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माँ एक ऐसा शब्द है जिसके अभाव में हम अपना जीवन कहीं न कहीं दर्द में गुज़र देते हैं, माँ के बिना जीवन सचमुच बिलकुल अधूरा लगता है...
माँ एक ऐसा शब्द है जिसके अभाव में हम अपना जीवन कहीं न कहीं दर्द में गुज़र देते हैं, माँ के बिना जीवन सचमुच बिलकुल अधूरा लगता है…
माँ तो अथाह सागर है और मेरी ये पंक्तियाँ कुछ बूँदे…
तुम कहाँ हो माँ , एक बार आ जाओ ना। उलझने हैं जीवन में आकर सुलझा जाओ ना।
मेरी छोटी सी दुविधा से , तुम परेशां हो जाती थी। अब दुविधाओं के भँवर से , मुझको बचा ले जाओ ना।
सोचती हूँ जो स्थिति, आज बनी है मेरी। वो ही सब परिस्थिति , रही होंगी कभी तेरी।
शायद जीवन से थक कर, सो गई होंगी तुम। पर क्या मेरी आह भी , अब नहीं सुन पाती तुम?
पास से भी गुज़रे कोई, तो नींद से जग जाती तुम। अपनी समिधा का दर्द क्या अब नहीं सुन पाती तुम?
या चाहती हो मुश्किलें, झेल कर निखर जाऊँ। तुम जैसी धीरज वाली, मजबूत माँ बन जाऊं।
जैसे बचपन में तुमको छूकर , ताकतें मेरी बढ़ जाती थी। वैसे ही मुझको छूकर मेरी, हिम्मत बढ़ा जाओ ना।
सब कुछ है इस दुनिया में, पर एक खालीपन सा है। काश कहीं से पल्लू आए, लगे जो तेरा दामन सा है।
कभी-कभी मन करता है माँ, इक बार जो तुमको पाऊँ मैं। कुछ सुनु मैं तेरे मन की, कुछ अपनी तुझे सुनाऊँ मैं।
कुछ सवाल मन के सागर में, यदा कदा उठ जाते हैं। तुम ही माँ, बस तुम ही, आकर जवाब दे जाओ ना।
जाने नहीं दूँगी तुमको, इतना कस कर पकडूँगी। अपनी समिधा का कहना, माँ मेरी मान जाओ ना।
तुम कहाँ हो माँ , एक बार आ जाओ ना।
मूल चित्र : Canva
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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