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दोनों ही हैं हिस्सा उसका, फिर क्यों मुजरिम सा खुद को पाई, मेरी बेटी का ना इंतज़ार किसी को, बेटा आए, क्यों है यही अरमान सभी को?
बरसों का इंतज़ार बीता, आंगन में एक ख़ुशी लहराई, समाज के तानों में माँ का विश्वास जीता, सोच के बेबस वो मुस्काई…
पर ये क्या बेबस क्यों है माँ, जिसने वंश का मान बढ़ाया, क्या था उसके दिल में जो यूँ आसूं छलक आया, बेटा होगा या बेटी इस बात पे माँ क्यों घबराई?
दोनों ही हैं हिस्सा उसका फिर क्यों मुजरिम सा खुद को पाई, मेरी बेटी का ना इंतज़ार किसी को, बेटा आए, है अरमान सभी को…
डरती हूँ हो ना मेरे जैसा हाल तेरा, तेरी ऑंखें खुलने से पहले हो ना हाथ लाल मेरा, बस यही बस यही भेजूँ संदेश मेरी लाडो कि ना तू आना – तू ना आना इस देश मेरी लाडो….
फिर एक रात… एक रात जो चीख सुनी तो माँ घबराई, हूँ मैं यहाँ अकेली ये आवाज़, ये आवाज़ कहाँ से आई?
इधर-उधर घबरा कर देखा, दो पल में सारा आलम महका, माँ…. माँ…. ये मैं हूँ तेरी नन्ही परी!
यहाँ वहाँ क्यों तू देखे, मैं तो तेरे ज़ेहन में बसी, माँ छलकते आंसू को रोक ना पाई, अंचल की गर्मी में जैसे बौछार लहराई…
माँ…. मत सोच मेरा जीवन क्या होगा, खुद की ममता को यूँ ना दे धोखा, मैं खुदा की रेहमत बन के बरसी हूँ, तुझे महसूस करके अब कैसे तुझसे विदा लूँ…
लड़खड़ाते लबों से माँ बोली, तू नन्ही परी तू गुड़िया मेरी, तुझ पे वारूँ सौ बार मैं खुशियाँ सारी, पर किसके लिए?
हाँ किसके लिए तू आएगी यहां, बंद खिड़की दरवाजों में होगा तेरा जहां, ना तेरा अभिमान ना तेरा सम्मान, बन के तू भी रहेगी एक बेजान सामान …
ना तेरी किलकारी गूंजेगी, ना तेरी पायल छनकेगी, सुना सुना घर आँगन होगा, ऐसा ही सूना तेरा जीवन होगा, डरती हूँ. ..
हाँ गुड़िया… मैं डरती हूँ, सेहमी सी रहती हूँ उस आने वाले कल से, कहते हुए माँ की वेदना और गहराई…
आवाज़ बोली… माँ तू ऐसे अभी से ना हार, मेरे जन्म लेने से पहले मुझे ना मार, क्यों डरती है जो हूँ अब मैं साथ तेरे!
तू भी हिम्मत भर के थाम ले हाथ मेरे, पापा की ऊँगली पकड़ के, उनको इन नन्ही आँखों से छू के, उनके दर्द उठाऊँगी…
वक़्त को बदल दूंगी, तेरी सूनी आँखों का सपना, उनके काँपते हाथों की लाठी बन जाऊँगी, उनकी बेटी नहीं बेटा बन के दिखाऊँगी।
उनके जीवन में एक नया साज़ होगा, बेटे का मोह छोड़ उन्हें अपनी बेटी पे नाज़ होगा, मैं बेबस तब तक हूँ, ज़ब तक यहां तुझमें हूँ…
दुनिया में आके मैं वक़्त बदलूंगी, बेटियों को एक नई पहचान दूंगी, उठो माँ उठो…. खुद में हिम्मत भरो…
इस खोखली दुनिया के रिवाजों से मत डरो, आज जो तेरा मन घबराएगा, एक और फूल खिलने से पहले मुरझा जाएगा, पुकार लो माँ मुझे अपनी प्यार भरी आवाज़ से!
माँ… भर लो अपनी सूनी गोद को, और मिला दो इस जहान से, और मिला दो इस जहान से…
मूल चित्र : Canva
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