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गाँव की शादी में देसी गाने और देसी खाना! गांव में रहने वाले ताऊजी के बेटी की शादी थी तो पापा मम्मी और हम चारों भाई बहन भी शादी का मजा लेने चल पड़े।
एक बार हम सब को अपने पुश्तैनी गाँव जाने का मौका मिला क्योंकि मेरे गांव में रहने वाले ताऊजी के बेटी की शादी थी तो पापा मम्मी और हम चारों भाई बहन शादी का मजा लेने चल पड़े।
गाँव की शादी की बात ही कुछ और है, देसी गाने और देसी खाना।
मेरी मम्मी को सब वहां चाची कहते थे तो मेरा 4 साल का भाई भी मम्मी को चाची ही बोलने लग गया। पूरी शादी खत्म होते होते मम्मी उसकी चाची ही बन गई कोई भी पूछे ‘तेरी मम्मी कहाँ हैं’, तो चाची कहकर पुकारता था और सब उसका मजाक बना लेते।
बारात आने के समय हमारे यहां बारातियों को नाश्ते में पकोड़े, चटनी और चाय और काफी परोसी जाती है। पकोड़े भी आलू, प्याज, गोभी, पनीर और पालक जिसका जो भी खाने का मन हो मिल जाते थे। हमारे घर की औरतें शादी के भवन में नहीं जाती वहां सिर्फ आदमियों को ही जाने की परमिशन है, तो औरतों के लिए खाना घर पर ही आ जाता है।
जब बारातियों को पकोड़ों का नाश्ता दिया गया तो घर पर भी टोकरी भर के पकोड़े और चटनी आई लेकिन आते ही खत्म हो गई और मम्मी को मिले नहीं। फिर से पकोड़े और चटनी आई इस बार मम्मी के कुछ तो मुंह को लगे लेकिन, मन नहीं भरा फिर और पकोड़े मंगाए गए। इस बार स्पेशल मम्मी को चटनी और पकोड़े दिए गए और सब कहने लगे चाची को तो पकोड़े बहुत अच्छे लगे, देखो कैसे चटखारे ले ले कर खा रही है। तभी मेरा भाई बोला और क्या, आपको नहीं पता ये चाची तो बहुत चटोरी है।
उसकी बात सुनकर वहां में मौजूद सभी लोग हँसने लगे और मम्मी को सब ‘चटोरी चाची’ कहने लगे।
मेरा भाई मम्मी को कभी कभी अब भी बोल देता है मम्मी आप तो ‘चटोरी चाची’ हो!
मूल चित्र : Youtube
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