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पिता एक ऐसा शख्स है जो परिवार रुपी भवन का सबसे मजबूत स्तम्भ है, पिता मजबूती, चट्टान, पहाड़, झील और न जाने ऐसे कितने शब्दों के पर्याय हैं।
पिता पर्याय है कुछ शब्दों का!
पिता यानि मजबूती..जिसके बलबूते पर बचपन से ही, बजती सन्तान की तूती।
पिता यानि चट्टान..जिसका नाम जुड़ते ही बढ़ती आन, बान, शान।
पिता यानि पहाड़..कष्टों और सन्तान के मध्य बन खड़ा है आड़।
पिता यानि झील..अन्दर उथल-पुथल कितनी भी, बाहर से दिखता शील।
पिता यानि सागर..जिसके सिर पर ज़िम्मेदारी की बहुत बड़ी सी गागर।
पिता यानि भोर..चुपचाप झेले सभी मुसीबत, नहीं मचाता शोर।
पिता यानि पर्व..बच्चे आगे बढ़ें तो करता खुद पर गर्व।
चिन्ता न कर मेरे बच्चे, मैं हूँ ना।मुझे बता, मैं कर दूँगा, क्यूँ परेशाँ होता है।
बूढ़े हाथों की थपकी, बूढ़ी आँखों का संबल,उनका इतना कहना ही, मुझको नवजीवन दे जाता है।
मेरी इच्छा की खातिर,अपनी इच्छा का रखा न ध्यान,मुझको भगवन ऐसा वर दो, बढ़ा सकूँ मैं उनका मान।
मूल चित्र : Canva
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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