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मेजर सुमन गवानी ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर दिया है। जी हां ये पहली बार है जब किसी भारतीय शांति दूत को इस पुरस्कार से नवाज़ा जायेगा।
भारतीय सेना में मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द इयर अवार्ड 2019 के लिए चुना गया है। सुमन पहली भारतीय हैं जिन्हें यह सम्मान मिलने जा रहा है।
हर साल दिए जाने वाले इस सम्मान में इन्हें ‘यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर 2019’ (‘United Nations Military Gender Advocate of the Year Award) के लिए चुना गया है। और इनके साथ ब्राज़ील की नौसेना अधिकारी कमांडर कार्ला मोंटेइरो डी कास्त्रो अरुजो को भी यह पुरस्कार दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने इन दोनों महिलाओं को ‘पावरफुल रोल मॉडल’ के रूप में वर्णित किया है। इंडिया एट यू एन, न्यूयोर्क ने ट्वीट कर इसकी जानकारी साझा करी ।
मेजर सुमन गवानी ने कहा कि “मैं न्यू यॉर्क स्थित सयुंक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर इस अवार्ड को लेने जाने वाली थी, पर Covid-19 की वजह से 29 मई को एक ऑनलाइन सेरेमनी में मैं नवाज़ी जाऊँगी। मैं पहली भारतीय हूँ जिसे ये अवार्ड मिलेगा।”
भारतीय आर्मी ऑफिसर और महिला शांति दूत सुमन गवानी दक्षिण सूडान में सयुंक्त राष्ट्र मिशन के एंटी सेक्सुअल वायलेंस कैंपेन के लिए काम किया। वहां उन्होंने एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। UN चीफ एंटोनियो गुटेरस ने इनकी सराहना करते हुए कहा कि इन्होंने अपने काम के जरिए उन लोगों में विश्वास जगाया है, जिनके लिए हम काम करते हैं। दोनों ब्लू हेलमेट्स के लिए प्रेरणा हैं। संयुक्त राष्ट्र के सैनिकों को ब्लू हेलमेट कहा जाता है। वे आबादी को ख़तरों से बचाते हैं और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं।
गुटेरेस दोनों को संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अंतरराष्ट्रीय दिवस के दिन 29 मई को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए सम्मानित करेंगे।
इन दोनों महिलाओं को एक ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये सम्मानित किया जायेगा। कोविड – 19 के चलते लॉक डाउन की वजह से ये फैसला लिया गया है अन्यथा इन्हें न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र केंद्र पर नवाजा जाना था। 29 मई को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र के शांतिदूतों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर इन्हें सम्मानित किया जायेगा। ये भारतीय सैना के लिए बहुत गर्व का क्षण होगा क्युकी पहली बार किसी भारतीय को यह सम्मान मिलेगा।
आज की हमारी भारतीय महिलाएं सभी क्षेत्रों में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रही हैं। अगर पीस कीपिंग यानि की शांति दूत की बात करें तो आज ये पुलिस , मिलिटरी और सिविलियन, सभी जगहों महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहीं हैं। इन्होंने साबित कर दिया है की आज की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी निभा रही हैं और पुरुषों के मुकाबले ही काम कर रहीं है चाहे कैसी भी सिचुएशन हो।
सयुंक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1993 में सिर्फ 1% महिलाएं वर्दी कर्मियों के रूप में कार्यरत थी। जो की 2019 में बढ़कर सैन्य टुकड़ी में 4.7% और संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में गठित पुलिस इकाइयों के 10.8% हो गयी है। सयुंक्त राष्ट्र हमेशा से ही महिलाओं को सेना में बढ़ावा देने के लिए काम करता है। संयुक्त राष्ट्र पुलिस डिवीजन ने राष्ट्रीय पुलिस सेवाओं में और दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र पुलिस अभियानों में अधिक महिला पुलिस अधिकारियों की भर्ती के लिए ‘ग्लोबल एफर्ट‘ शुरू किया है। उनका 2028 तक का लक्ष्य है की सैन्य टुकड़ियों में सेवारत 15% महिलाएं हो और सैन्य पर्यवेक्षकों और स्टाफ अधिकारियों के लिए 25%, गठित पुलिस इकाइयों में सेवारत महिलाओं की 28 % और व्यक्तिगत पुलिस अधिकारियों के लिए 30% हिस्सेदारी हो।
मूल रूप से उत्तराखंड के टिहरी के पोखर गांव की रहने वाली सुमन की स्कूली शिक्षा उत्तरकाशी और टिहरी में हुई है। उन्होंने दून के डीएवी पीजी कालेज से बीएड किया है। 2010 में उन्होंने भारतीय सेना में बतौर अफसर प्रशिक्षण पूरा किया। और 2011 में भारतीय सेना में शामिल हुई जहां वो ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकडेमी से ग्रेजुएट हुई और बाद उन्होंने बाद में आर्मी सिंगल कॉर्प्स जॉइन किया। सुमन के भाई वायु सेना में और बहन भी थल सेना में अफसर हैं। अभी फिलहाल मेजर सुमन गवानी दिल्ली में कार्यरत हैं।
ये उन सभी के मुँह बंद करता है जो कहते है कि महिलाएं आर्मी के लिए नहीं बनी है। उन्हें बता दूं आज की नारी अपनी ज़िम्मेदारी हर क्षेत्र में बखूबी निभा सकती हैं और इसका वैसे तो कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी हमारी महिलाओ ने ऐसे कई सम्मान प्राप्त किये हैं जहां अभी तक पुरुषों की पहुंच भी नहीं है और यही इस बात का सबूत है।
मूल चित्र : ट्विटर
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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