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डट जाओ आंधी के आगे ,सम्भलो मगर भागो नहीं !

देश में भ्र्ष्टाचार की आंधी में सबको डट कर सामना करना होगा , डर  कर नहीं, और न मुँह छुपकर, सम्भलो और देश को बदलने का विश्वास रखो। 

देश में भ्र्ष्टाचार की आंधी में सबको डट कर सामना करना होगा , डर  कर नहीं, और न मुँह छुपकर, सम्भलो और देश को बदलने का विश्वास रखो। 

महफ़िल महफ़िल तन्हाई है।

न जनता की सुनवाई है।

बेकस, बेचारी जनता की,

सरेआम ही रुसवाई है।

थाम कलेजा घुट-घुट रोते,

सबकी निंदिया चुराई है।

सादगी का स्वांग रचाते,

जेब में काली कमाई है।

मुँहजोरी से खुद बने रब,

राज कर रही चतुराई है ।

मुफ्त-मुफ्त का शोर मचा के,

कुघात की चाल चलाई है ।

तिनके-तिनके बांध जोड़ के,

सत्य की करनी सफाई है।

आँख दबा, कुटिल मुस्कुराते,

शत्रु हाथ बड़ा हरजाई है।

संभलो! मत देश से भागो,

यही कण-कण की दुहाई है।

आज के जयचंदों संग,

टुकड़ी पाक ने सजाई है।

न बुझने देना उस अलख को,

शहीदों ने जो जगाई है।

मूल चित्र :

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