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ये डायन प्रथा क्या है? और ऐसी कोई प्रथा पुरुषों के बीच क्यों नहीं है?

डायन प्रथा के नाम पर होने वाली हत्याओं की तादाद कई गुना है, लेकिन डायन के खिलाफ लोगों की एकजुटता की वजह से ये मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते।

डायन प्रथा के नाम पर होने वाली हत्याओं की तादाद कई गुना है, लेकिन डायन के खिलाफ लोगों की एकजुटता की वजह से ये मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते।

किसी का बच्चा मरा तो वो पिशाचनी बन गई, किसी पड़ोसी का बच्चा किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित हुआ तो वो डायन बन गई। पति अगर शादी की 3 महीनों के अंदर मर गया तो पत्नी मनहूस?

वो देवी है, पूजनीय है, वंदनीय है या फिर डायन, डाकिनी, चुड़ैल, जादुगरनी, पिशाचिनी, टोटगायली, मनहूस, अपशकुनी, मसानी जैसे अनेक काले शब्दों का पर्याय उनके लिए क्यों? क्या क्या है ये सब?

हम सोचते हैं यह सब गाँव में होता होगा

हम सोचते हैं यह सब गाँव में होता होगा, आदिवासी लोग करते होंगे ऐसा। मगर यह असलियत नहीं है। आज कल तो शहरों में भी इस प्रथा का चलन चल ही रहा है।

डायन या डाकण प्रथा

यह प्रथा मुख्य रूप से राजस्थान में देखने को मिलती थी, मगर पूर्वी उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के कुछ पिछड़े हुए इलाके हैं जहाँ यह कुप्रथा ग़ैरकानूनी होने के बावजूद भी अपने पाँव पसार रही है। असम और बंगाल और झारखंड में यह वीभत्स रूप में आज भी जीवित है।

किसी महिला को डायन बताने के पीछे कारण

आम तौर पर किसी महिला को उसकी जाती या संपत्ति हड़पने के विचार से भी डायन कहा जाता है, जिसकी पुष्टि ओझा कहे जानेवाले पुरुष या गुनिया कही जानेवाली औरत द्वारा कराई जाती है। इसके बाद शुरू हो जाता है अत्याचारों का सिलसिला। किसी महिला को डायन बताने के पीछे जो कारण है, वे इस प्रकार हैं – भूमि और संपत्ति विवाद, अंधविश्वास, अशिक्षा, जागरूकता एवं जानकारी का अभाव, यौन शोषण, भूत-प्रेत, ओझा-गुणी पर विश्वास, आर्थिक स्थिति का ठीक न होना, व्यक्तिगत दुश्मनी, स्वास्थ्य सेवा का अभाव।

ये डायनें पहले किसी की माँ-पत्नी होती हैं – कहाँ हैं इनके ‘प्रेत’ बच्चे?

अगर यह औरतें डायन, डाकन, पिशाचिनी हैं तो ये वही औरतें तो हैं, जो उन नरपिशाचों, राक्षसों, दैत्यों, प्रेतों, पलीतों, असुरों, को जन्म देती है। जिनका दिल नहीं फटता उन्हें डायन और मनहूस करार देते हुए? जिसने तुमको 9 माह तक पेट में रखा और तुमको लज्जा नहीं आती उन्हें नंगा कर सार्वजनिक रूप से घुमाते हुए? उनकी दयनीय चीत्कारों से दिल नहीं पसीजता इन दानवों का।

कहाँ से शुरू हुयी डायन प्रथा?

कुछ स्त्रोतों के मुताबिक, यह प्रथा असम के मोरीगांव जिले से शुरू हुई और वहीं से डायन प्रथा का चलन शुरू हुआ। यह स्थान सम्पूर्ण भारत में काले जादू की विशेष राजधानी के नाम से जाना जाता  है।

नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2000 से 2016 के बीच देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं और पुरुषों पर डायन या पिशाच होने का ठप्पा लगा कर 2,500 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया। उनमें से ज्यादातर महिलाएं थीं।

इस मामले में झारखंड का नाम सबसे ऊपर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में वर्ष 2001 से 2014 के बीच डायन होने के आरोप में 464 महिलाओं की हत्या कर दी गई। उनमें से ज्यादातर आदिवासी तबके की थीं। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि एनसीआरबी के आंकड़े तस्वीर का असली रूप सामने नहीं लाते। डायन के नाम पर होने वाली हत्याओं की तादाद इससे कई गुनी ज्यादा है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में डायन के खिलाफ लोगों की एकजुटता की वजह से ज्यादातर मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते।

तुम भी तो भूत, पिशाच और दैत्यों के वंशज बन जाते हो

सुन लो तुम सब, जिस महिला को तुम डायन बना देते हो और उस पर अत्याचार करते हो तो वह अभागन दोनों हाथ फैला-फैलाकर जब वो अपनी जान और दया की भीख मांगती है, तब तुम्हारा पिशाची स्वरूप अट्टहास करता है और तुम कसाई की मानिंद बन जाते हो।

दर्द और अपमान से बिलखती वो औरत जब बार-बार सबकी ओर देख-देखकर बचने के लिए भीख माँगती है, उसकी नज़रें किसी बचाने वाले को ढूंढती हैं, तो उसको बालों से घसीट-घसीटकर ले जाने वाले तुम, प्रेत योनि जीने लगते हो। उसके माथे से उघड़ता आंचल जब छाती से होता हुआ कमर से भी खींच लेते हो, तो तुम भूत, पिशाच और दैत्यों के वंशज बन जाते हो। और जब उनका मुंडन कर रहे होते हो तब मानवीयता को शर्मसार कर रहे होते हो? तब?

क्या यह भी एक साज़िश है पितृसत्ता की?

इतने में भी मन नहीं भरता तुम दानवों का तो तुम उसके मुँह में मल मूत्र ठूस देते हो? उसको निर्वस्त्र कर के समाज की गलियों और चौराहे पर उसका उत्पीड़न करते हो? तुम यह नहीं जानते कि वह भी एक माँ है, औरत है। इसका अर्थ तो यही हुआ तुमने एक माँ को निर्वस्त्र कर दिया?

अरे! शर्म करो, धार्मिक आडम्बरों की आड़ में तुम सिर्फ महिलाओं को प्रताड़ित करते आए हो? किसी की बकरी मरी तो वह डायन की वजह से, किसी की गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो वह उस महिला की वजह से जिसपर तुमने डायन होने का टैग लगा दिया है। यह लगता नहीं यह एक पूरी साज़िश है महिलाओं को प्रताड़ित करने का। एक और बहाना महिलाओं के आस्तित्व को कुचलने का।

सिर्फ कानून प्रभावशाली नहीं, इसके लिए सोच को बदलना होगा

हमें अपनी मानसिकता को छानना होगा और उसको पुनर्जीवित करना बहुत ज़रूरी है। पिछले साल भी आप एक वीडियो देख सकते हैं जिसमें महिला को निर्वस्त्र करके घुमाया जा रहा है। लोग उसको मार रहे हैं। इन सब की वजह सिर्फ और सिर्फ हमारी मानसिकता है। लोगों की सोच है, एक अंधविश्वास है।

मेरी समझ से परे है यह तथ्य कि कोई महिला कभी भी डायन या चुड़ैल बना दी जाती है, जिसका कोई पूर्ण आधार भी नहीं होता। यह लाँछन पुरुषों पर क्यों नहीं लगाया जाता? अगर किसी की पत्नी विवाह के कुछ समय बाद मर जाती है तो, वह पुरुष भी मनहूस हुआ। उसको भी भूत, पिशाच बनाओ या फिर यह महज महिला को प्रताड़ित करने का एक बहाना है, जो आपको आपके पूर्वजों ने विरासत में दिया है।

मूल चित्र : YouTube

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