
मूल चित्र : runran (used via Flickr under a Creative Commons license 2.0, for representational purposes only)
Founder & Chief Editor of Women's Web, Aparna believes in the power of ideas and conversations to create change. She has been writing since she was ten. In another life, she used to be read more...
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