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क्या है ज़िंदगी…

ज़िंदगी का तानाबाना किसी की भी समझ से काफी दूर है, मगर इंसान फिर भी जूझता रहता है ज़िन्दगी के मायने को समझने क लिए। 

ज़िंदगी का तानाबाना किसी की भी समझ से काफी दूर है, मगर इंसान फिर भी जूझता रहता है ज़िन्दगी के मायने को समझने क लिए। 

कभी कुछ पाना और थोड़ा खोे देने का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी रूठना और कभी झट से मान जाने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी खिलखिला के हँसना और कभी छोटी बातों पर रो देने का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी आगे बढ़ना और कुछ पीछे छोड़ देने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी पहले लड़ने का और बाद में गलती पर पछताने का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी थोड़ा गुस्सा और कभी ढ़ेर सारा प्यार लुटाने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी खुद उलझ जाना और कभी दूसरों के मसले सुलझाने का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी “रंजिश ए गम” और कभी बेइंतेहा खुशियाँ लुटाने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी मनचाहा मिल जाना और कभी अनचाहे से पीछा छुड़ाने का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी खुद गुम हो जाना और कभी गैरों को गले लगाने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी उड़ती पतंग की तरह आसमां में उड़ने का और कभी कट कर ज़मीन पर गिर जाने का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी हिम्मत हार कर बैठ जाना और कभी दूसरे का हौंसला बढ़ाने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी तपती धूप और कभी ठंडी झाँव का नाम है, ज़िंदगी,

तो कभी फ़क़त जोश का और कभी सब कुछ बिखर जाने का नाम है, ज़िंदगी।

कभी आँखें चुराना और कभी बाँहे फैला देने का नाम है,ज़िंदगी,

तो कभी मायूसी और कभी यूँ ही मुस्कुरा देने का नाम है, ज़िंदगी।

ये ज़िंदगी है,कभी किसी का उधार नहीं रखती है,

जो भी मिलता है उसे, सूद समेत वापस कर देती है।

मूल चित्र : Pexels 

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Deepika Mishra

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