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वर्ल्ड मैटरनल मेन्टल हेल्थ डे के दिन और हर दिन इन बातों का ध्यान रखें क्यूँकि हमारे यहां कोई भी माओं की मानसिक स्थिति के बारे में ज़्यादा बात नहीं करता।
2016 से हर साल मई के पहले बुधवार को मनाया जाने वाला ये दिन हर महिला के लिए खास है क्यूँकि कभी कोई उनकी मानसिक स्थिति के बारे में ज़्यादा बात नहीं करता। हाँ प्रेग्नेंसी के दौरान उनकी शारीरिक बिमारियों पर तो अक्सर हम ध्यान दे देते हैं लेकिन वो किस मानसिक स्थिति से गुज़र रही हैं, उस पर कोई ध्यान नहीं देता। इसीलिए हर साल विश्व के कई संगठन मिलकर इसके लिए जागरूकता फ़ैलाने के लिए इस दिन को मनाते हैं।
अब आप में से कई लोग यही सोच रहे होंगे कि आखिर ये वर्ल्ड मैटरनल मेन्टल हेल्थ अवेयरनेस डे होता क्या है?क्यों चाहिए अब ये हमें? पुरुष ही नहीं बल्कि कई महिलाओं को भी उनके साथ प्रेगनेंसी में हो रहे बदलाव को समझने में दिक्कत होती है। महिलाओं को प्रेग्नेसी के दौरान या फिर बच्चे के जन्म के एक साल तक कई तरह के शारीरिक एवं मानसिक बदलाव से गुज़रना पड़ता है और हम शारीरिक बदलाव पर तो अक्सर ध्यान दे देते है, लेकिन उनके मानसिक बदलाव पर कोई ध्यान नहीं देता। अक्सर महिलाएं भी इसे अनदेखा कर देती हैं क्यूँकि कभी इसके बारे में खुलकर बात ही नहीं करी गयी। लेकिन इसका सीधा असर मां और बच्चे दोनों पर होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कई देशों में हर 5 में से 1 महिला प्रवासकालीन मनोदशा और एंग्जायटी डिसऑर्डर ( perinatal mood and anxiety disorder (PMADs) से गुज़रती है। और यही सब मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है, लेकिन इसपर हमने कभी ध्यान ही नहीं दिया।
उदासी, निराशा, अकेलापन, बेबसी, थकावट, निर्णय लेने में असमर्थता, अकेले रहना, चिंता करना , गुस्सा करना, आत्म सम्मान की कमी होना, भूख नहीं लगना, बहुत रोना या बहुत हंसना, मूड़ में परिवर्तन आदि सब इसके लक्षण है। और इसके अलावा कई केसेस में महिलाएं बहुत रो भी सकती हैं। उन्हें अजीब से सपने, डरावनी कल्पनाएं या खुद को या अपने बच्चे को चोट पहुंचाने के विचार आ सकते हैं। तो ऐसे में महिलाओं पर ध्यान देना बहुत आवश्यक हो जाता है, क्यूंकी ये उनके और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इनके कई कारण हो सकते है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बायोलॉजिकल चैंजेस आते है और उसमें कई तरह के हॉरमोनल बदलाव होते हैं और इसी कारण उन्हें मानसिक रूप से कई परेशानियां होती हैं। इसके अलावा महिलाओं पर कई तरह का प्रेशर भी डाला जाता है। कई परिवारों में तो आज भी उनपर ज़ोर डाला जाता है कि लड़का ही होना चाहिए। और एक बहुत साधारण सी बात है अगर जब भी हम किसी नए किरदार में ढलने वाले होते हैं तो जाहिर सी बात है एक अलग तरह की घबराहट, बेचैनी होती है और फ़िर मां बनना कोई छोटी चीज़ तो है नहीं। इन्ही कारणों से महिलाओं को कई तरह के मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
जब आज भी मेन्टल हेल्थ ( मानसिक स्वास्थ्य ) को एक टैबू के रूप में देखा जाता है तो जाहिर सी बात है कि मैटरनल मेन्टल हेल्थ ( मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य ) के बारे में चर्चा करने की तो आम इंसान सोच भी नहीं सकता। और जब बात महिला के स्वास्थ्य से संबंधित हो तो आखिर हम क्यों ध्यान दें। सही कह रही हूं ना? यहीं पर वर्ल्ड मैटरनल मेन्टल हेल्थ अवेयरनेस डे का काम है।
महिलाएँ जब भी बीमार होती हैं तो या तो वो ख़ुद उसे अनदेखा कर देती या घरवाले और जब भी प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा होता है तो उस पर ध्यान नहीं दिया जाता और कह कर टाल देते है की प्रेग्नेंसी में तो अक्सर ऐसा होता है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है और इसी वजह से फिर महिला की मानसिक स्थिति पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, जो उसकी और उसके बच्चे दोनों के लिए हानिकारक है। लेकिन अब समय बदल चुका है। आपको और हमे मिलकर उनपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
बहुत छोटे छोटे चीज़ें जो आप प्रेग्नेंसी के दौरान या उसके बाद महिला को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए अपना सकते हैं।
जब तक आप अपने आप पर ख़ुद ध्यान नहीं देगीं तब तक दुसरो से उम्मीद लगाने का कोई मतलब नहीं है। आप अपने को खुश रखने की पूरी कोशिश करें। ज़रूरी नहीं है कि आप सबकी बातों पर ध्यान दें। वो आपके बच्चे हैं, इसलिए आपसे ज्यादा बेहतर उनके लिए और कोई नहीं बता सकता।
समाज की या परिवार वालों के प्रेशर में आकर कोई गलत कदम ना उठाएं। अपनी पसंदीदा चीज़े करें। अगर आपको रोने का मन करे तो बे झिझक होकर रोयें। रोने में कोई बुराई नहीं है और अगर हंसने का मन करे तो खुलकर हंसे।
इस तरह के बदलाव आना सामान्य है। इसे आप लोगों से छुपाये नहीं, कई बार चीज़े बांटने से मन हल्का हो जाता है। और अगर आपको लगता है आप को डॉक्टर की सलाह की जरूरत है तो वहां भी बे झिझक जाएँ। मानसिक समस्या को टैबू की तरह न देखें। आशा है इस मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस या वर्ल्ड मैटरनल मेन्टल हेल्थ डे पर आप एक कदम अपने लिए भी बढ़ाएंगी।
मूल चित्र : Canva
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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