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माँ! तुमसा कोई नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में

ज़िंदगी की भागमभाग से थककर, सुस्ताने को तुम जैसा आँचल नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में, माँ, तुमसा कोई नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में!

ज़िंदगी की भागमभाग से थककर, सुस्ताने को तुम जैसा आँचल नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में, माँ, तुमसा कोई नहीं, न इस जहाँ में, न उस जहाँ में!

माँ ,
तुमसा कोई नहीं ,
न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।

जिन्दगी की तपती दोपहर में ,
तुमसी कोई छाँह नहीं ,
न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।

जिन्दगी की भागमभाग से थककर ,
सुस्ताने को तुम जैसा आँचल नहीं ,
न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।

उलझनों से लड़ रही हूँ ,
पूरी कोशिश कर रही हूँ ,
तरकीब तुम जैसी सुझाता नहीं ,
न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।

हर जिद पूरी करने वाली
बस यही बात नहीं सुनती हो
एक बार बस आकर मिल लो
ढूँढे से भी तुम नहीं मिलती हो
न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।

ऋण तेरा चुका पाऊँ ,
ऐसा कोई संकल्प नहीं ,
सारा जीवन ढूँढू फिर भी
तेरा कोई विकल्प नहीं ,
न इस जहाँ में , न उस जहाँ में ।

मूल चित्र : Canva 

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Samidha Naveen Varma

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