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शब्द वह इकाई है जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है और अपने भावों को स्पष्ट करता है और अपने मन में निहित भाव को स्पष्ट करता है।
वो व्यथित अर्थ पूर्ण शब्द ! अब व्यतीत हो चले, जो तलाशते रहे एक अदद मदद की गुहार को।
वो शब्द जो घायल तो हुए, पर कायर नहीं बने, शब्द जो विचारते रहे, मूल को परिपूर्ण को, जो कर सके सार दर निसार, पर शब्द ब शब्द जो न रह सके निःशब्द।
शब्द जो मंथन से मंचन तक पुकारते रहे , परिवेश को, निवेश को, प्रेम के भावेश को, वो शब्द अब विलीन हो चले, ब्रह्म में ब्रह्माण्ड में, स्वयं के निर्माण में ।
मूल चित्र : Youtube
Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger ,Media Literacy and Digital Safety Mentor. read more...
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