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क्षणभंगुर है ये अँधेरा…

मन की अभिलाषा को कभी मरने मत दो और साथ के साथ अपनों को भी सिखाओ के हर रात की सुबह ज़रूर होती है, हर अँधेरे के बाद उजाला होना स्वाभाविक है। 

मन की अभिलाषा को कभी मरने मत दो और साथ के साथ अपनों को भी सिखाओ के हर रात की सुबह ज़रूर होती है, हर अँधेरे के बाद उजाला होना स्वाभाविक है। 

क्षणभंगुर है ये अँधेरा ,

क्यों तूँ घबराता है ,

बनके ध्रुव , आसमान मैं ,

एक दिन चमकेगा तू सितारा ,

तेरी प्रतिभा बहुमुखी ,

चहुँ ओर जब फैलेगी ,

नभ चीर कर ,गूंजेगी बन के ध्वनि ,

मृदंग सी……

काली घनेरी रात की ,

अँधेरी का सीना चीर  कर ,

सूरज सा प्रकाश देगा तू ,

क्षणभंगुर है ये अँधेरा ,

क्यों तू घबराता है ,

बनके ध्रुव ,आसमान में ,

एक दिन चमकेगा , तू सितारा ,

क्षीण होगा हर तिमिर ,

तेरे पथ का…….

प्रकाशित होगा तेरा हर पथ ,

तेरे स्वंय के प्रकाश से ,

तेरा ही तेरा बस आकाश हो ,

नभ पर , नीर पर ,

हर लहर पर , हर डगर पर ,

तेरा ही तेरा प्रकाश हो ,

क्षणभंगुर है , ये अँधेरा ,

क्यों तूँ घबराता है ,

बनके ध्रुव , आसमान मैं ,

एक दिन चमकेगा तूँ  सितारा ,

मूल चित्र : Pexels 

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Vibhooti Rajak

Blogger [simlicity innocence in a blog ], M.Sc. [zoology ] B.Ed. [Bangalore Karnataka ] read more...

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