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ज़िंदगी की भागमभाग से थककर, सुस्ताने को तुम जैसा आँचल नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में, माँ, तुमसा कोई नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में!
माँ , तुमसा कोई नहीं , न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।
जिन्दगी की तपती दोपहर में , तुमसी कोई छाँह नहीं , न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।
जिन्दगी की भागमभाग से थककर , सुस्ताने को तुम जैसा आँचल नहीं , न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।
उलझनों से लड़ रही हूँ , पूरी कोशिश कर रही हूँ , तरकीब तुम जैसी सुझाता नहीं , न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।
हर जिद पूरी करने वाली बस यही बात नहीं सुनती हो एक बार बस आकर मिल लो ढूँढे से भी तुम नहीं मिलती हो न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।
ऋण तेरा चुका पाऊँ , ऐसा कोई संकल्प नहीं , सारा जीवन ढूँढू फिर भी तेरा कोई विकल्प नहीं , न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।
मूल चित्र : Canva
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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