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चलो एक बार फिर….

बचपन जितना सुहावना होता है जवानी उतनी ही व्यस्त, बचपन एक ख़ुशहाल एहसास है,जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। 

बचपन जितना सुहावना होता है जवानी उतनी ही व्यस्त, बचपन एक ख़ुशहाल एहसास है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। 

चलो एक बार फिर,
बनकर बच्चे बचपन ढूंढते है।
जहाँ न हो कोई गम,
सुकून के वो पल ढूंढते है।
छूट गये जो दोस्त यार,
उनके घर ढूंढते है।
बचपन की गलियारों का ,
वो शहर ढूंढते है।
बचपन के खेलों का,
वो मंजर ढूंढते है।
चलो एक बार फिर..

उम्र बीत गई सारी,
कमाने और बचाने मे,
दिन रात एक कर दिया,
हमनें जिंदगी बनाने मे,
खो गई है मुस्कान जहाँ,
वो जगह ढूंढते है।
जहाँ न हो कोई दर्द,
ऐसी डगर ढूंढते है,
जीने की एक बार फिर,
फिर वजह ढूंढते है।
चलो एक बार फिर…

मूल चित्र : Pexels

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