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लेडीज संगीत के ये 12 लोक गीत आज भी बढ़ाते हैं हर शादी-ब्याह की रौनक!

लेडीज संगीत में पहले ज़माने में बच्चों से लेकर बूढ़ी औरतों तक सब मज़े करते थे, ढोलक और उस पर चम्मच से तान बजायी जाती थी, औरतें घूँघट कर के नाच किया करती।

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लेडीज संगीत में पहले ज़माने में बच्चों से लेकर बूढ़ी औरतों तक सब मज़े करते थे, ढोलक और उस पर चम्मच से तान बजायी जाती थी, औरतें घूँघट कर के नाच किया करती।

भारतीय संस्कृति में जब हम किसी शादी के बारे में सुनते हैं तो सबसे लेडीज संगीत, रतजगे, ढोलकी और मेहंदी की रातें याद आती हैं। शादी के समारोह में कोई मज़ाक करता है या ससुराल वालों को गालियाँ दे देकर गाने बजाए जाते हैं, घर में गाने का समारोह रखा जाता है, बहुत मज़ा आता है। शादी के रतजगे में और गीतों में पहले ज़माने में बच्चों से लेकर बूढ़ी औरतों तक सब मज़े करते थे। ढोलक और उसपर चम्मच से तान बजायी जाती थी, औरतें घूँघट कर के नाच किया करती थी।

आज आपको थोड़ा सा पीछे ले चलते हैं, मतलब पुराने दिनों की यादें ताज़ा करने के लिए कुछ प्रसिद्ध शादी के लोग गीतों की एक माला। और इनमें कुछ समय के साथ साथ चलने वाले नए लोक गीत भी हैं!

लेडीज संगीत के इन लोक गीतों को सुनिए, देखिये और आनंद लीजिए

बीवी मिल गयी फैशनदार

सबसे पहले सुनते हैं बीवी के फ़ैशन को लेकर एक नायाब और मज़ेदार गाना। सुनिए भी और देखिए भी। 

टेड़े बालम कभी तो सीधे होएंगे

खट्टे नींबू तो सबने खाया होगा, आज मीठे नींबू से टेढ़े मेढ़े साजन को ठीक करने और एक गीत की तान सुनते हैं।

तार बिजली से पतले हमारे पिया

आज सासू माँ की ख़ैर नहीं, आज पतले पिया को लेकर सासू माँ की खिंचाई हो रही है। आईये हम भी देखते हैं…

करेले की चटनी बनायी बलम को मीठी लगी

कभी सुना है कड़वे करेले की चटनी में मीठी चाशनी जैसी मिठास हो, हाँ! हो तो सकती है, इस लोकगीत से हमको तो यही लगा, तो आइए हम भी करेले की मीठी चटनी के चटखारे लेते हैं…

मेरी री सास के पांच पुतर थे

‘मेरी री करम में बावलिया लिखा था’, यह लोकगीत अत्यधिक प्रसिद्ध है, इसमें पत्नी अपने पति के दिमाग की कहानी सुना रही है। लो आप भी सुनो।

अनाड़ी बलमा

देखिए, एक अनाड़ी बलमा आपकी क़दर नहीं जानता, तो आप उसको ऐसे गा गा कर मना सकती हैं। यह एक मज़ेदार गीत है।

कोठे ऊपर कोठड़ी

कोठे ऊपर कोठड़ी’, यह गाना तो हर किसी ने अपने जीवन नें कभी न कभी तो सुना होगा। यह है भी मज़ेदार, इसमें लड़की अपनी व्यथा सुना रही है। आप भी सुनिए।

सासु लड़ मत न्यारी कर दे

‘सासु लड़ मत , न्यारी कर दे’, सास और बहू की नोकझोंक पर फिल्माया यह गीत शादी समारोह पर अच्छा बन पड़ा है। बहु अपनी सास से विनती कर रही है, सासु लड़ मत चाहे मुझे अलग कर दे। सुनिए आप भी।

दिल ले के जा रहे हो

बहुत हल्का फुल्का प्यारा सा लोकगीत जिसमें प्यार और मोहब्बत की दास्ताँ बयां की गई है। बहुत अलग सा एहसास है इस गीत का, शादी के रतजगे की रात को इसको महिलाओं के साथ मिलकर गाया जा सकता है।

सारा ज़माना बदनाम करे

हेमा जी और उनकी बहू द्वारा स्वरचित यह लोकगीत बहुत ही लोक प्रिय, आजकल व्हाट्सएप्प और फ़ेसबुक के दौर में प्रेम विवाह कैसे परवान चढ़ता है, उस गाने में आपको सारी बातों का रस मिलेगा। ध्यान से सुनें बहुत मज़ा आएगा।

बेटा बेटा मत कर सासु

इस लोकगीत में तो आपको ज़बरदस्त मज़ा आने वाला है, टिकटॉक के ज़माने में इस गाने ने तो ख़ूब धूम मचाई। इसमें बहू अपनी सास को समझा रही है, सासु माँ आपका बेटा शादी के बाद मेरा हो गया है अब वो आपका नहीं रहा, इसी बोल से संकलित ये गीत आपको अच्छा लगेगा।

सखी आज कैसी मनोहर घड़ी है

हेमा जी और उनकी बहू द्वारा एक और मनोहर गीत, जिस को सुन कर आप वास्तव में भावविभोर हो जाएंगे। आपके सामने एक विह्नगम दृश्य खुद ब खुद बन जायेगा।

https://www.youtube.com/watch?v=BlfdKizN-bU&feature=youtu.be

यह सारी लोकगीतों और लेडीज़ संगीत की एक लड़ी आपके लिए पेश की, वो पुराने दिन की एक झलक लौट आई।

आजकल तो एक पूरा भव्य समारोह होता है, खाना पीना बड़े तौर पर किया जाता है, यहाँ तक कि लेडीज संगीत के लिए कई जगह कार्ड छपने लगे हैं और यह भव्य समारोह पूरी रात चलता है। मगर इस समारोह में वो बात नहीं आती, जो पुराने ज़माने में घर घर जाकर बच्चे बोलते थे कि ‘आंटी आज हमारे घर गीत है शाम को 9 बजे आ जाना…खाने में खीलें, और मट्ठियाँ और बूंदी के लड्डू मिला करते थे, और महिलाओं के घूँघट में करते हुए डाँस आज भी इन भव्य समारोह के आगे कहीं ज़्यादा प्रभावशाली हैं।

आज वो लड्डू और गीतों की साधारण सी शाम, याद आती है…

मूल चित्र : Youtube

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