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कभी माता पिता तो कभी पति का सोचा तूने, कभी बच्चों के लिए रात भर जागी, तो कभी उन्हीं भारी पलकों के साथ पति का इंतजार किया तूने...
कभी माता पिता तो कभी पति का सोचा तूने, कभी बच्चों के लिए रात भर जागी, तो कभी उन्हीं भारी पलकों के साथ पति का इंतजार किया तूने…
औरत तेरे कितने रूपकभी बेटी बहन पत्नी तो कभी माँ
हर रिश्ते को खुद की पहचान बनाई तूने हर रिश्ते को निभाना सिखा तूने
हर कदम फूंक फूंक कर रखे तूने कभी माता पिता तो कभी पति का सोचा तूने
कभी बच्चों के लिए रात भर जागीतो कभी उन्हीं भारी पलकों के साथ पति का इंतजार किया तूने
पर हे जननी, इन सब में आखिर तू कहाँ गईक्यों खो दिया तूने खुद को इन सभी के बीच
क्यों तूने खुद को इतना नीचे गिरने दिया कि तेरे बच्चे भी तेरा इस्तेमाल करेंपहचान इन सब चेहरों के पीछे छुपे मतलब को
सबकी जिम्मेदारी तूने बखूबी निभाईअब खुद के प्रति निष्ठा दिखा
बहुत हुआ रोना धोना, दूसरों को मनानाअब खुद को मना अपनी दोस्त बन कर, अपनी सच्ची साथी बन कर
मूल चित्र : Canva
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