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क्या बाहरी सुंदरता और शादी ही मेरे जीवन का अंतिम लक्ष्य है?

क्या पतला होना और शादी ही जीवन का अँतिम लक्ष्य है जो मुझे नहीं मिला तो मेरे जीवन ने खुशियाँ नहीं आयेंगी या मेरा जीना बेकार है? 

क्या पतला होना और शादी ही जीवन का अँतिम लक्ष्य है जो मुझे नहीं मिला तो मेरे जीवन ने खुशियाँ नहीं आयेंगी या मेरा जीना बेकार है? 

“आज कल की छोरियों को देख लो…इनसे कोई काम नहीं होता …थोड़ा सा झाड़ू पोछा क्या लगा लिया और दो बर्तन साफ करने पड़ जाए तो इनकी शक्ल के बारह बज जावे हैं …इनसे तो भगवान बचाय।”

“वैसे सारा दिन घूमा लो, फिल्म दिखा लो, या शॉपिंग करा लो इनसे… बस फिर देखो इनकी चुस्ती फुर्ती, फिर पता नही कहां ते एनर्जी आ जावे है इनमें?” दादी ने अपनी पोती पायल से कहा।

“कितनी मोटी हो गयी है… हाय राम! हाय ये तेरा मोटापा कौन करेगा तेरे से शादी? लड़का तो तुझे देख कर ही भाग जाएगा।”

“कोई जिम जॉइन कर ले… सारा दिन घर में रह कर खा खा कर मोटी हो गयी है। तेरी माँ तो तैंने कुछ कवे न है… औऱ ना ही तेरे डैडी ने कोई फ़िक्र ही है… उसका तो बस एक जवाब होवे है, माँ तू चिंता न कर मेरी लड़की कितनी भी मोटी हो जाये… कोई फर्क नही पड़ेगा मैं तो ससुराल वालों का मुँह पैसों से बंद कर दूंगा।”

“आज के जमाने में लोग बन्द मुठ्ठी पैसे चाहवे हैं… वो मेरे पास बहुत है, तो मेरी माँ तू इस मोटी पायल की चिंता बेकार में ही करती है।”

“दादी आप भी ना कुछ भी बोलते रहते हो… मैं कहाँ मोटी हूँ? मेरे से भी मोटी मोटी छोरियों की शादी हो जाती है, और किसने कहाँ है… कि शादी जीवन का अँतिम लक्ष्य है जो मुझे नही मिला तो मेरे जीवन ने खुशियाँ नही आयेंगी या मेरा जीना बेकार है। 

“आप भी तो शादी के समय इतनी पतली थी कि यदि दादू फूंक मारते तो आप उड़ जाती थीं… तो आपकी शादी नहीं हुई और दादू तो आपसे ट्रिपल मोटे थे।”

वैसे भी दादी शादी के लिए आपसी समझ और उचित तालमेल होना चाहिए। यह एक संस्कार है जो दो अजनबी मिलकर अपनी दुनिया बसाते है प्यार से, आंतरिक खूबसूरती से… और आप ही तो कहती हो कि इंसान का व्यवहार अच्छा होना चाहिए उसका बाहरी रंग, रूप, आकार कैसा भी हो”, पायल ने अपनी दादी को हिलाकर कहा।

“सही कहा तूने… मेरी लाड़ो। तूने तो मेरी आँखें ही खोल दी। मैं तो बेकार में ही तेरे लिए इतनी परेशान हो रही थी। हमे इंसान की बाहरी सुंदरता को नही आंतरिक सुंदरता को देखना चाहिए… बाहरी खूबसुरती छलावा हो सकती है।”

“चल अब दोनों मिलकर इस बात पर पिज़्ज़ा मंगवा लेते हैं”, और दोनों दादी पोती खिलखिलाकर हँसने लगीं।

कैसी लगी आपको मेरी छोटी सी कहानी… कभी कभी हमारे बच्चे भी हमे कुछ बड़ी बात सीखा देते है।

ब्लॉग को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया।

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मूल चित्र : Canva 

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