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लड़कों की शादी लड़का क्या करता है के बल पर होना कितना सही है? क्या ये उतना ही गलत नहीं जितना कि लड़की को शादी के लिए खाना पकाना आता है पूछना...
लड़कों की शादी लड़का क्या करता है के बल पर होना कितना सही है? क्या ये उतना ही गलत नहीं जितना कि लड़की को शादी के लिए खाना पकाना आता है पूछना…
आज विमेंस वेब पर लड़कों के बारे में बात करते हैं….
अक्सर सभी ये शिकायत करते हैं कि लड़कों को लड़कियों की इज़्ज़त करनी नहीं आती, ज़्यादातर लड़के लड़कियों को सामान समझते हैं, उनकी कद्र नहीं करते …
हम सब ये सारी चीज़ें सालों से सुनते और देखते आ रहे हैं लेकिन इनमें अभी तक कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिला है, जिससे यह समझ आता है कि हम सभी के प्रयासों में कुछ गड़बड़ है।
पहली बात तो हमें यह समझनी होगी कि गलती सिर्फ लड़कों की नहीं है गलती है हमारे समाज की है।
हमारे यहां माँ ने हमेशा अपने लड़के को सिखाया है कि उसको कमाना होगा, उसको अच्छी नौकरी मिलनी चाहिये। सभी का लक्ष्य रहता है कि वो अपने बेटों को हर तरीके से यह बता सकें कि पैसे होने पर वो जीवन में कुछ भी कर सकते हैं। कभी कोई उनको ये सिखाता ही नहीं की अच्छा इंसान बनना कितना ज़रूरी है।
वास्तव में उनको कोई यह ही नहीं बताता की उनको इंसान बनना चाहिए। अगर ध्यान से सोचें तो एहसास होता है कि बचपन में लड़के भी लड़कियों जैसा ही आम व्यवहार ही करते हैं। वो भी रोते हैं, वो भी हँसते हैं।
लेकिन जैसे जैसे वो बड़ो होते हैं और समझदार होते हैं तो उनमें से इंसानियत ख़तम होने लगती है, क्यूंकि सब उनको सिखाना शुरू कर देते हैं कि अच्छे नंबर लाओ तो एक दिन बड़े पद पर बैठ सकोगे और अच्छे पैसे कमा सकोगे।
उनको सिखाना शुरू कर देते हैं कि लड़के रोते नहीं हैं और भावनात्मक होना भी लड़कों का काम नहीं होता। उनको अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहिए और पैसे कमाने चाहिए। और एक समय बाद वो पैसे कमाने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वो अपनी सब भावनाओं को नज़रअंदाज़ करने लगते हैं और पैसे कमाने वाली मशीन की तरह व्यवहार करने लगते हैं।
एक सच यह भी है कि पहले महिलाओं को कमाने और पढ़ने-लिखने का अधिकार नहीं था इसीलिए पुरुष कमाते थे और महिलाओं को अपना सामान समझते थे। जो नहीं कमाते थे उनको तिरस्कृत नज़र से देखा जाता था। उनकी समाज में इज़्ज़त नहीं होती थी। तो तभी से उन्हें यह समझाया गया कि पुरुषों को इज़्ज़त चाहिए तो उनको कमाना होगा। वैसे उस समय महिलाओं को भी यह सिखाया गया था कि महिलाओं का काम घर का काम करना, खाना बनाना है।
अब समाज बदल चुका है, अब ऐसा नहीं है कि लड़कियों पर पैसे कमाने की ज़िम्मेदारी या दबाव नहीं है। अब लड़कियों को भी लड़कों के बराबर शिक्षा दिलाई जा रही है। उनको लड़कों जितने अवसर भी दिए जा रहे हैं। लेकिन लड़कों की सोच में कुछ ख़ास बदलाव नहीं आ रहा है। और उसके पीछे का कारण यह है कि लड़कियों की ज़िन्दगी में तो बदलाव आ रहे हैं लेकिन लड़कों की ज़िन्दगी में बदलाव नहीं आये हैं।
आज लड़कियां तो इस बात पे सवाल उठाने लगी हैं कि लड़कियां ही खाना क्यों बनाएं लेकिन लड़के यह नहीं पूछ सकते की आखिर वो ही क्यों कमाएं? आखिर क्यों लड़कों जितनी ही शिक्षा प्राप्त की हुई लड़की को बिना कमाए भी समाज में इज़्ज़त मिल जाती है लेकिन वहीं एक कम शिक्षा प्राप्त किये हुए लड़के को किसी भी कीमत पे कमाना पड़ता है?
आज भी जब किसी लड़की के लिए लड़का देखा जाता है तो पहले यह देखते हैं कि लड़का क्या करता है, उस लड़के की सैलरी कितनी है, उसके पास कौन सी कार है, उसका बैंक बैलेंस क्या है…..? और फिर हम उसी लड़के से यह उम्मीद करते हैं कि वह लड़कियों की इज़्ज़त करे। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि उसको वह लड़की उसके अच्छी सैलरी के बदले मिली है, उसके अच्छे गुणों की वजह से नहीं। आज लड़कियां कितनी भी शिक्षित क्यों न हो जाएँ लेकिन अगर उनको नौकरी में कुछ खास दिलचस्पी ना हो तो वह नौकरी नहीं करतीं लेकिन यह बात लड़कों पे लागू नहीं होती है।
यह बात सही है कि पैसों के बिना जीवन यापन नहीं होता लेकिन पैसे कमाने का भार सिर्फ पुरुषों पे डालना कितना सही है, यह बात विचारणीय है। लड़कों की शादी लड़का क्या करता है के बदले होना कितना सही है यह सोचना होगा।
लड़कों को उनकी सैलरी से आंकना उतना ही गलत है जितना की लड़की को उसके खाना बनाने की क्षमता से आंकना। नौकरी उसको करनी चाहिए जिसकी इच्छा हो। नौकरी नहीं करने वाले आदमी को समाज में सम्मान नहीं मिलना भी गलत है।
यही कुछ कारण हैं जिनकी वजह से समाज में लड़कियों को वह स्थान और इज़्ज़त नहीं मिल पा रही है जिसकी वो हक़दार हैं। अगर हमें वाकई समानता चाहिए तो हमें ऐसी छोटी-छोटी बातों पे विचार करना होगा।
लोग कहते हैं कि महिलाएं समाज बनाती हैं तो इस सामज के हित के लिए महिलाओं को भी देखना होगा की आखिर वो क्या कारण हैं जिनकी वजह से पुरुषों का व्यवहार महिलाओं के प्रति ऐसा है? हर परिवार में पल रहे लड़के को जीवन का सही गलत हम सब को ही बताना है। गलत सह कर आगे भी गलत किये जाना कोई हल नहीं।
इस आर्टिकल में, मैं यह बिलकुल नहीं कहना चाहती कि महिलाओं को इज़्ज़त ना मिलने का एक यही कारण है। लेकिन यह कहना गलत भी नहीं होगा कि कहीं ना कहीं ऐसे ही छोटे-बड़े कारण हैं जिनकी वजह से हमारी सोच नहीं बदल पा रही है।
मूल चित्र : Canva
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