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पति-पत्नी के रिश्तों की घुटन और खोखलेपन को दिखती इस फिल्म का नाम पहले डब्बा गुल था और ये शार्ट फिल्म मात्र 50 घंटे में तैयार हुयी।
कभी-कभी लगता है ना ज़िंदगी बस चले जा रही है और उसमें कुछ बदल नहीं रहा। घिसी-पिटी ज़िंदगी जीने की इस कदर आदत हो जाती है कि हम एक-दूसरे की भावनाओं को अनदेखा करने लग जाते हैं। समझ ही नहीं पाते कि कहीं कोई घुट तो नहीं रहा है। हमें लगता है सब सही है और कभी पूछने की ज़हमत भी नहीं उठाते। वक्त हमारे हाथ से रेत की तरह फिसलता रहता है और हम बस देखते रह जाते हैं। कुछ इसी एहसास को ज़ेहन में रखकर डाइस मीडिया की ये फिल्म “TO BE FREE, YOU HAVE TO LET GO” बनाई गई है।
पत्नी रोज़ सुबह रेडियो पर फिल्मी सितारों की गपशप वाला एक प्रोग्राम सुनते-सुनते लंच बनाती है। पति ऑफिस के लिए तैयार होता है, रसोई में आता है, पत्नी को प्यार से गले भी लगाता है और अपना लंच बॉक्स उठाकर अगले कुछ घंटों के लिए ऑफिस चला जाता है।
यही रूटीन चलती रहती है, चलती रहती है, चलती रहती है, चलती ही रहती है। पत्नी समझ जाती है कि अब इस रिश्ते को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है और तलाक का फ़ैसला करती है लेकिन उसका तरीका थोड़ा अलग है।
बिना कुछ कहे सब कुछ कह देने वाला, एकदम मौन, फिर भी तेज़ शोर जैसा। वो जवाब पति को पत्नी के तैयार किए गए आख़िरी लंच बॉक्स में मिल जाता है। ‘Action speaks louder than words’ इस फिल्म का पूरा सार है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक शायद बर्तनों की आवाज़ से तैयार किया गया है जो लगातार आपको नींद से जगाने का काम करता है और स्टोरी में एक सूत्रधार सारी भूमिका निभाता है रेडियो, क्योंकि बस वही है जिसके लिए कुछ डायलॉग लिखे गए हैं।
‘To be free, you have to let go’ फिल्म सिर्फ 50 घंटे में बनाई गई है यानि लगभग 2 दिन में। यह शॉर्ट फिल्म ‘इंडिया फिल्म प्रोजेक्ट’ का हिस्सा थी। डाइस मीडिया के तहत राइटर और डायरेक्टर कुशल वर्मा ने अपनी टीम के साथ इस फिल्म को बनाया था जिसका नाम पहले डब्बा गुल था लेकिन बाद में बदल दिया गया।
मुंबई में साल 2011 में इंडिया फिल्म प्रोजेक्ट चैलेंज की शुरुआत हुई थी। ये दुनिया का सबसे बड़ा क्रिएटिव चैलेंज माना जाता है। हर साल सितंबर-अक्टूबर में होने वाले इस चैलेंज के तहत प्रतिभागियों को 50 घंटे का वक्त दिया जाता है । इस समयसीमा में उन्हें कॉन्सेप्ट सिलेक्शन, राइटिंग, एक्टिंग, डायलॉग, डायरेक्शन, एडिटिंग और सबमिशन सब करना होता है। 50 घंटे में एक पूरी फिल्म बनाना और वो भी ऐसी जो लोगों को पसंद आए अपने आप मे चैलेंजिग काम है।
पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ विश्वास और सम्मान पर ही नहीं टिका होता। सदियों से हम बस यही बात दोहराए जा रहे हैं लेकिन सबसे ज़रूरी बात बताना भूल ही जाते हैं।
जिस रिश्ते में कोई कम्युनिकेशन नहीं होता वो अंदर ही अंदर खाली होता रहता है। हो सकता है इस बात का एहसास आपको ताउम्र ना हो लेकिन ख़ुद से बात करेंगे तो पता चल जाएगा। खीचेंगे तो ख़ुद को ही चोट लगेगी इसलिए कभी-कभी थोड़ा रूकिए, बात कीजिए, एक-दूसरे को सुनिए, कुछ बदलिए, कुछ नया कीजिए। बात करेंगे तो बहुत सी नई बातें पता चलेंगी।
मूल चित्र : YouTube
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