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क्या गुनाह कर दिया मैंने…

रिया ने अपने हाथों में लिया मोबाइल बेड पर फेंकते हुए कहा "तुम भी तो सारा दिन मोबाइल देखते हो, यदि मैंने देख लिया तो क्या गुनाह कर दिया?"

रिया ने अपने हाथों में लिया मोबाइल बेड पर फेंकते हुए कहा “तुम भी तो सारा दिन मोबाइल देखते हो, यदि मैंने देख लिया तो क्या गुनाह कर दिया?”

“अरे रिया, तुम्हारा ध्यान कहाँ है? देखो, बच्चों ने घर का क्या हाल कर दिया है। जगह जगह खिलौने बिखरे पड़े हैं और एक तुम मोबाइल को निहार रही हो?” 

अभी तक नाश्ता नहीं बनाया है तुमने

विराज ने कहा “मोबाइल में क्या करती रहती हो सारा दिन? अपने कानों को थोड़ा आराम भी दे दिया करो। पूरा दिन इनमें इयरफोन लगा कर रखती हो। कितने गाने सुनती हो? तुम्हें कुछ सुनाई भी दे रहा है या मैं ऐसे ही चिल्ला रहा हूँ। बच्चों को भूख लगी है, दोपहर के 12 बज गए हैं। अभी तक नाश्ता नहीं बनाया है तुमने।”

तुम भी तो सारा दिन मोबाइल देखते हो

विराज बोले ही जा रहा था, तभी रिया ने अपने हाथों में लिया मोबाइल बेड पर फेंकते हुए कहा “तुम भी तो सारा दिन मोबाइल देखते हो, यदि मैंने देख लिया तो क्या गुनाह कर दिया? मेरे भी फ्रेंड्स हैं जो ऑनलाइन रहते हैं। यदि उनसे थोड़ी देर बात कर लेती हूं तो इसमें बुराई क्या है?”

हम साथ रहकर भी साथ नहीं हैं

“तुम भी तो सुबह उठते ही मोबाइल से सबको मैसेज भेजते हो, रात को भी देर तक मोबाइल के साथ कुछ न कुछ करते रहते हो। मैं रोज़ बिस्तर के एक कोने में पड़ी तुम्हारा इंतज़ार करती हूं कि तुम कब फ्री होकर मुझसे प्यार के दो बोल बोलोगे। हम साथ रहकर भी साथ नहीं हैं। हम दोनों को एक साथ समय बिताए महीनों हो गया है। लेकिन तुम्हें मेरी कोई परवाह नहीं है।” 

रिया ने विराज को देखते हुए कहा “अब तुम ही बताओ, यदि आपकी तरह मैंने भी मोबाइल को अपना दोस्त बना लिया है और अब से मोबाइल ही मेरा दोस्त है।”

“मुझे अब आपकी जरूरत नहीं है” रिया ने बच्चों का हाथ पकड़ते हुए कहा।

इतना सब सुनने के बाद विराज को अपनी गलती का एहसास हो गया था

अब उसने रिया से कहा “अच्छा तो ये बात है, तुम मेरा गुस्सा अपने बच्चों पर निकाल रही हो। आज से और अब से ऐसा नहीं होगा। अब मैं तुम्हें ज्यादा और मोबाइल को कम समय दूँगा, मैं तुमसे वादा करता हूँ। आज के बाद तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूँगा। “

“चलो, अब हम दोनों मिलकर बच्चों के लिए पाव भाजी बनाते हैं” विराज ने मुस्कुराते हुए कहा।

तभी रिया को हंसी आ गयी और वो बोल पड़ी “ये सब तो मैंने आपको मोबाइल से छुटकारा दिलाने के लिए नाटक किया था। नाश्ता तो मैंने कब का बना लिया है”, और फिर दोनों हँसने लगे। 

दोस्तों, आजकल मोबाइल हमारे रिश्तों पर भी प्रभाव डाल रहें हैं। जहाँ एक ओर हम क़रीबी और दूर के रिश्तों के करीब आ गए हैं, लेकिन फिर भी अपने पास रहने वालों के दिलों से काफी दूर हो गए हैं। मोबाइल से पास हैं, लेकिन फिर भी दूरी है।

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मूल चित्र : Pexels

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