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नाराज़गी तो पल भर की होती है, नज़दीकियां तो उमर भर की रहती है क्यूंकी ये दूरियाँ ही नज़दीकियां ले आयेंगी।
दूरियाँ नज़दीकियां बन जाती हैं,जब महबूब से नाराज़गी हजार हो।
दूरियाँ भले ही जिस्मों की हो,पर रूह के मिलन को कौन रोक सकता है।
ये दूरियाँ ही नज़दीकियां ले आयेंगी,जब नाराज़गी दूर हो जायेगी।
नाराज़गी तो पल भर की है,नज़दीकियां तो उमर भर की हैं।
मूल चित्र : Screenshot, Lootera Movie, YouTube
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