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सुनो, मेरे लिए जो लक्ष्मण रेखा, खींचते आए हो सदियों से, तुमने शायद पहली दफा, इसे महसूस किया है, अब ज़रा तुम भी तो इसमें जी कर देखो ...
सुनो, मेरे लिए जो लक्ष्मण रेखा, खींचते आए हो सदियों से, तुमने शायद पहली दफा, इसे महसूस किया है, अब ज़रा तुम भी तो इसमें जी कर देखो …
तुमने पहली बार किया है, मैंने तो सदा से ही लॉक डाउन जीया है!
मुझे रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता, कौन सा होटल बंद, कौन सा बाज़ार खुला है!
मेरे लिए जो लक्ष्मण रेखा, खींचते आए हो सदियों से, तुमने शायद पहली दफा इसे महसूस किया है!
घर, बच्चे, तुम और मैं साथ रहे इसी बहाने शायद इसीलिए कुदरत ने हमें कुछ दिन आईसोलेट किया है!
मूल चित्र : Canva
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