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आप फेमिनिस्ट हैं या इस शब्द से नफरत करती हैं? तो आखिर फेमिनिज्म क्या है और फेमिनिस्ट शब्द को लेकर इतनी नकारात्मकता क्यों है?
आज हम उस दौर में आ चुके हैं जहां महिलाओं को अधिकार मिलने शुरू हो चुके हैं, महिलाओं की स्थिति में बदलाव आना शुरू हो चुका है लेकिन आज के दौर की महिलाओं या लड़कियों की एक बड़ी संख्या है जो खुद को फेमिनिस्ट कहलवाना पसंद नहीं करती हैं।
इसके पीछे का कारण यह नहीं है कि महिलाओं को बराबर अधिकार मिल चुके हैं। ये लड़कियां अपने अधिकार तो चाहती हैं लेकिन खुद को ‘फेमिनिस्ट’ नहीं कहलवाना चाहती। एक तरफ विश्व की महान महिलाएं, बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियां, पत्रकार आदि खुद को फेमिनिस्ट कहलवाने में ज़रा भी संकोच नहीं करतीं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ आज की लड़कियाँ हैं, जो फेमिनिस्ट शब्द से बिलकुल दूरी बना कर रखना चाहती हैं।
मेरी अपनी दोस्त फेमिनिस्ट शब्द को एक नकारात्मक शब्द की तरह देखती हैं और जब मेंने उनसे उसके पीछे के कारण जानने की कोशिश की तो उनके जवाब कुछ ऐसे थे। किसी ने कहा कि फेमिनिस्ट वो होती हैं जो पुरुषों से नफरत करती हैं और हम उस श्रेणी में नहीं आना चाहते।
तो वहीं कुछ ने कहा कि एक फेमिनिस्ट की मांगे गलत होती हैं और वो समाज में इक्वालिटी नहीं लाना चाहती बल्कि वो समाज में महिलाओं का अधिपत्य स्थापित करना चाहती हैं, जो कि गलत है। तो आज यह जानना आवश्यक हो चुका है की आखिर फेमिनिज्म क्या है और फेमिनिस्ट शब्द को लेकर इतनी नकारात्मकता क्यों है?
एक समय था जब फेमिनिस्ट होना एक गर्व की बात हुआ करती थी और उन्हीं फेमिनिस्ट की वजह से समाज में आज महिलाएं काफी हद तक अपने अधिकार पा चुकी हैं। समाज में बदलाव आया और फेमिनिस्ट की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई और आज आलम यह है कि ज़्यादातर पुरुष उन महिलाओं से सख्त नफरत करते हैं जो खुद को फेमिनिस्ट मानती हैं।
जबकि एक समय ऐसा था कि महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई महिलाओं से ज़्यादा पुरुषों ने लड़ी थी और आज की लड़कियां खुद को फेमिनिस्ट नहीं कहलवाना चाहतीं।
असल बात यह है कि जो नयी जनरेशन है इसको फेमिनिज़्म के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं है उनको फेमिनिज्म क्या है और फेमिनिस्ट होने का सही अर्थ नहीं पता है। (Feminism kya hai)
परिभाषा के अनुसार, “नारीवाद यह विश्वास है कि पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर होने चाहिए। यह लिंगों की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समानता का सिद्धांत है।”
कुछ लोग हैं जिन्होंने फेमिनिस्ट का मतलब गलत समझ लिया हैऔर वो फेमिनिज्म के नाम पर नकारात्मकता फैला रहे हैं और शायद इसीलिए फेमिनिस्ट शब्द को गलत नज़रिये से देखा जाने लगा है। लेकिन वहीँ दुनिया की कुछ ऐसी हस्तियां भी हैं जो असली फेमिनिस्ट हैं उनके विचार सुन के फेमिनिस्ट का असली अर्थ पता चलता है।
फेमिनिस्ट का मतलब सिर्फ महिला अधिकारों की बात करना नहीं है। फेमिनिज्म अधिकारों की बात करता है। फेमिनिस्ट महिलाओं व पुरुषों के बीच के प्राकृतिक अंतरों को मिटाना नहीं चाहती हैं। फेमिनिस्ट होने का अर्थ है कि समाज में सभी इंसानों को बराबर सामाजिक अधिकार मिलें।
फेमिनिस्ट होने का अर्थ यह नहीं है की पुरुषों से नफरत की जाए। विश्वविख्यात हॉलीवुड अभिनेत्री एमा वॉटसन ने अपनी २०१४ की यूनाइटेड नेशंस की स्पीच में कहा था कि ‘फेमिनिस्ट’ एक नकारात्मक शब्द बनता जा रहा है और उन्होंने यह भी बताया की फेमिनिज्म शब्द सिर्फ महिलाओं के अधिकारों क लिए लड़ना नहीं है।
बल्कि इस शब्द से पुरुषों का भी ताल्लुक है। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि पुरुष इस शब्द को अपनाएं ताकि उनकी बेटियां, बहनें और माताएं पूर्वाग्रह से मुक्त हो सकें, और यह भी कि उनके बेटों को मानवीय होने की भी अनुमति मिले।”
आज की लड़कियां जो फेमिनिस्ट शब्द से नफरत करती हैं। उनको इस शब्द के महत्त्व और असली मतलब को समझाना होगा। आज कल सोशल मीडिया पर हम रोज़ ऐसे पोस्ट देखते हैं जिनमें लिखा होता है कि एक बदसूरत, असभ्य और नकारात्मक महिला फेमिनिस्ट बन जाती है।
ऐसे पोस्ट साफ़ यह दर्शाते हैं कि फेमिनिस्ट शब्द को लेकर सबकी सोच कितनी गलत हो चुकी है। और इस सोच को बदलने का एक मात्रा उपाय यह है कि नारीवाद की पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाए। और दुनियाभर की महान सशक्त स्त्रियां खुद को फेमिनिस्ट कहलाने में क्यों गर्व महसूस करती हैं यह बताया जाए।
पढ़ी लिखी स्त्रियां व पुरुष दोनों ही फेमिनिज्म के सही अर्थ से परिचित हैं, इसीलिए वो नारीवाद के पक्ष में हैं और एक समाज को सम्रद्ध और सुशिक्षित बनाने के लिए नारीवाद जैसे शब्दों को बढ़ावा देना चाहिए।
मूल चित्र : Still from the Hindi Short Film, Khwaishein – Desires Of A Housewife, YouTube
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