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ज़िंदगी बहुत अच्छी है, ज़िंदगी में उतार चढ़ाव तो आते ही हैं और साथ के साथ अपनी सोच को सकरात्मक दिशा देनी की ज़रूरत होती है ताकि एक प्रफुल्लित जीवन जी सकें।
भूल कर चौराहे, बहानों के,
तू बस एक पगडंडी ढूंढ ले।
छाँव के अंधेरों को छोड़ के ,
तू थोड़ी धूप सुनहरी ढूंढ ले।
क्यों दुखी है पुरानी हार से,
तू जीतने की चाहत ढूंढ ले।
रो-रो कर सब खोने से पहले,
तू कुछ हंसती आँखें ढूंढ ले।
सींचे इस रूह को जो नूर से,
तू किताबें नूरानी ढूंढ ले।
दुआ घर में छूटी बरसों पहले,
तू खुदा से वो यारी ढूंढ ले।
नहीं तो मूंद के नैना, दिल में,
तू हिम्मत की रवानी ढूंढ ले।
मूल चित्र : Pexels
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