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माँ का रिश्ता सबसे अहम रिश्ता होता है, माँ हमारे जीवन की पहली शिक्षिका होती है उसी से हम सब सीखते हैं और वह हमें अपने अनुभव के आधार पर सब कुछ सीखती है।
अपने आंचल में छुपाना, मीठा एहसास हमको दिलाना, जहाँ सब कुछ अपना है लगता, वो है मेरी मां की ममता।
आँखें अभी खुली नहीं थी, उसकी ममता फिर भी वही थी, मेरे लिए वो सब से भली थी, बस उसके दिल में खलबली थी।
आँखें खुली तो उसका पाया, सब कुछ जैसे उसमें समाया, प्यार से मुझको गले लगाया, मुंह से मेरे मां कहलाया।
धीरे धीरे चलना सिखाया, दुनिया से भी लड़ना सिखाया, सभी के साथ है प्यार से रहना, ये भी मेरी मां ने बताया।
सारे फर्ज बस मां है निभाती, जीने की नई राह है सिखाती, बच्चों के दुःख हर है लेती, जीवन भर वो साथ है देती।
फिर क्यों उसको भूल है जाते? ना जाने क्यों उसे ठुकराते? जब नए रिश्ते फिर बन है जाते, मीठा मां से क्यों हम दूर हो जाते।
नहीं सिखाती ये मां की ममता, फिर भी अपनाती मां की ममता…
मूल चित्र : Pixabay
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