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गर्लफ्रेंड चोर की कहानी वैसी ही कहानी है जिसमें देखने वाला अपनी अतीत में खो जाता है और अपनी-अपनी कहानी का मूल्यांकन खुद करने लगते हैं।
गर्लफ्रेंड चोर सुनकर ही लगता है क्या ही नाम रखा है सीरीज़ का? इस शब्द से लेकिन हर किसी का कभी ना कभी तो पाला पड़ा ही होगा जिसने स्कूल-कालेज के दिनों में प्यार, ईश्क और मोहब्बत के आस-पास का एक अलग सिलेबस पढ़ा होगा। हर किसी की ज़िंदगी में एक ऐसा दोस्त होता ही है जिस पर लड़कियां फिदा होती हैं और हम सोचते थे हममे क्या कांटे लगे है जो हमसे लड़कियां दोस्ती तक नहीं करती!
स्कूल-कालेज के दिनों में प्यार, ईश्क और मोहब्बत के आस-पास घट रही घटनाओं को पिरोने की कोशिश करती है गर्लफ्रेंड चोर जो एम.एक्स प्लेयर पर सिर्फ पांच एपीसोड की छोटी सी सीरीज है। हर एपीसोड की समय सीमा भी 20 मिनट के आस-पास है और हर एपीसोड उस सिलेबस की याद ताजा कर जाती है जिसका नाम है प्यार, ईश्क और मोहब्बत। ग्रीस जोटवानी के निर्देशन में जो कहानी कहीं जा रही है वह उस दर्शक वर्ग को पसंद आ रही है जिसको TVF के विडियोज़ ने खड़ा किया है।
कहानी शुरू होती है एक सोशली ऑड सिचुएशन से जब एक पिता अपने कूल बेटे की लव लाइफ को पटरी पर लाने के लिए खुद को पूरी तरह से इन्वाल्व कर लेता है और अपने बेटे को लव लाइफ में सिर्फ कंधा बनने के किरदार से निकालना चाहता है। विसाल (कुसाग्र दुआ) को लड़की के आने और जाने से बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता है। ब्रेकअप और प्रपोज़ करना उसके लिए बहुत ही आम सी बात है।
आकाश(मयूर मोरे) जो कोटा फैक्ट्री में काफी पसंद किए गये थे, इस सीरीज़ में हर लड़की को दिल दे बैठता है। आकाश लेकिन इतना प्यारा है कि वो सिर्फ और सिर्फ लड़कियों को रोने के लिए कंधा ही बनकर रह जाता है। आकाश की इसी प्रोब्लम को उसके टीचर पिता मोहन (शिशिर शर्मा) अच्छी तरह समझते हैं और इससे उबारना चाहते है। जिसके लिए वह तरह-तरह से अपने बेटे का मोटिवेशन ही नहीं करते है नई तरह से प्लानिंग भी करते है। पर अंत में अंत में आकाश फिर खाली का खाली रोने के लिए कंधा बनकर रह जाता है। एक पिता के तमाम कोशिशों की कहानी बयां करती है गर्लफ्रेंड चोर।
कुछ कहानियों में यह यूएसबी होती है कि उसको पढ़ने या देखने के बाद हम अपनी अतीत की कहानियों में खो जाते है। गर्लफ्रेंड चोर की कहानी वैसी ही कहानी है जिसमें देखने वाला अपनी अतीत में खो जाता है और अपनी-अपनी कहानी का मूल्यांकन करने लगते है।
इस वेब सीरीज़ की खूबी है कि इसमें लड़के-लड़की के बीच के संवाद को बहुत ही समान्य तरीके से लिखा गया है, उसको जरा भी फिल्मी बनाने की कोशिश नहीं है। यह महसूस होता है कि किरदार रोजमर्रा के जिंदगी में बात कर रहे है। यह काम निर्देशक ने बहुत ही अच्छे तरीके से किया है। एक अच्छी और बहुत ही हल्की फुल्की सीरीज जो इन दिनों आसानी से घर पर रहकर देखी जा सकती है। यक़ीन देखने के बाद यह सीरीज कितने लोगों को उनके अतीत में पहुंचा देगी। तीसरी खूबी यह है कि आपको यह एहसास होता है कि लिखने वाले ने अपनी नहीं देखने वाले की कहानी बयां की है।
मूल चित्र : YouTube
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