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मुर्दादिल जिंदगी….

कुछ ऐसे भी हैं जो जिंदा होना तो चाहते हैं लेकिन तय नहीं कर पा रहे कि जिंदा होकर वापिस उसी दुनिया में खुश रह पाएंगे कि नहीं।

कुछ ऐसे भी हैं जो जिंदा होना तो चाहते हैं लेकिन तय नहीं कर पा रहे कि जिंदा होकर वापिस उसी दुनिया में खुश रह पाएंगे कि नहीं।

जब चारों ओर देखा तो कुछ लोग जिंदा लगे और कुछ लोग जिंदा होने के बावजूद मर चुके थे।
लेकिन विडंबना यह कि यदि इन मरे हुए जिंदा लोगों से बात करें तो महसूस होगा कि ये मानने को ही तैयार नहीं कि ये मर चुके हैं। कोई ज़मीर के हाथों मर चुका है,कोई शर्म के हाथों मर चुका है,
किसी को लालच ने मुखौटे बदल-बदल कर मार डाला है तो किसी का गला उसीकी अनगिनत हसरतों ने घोंट दिया है, किसी-किसी की मौत की जिम्मेदारी शोहरत और पैसे की चाह ने खुद अपने सिर ले ली है। इन्हें दोबारा जिंदा करने की कोशिश करो तो ये आप पर ही सवाल खड़े कर देंगे !

कुछ ऐसे भी हैं जो जिंदा होना तो चाहते हैं लेकिन तय नहीं कर पा रहे कि जिंदा होकर वापिस उसी दुनिया में खुश रह पाएंगे कि नहीं। कुछ लोग भीतर से मुर्दा होने के बावजूद भी खुद को जिंदा रखने की चाह में जी-जान से जुटे हुए हैं। इधर कुछ दिनों से सालों से मुर्दा जीवन जी रहे लोग फिर से जिंदा होकर बहुत खुश हैं और सोच रहे थे कि काश वे पहले ही जिंदा होने का फैसला ले लेते। तो कुल मिलाकर यही कहना है कि एक न एक दिन सदा के लिए मुर्दा होना तय ही है तो जब तक जिंदा हो तब तक मुर्दा मत रहो। वो चीज़े जो तुम्हें मुर्दा बनाती हैं उन्हें अपने दिल की गहराई में इस कदर घुसपैठ न करने दो कि वे तुम्हें ही जीते-जी मार डालें।
याद रखें-
‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है,
मुर्दादिल क्या खाक जीया करते हैं !’

मूल चित्र : Unsplash

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