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नंदिता दास की शॉर्ट फिल्म 'लिसन टू हर' उन दोनों शोषण की चर्चा को सतह पर लाने की कोशिश करती है जिसका अनुभव हर महिला ने कभी न कभी किया है।
नंदिता दास की शॉर्ट फिल्म ‘लिसन टू हर’ उन दोनों शोषण की चर्चा को सतह पर लाने की कोशिश करती है जिसका अनुभव हर महिला ने कभी न कभी किया है।
बॉलीवुड एक्टर, डायरेक्टर और सोशल एक्टिविस्ट नंदिता दास ने हाल ही में अपनी एक शॉर्ट फिल्म बनाई है लिसन टू हर। घरेलू हिंसा पर आधारित इस शॉर्ट फिल्म को नंदिता दास ने बीते मंगलवार को अपने यूटूयूब पर साझा किया है। फिल्म में लॉक डाउन के दौरान समाज में महिलाओं के साथ हो रही घरेलू हिंसा को दिखाया गया है।
ज्यादा नहीं, बस सात मिनट की नंदिता दास की शॉर्ट फिल्म ‘लिसन टू हर’ घरेलू हिंसा पर आधारित है परंतु, यह केवल घरेलू हिंसा को ही नहीं दिखाती है। यह फिल्म एक साथ उन दोनों शोषण की चर्चा को सतह पर लाने की कोशिश करती है जिसका अनुभव महिलाओं की दुनिया ने तो हमेशा से किया है, समाज को इसका एहसास लॉक डाउन के दौरान अधिक हुआ है। लेकिन इस बात को समझने और सुनने की कभी हमने कोशिश भी की है? कितना ज़रूरी है एक औरत को सुनना? कभी आपने सिर्फ ‘सुनने ‘की कोशिश की? एक बार को अपनी जजमेंट को साइड में करें ! फिर देखें अपनी कहानी कहीं न कहीं हर औरत में सुनाई देगी।
घरेलू हिंसा की शिकार मामलों में शारीरिक हिंसा पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है। परंतु यह अपने जख्म मानसिक रूप से पीड़ित को और पीड़ित के प्रति संवेदनशील होने वाले व्यक्ति को भी देता है। जिसकी चर्चा किसी कानून की किताब में न्याय दिलाने वाली अदालतों के बहस में नहीं होता है।
शॉर्ट फिल्म ‘लिसन टू हर’ में नंदिता एक कामकाजी महिला के रोल में है जो एक वीडियो कॉल के माध्यम से अपना काम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कभी बेटे के कारण तो कभी पति के कारण तो कभी घर के काम के कारण उसके काम में बाधा उत्पन्न हो रही हैं। घड़ी-घड़ी चीखता, हुक्म झाड़ता पति वीडियो में कहीं नहीं है पर उसका बैंकग्राउंड बहुत पावरफुल है, ठीक उस पितृसत्ता के तरह जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं।
वह इसी वीडियो कॉल में है कि तभी मोबाईल की घंटी बजती है और गलत नम्बंर समझ कर नंदिता फोन को काट देती हैं, लेकिन जब मोबाईल दुबारा बजता है तो उस महिला की चीखें सुनकर नंदिता फोन नहीं काट पाती हैं।
लॉक डाउन की वजह से देश में ही नहीं पूरे दुनिया में घरेलू हिंसा के मामले दोगुनी हो चकी है। कई महिलाएं अपने हिंसक पार्टनर्स/परिवार के सदस्यों के साथ घर में बंद होने को मजबूर हैं। नेशनल कमीशन फॉर विमेन के अनुसार, 23 मार्च से लेकर 16 अप्रैल के बीच कमीशन के पास 239 शिकायतें आईं, मेल और वॉट्सऐप के ज़रिए। राज्य सरकारों ने अंत में कुछ अतिरिक्त्त हैल्प लाइन नम्बर जारी किए।
कई देशों में सरकार को यह घोषणा करनी पड़ी की जो लोग घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं, उनके लिए सरकार होटल के कमरों में रहने का इंतजाम करेगी, कमरों के पैसे देगी, जब तक मामला बेहतर तरीके से हैंडल नहीं हो जाता।
अभिनेत्री विद्या बालन और कृति सेनन ने भी अलग-अलग वीडियो शेयर कर संदेश दिया था कि घरेलू हिंसा के मामले पर चुप नहीं रहें। लॉकडाउन के दौरान आपको घर पर रहना है इस दौरान ऐसे डर में आप हताशा, डर और बैचेनी सब महसूस कर रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनों पर जुल्म करें। यह वक्त सुख-दुख बांटने का है और कंधे से कंधा मिलाकर करोना संक्रमण से लड़ने-भिड़ने का है।
मूल चित्र : YouTube
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