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26 जून 2020 को विनी महाजन को पंजाब की पहली महिला चीफ़ सेक्रेटरी नियुक्य किया गया। इससे पहले कभी कोई महिला इस पद पर नियुक्त नहीं हुई है।
भारत में आज भी शिक्षा को एक महत्वपूर्ण आयाम नहीं माना जाता, और ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात और भी बदतर हैं, भारतीय लोगों में शिक्षा के अभाव को देखा जा सकता है। इस बात की सबसे विचारशील स्तिथि महिलाओं के साथ है। यदि, महिलाओं और पुरुषों की शिक्षा पर गौर करें तो पाएंगे महिलाओं की स्तिथि दुर्भाग्यपूर्ण दयनीय है। फिलहाल हम बात करते हैं पंजाब की, जहाँ शिक्षा के आँकड़ों को देखें तो पाएंगे की शिक्षित पुरुष 80.44% हैं और वहीं दूसरी ओर शिक्षित महिलाएं 70.73% हैं। ( 2011 के आँकड़ो की मुताबिक) हम देख सकते हैं कि कितना बड़ा अंतर है, यह गहन समस्या है, जिसके विषय में लोगों को जागरूक होना ज़रूरी है।
इसी बीच हम यह भी देख सकते हैं कि कई महिलाएं आज के पुरुषवादी समाज को ठेंगा दिखा कर आगे की ओर बढ़ रहीं हैं, उनके लिए पितृसत्ता शून्य है। वह पितृसत्ता को कुचलती हुई आगे की ओर बढ़ रहीं हैं। उनमें से ही एक हैं विनी महाजन जिन्होंने अपनी मूल शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से 86% अंकों से पास की उसके बाद दिल्ली की मशहूर कॉलेज, लेडी श्रीराम से इकोनॉमिक्स में स्नातक की डिग्री हासिल की।
बताते चलें कि विनी बहुत ही होशियार और दृढ़ निश्चय रखने वाली महिला बनकर उभरीं। दिल्ली यूनिवर्सिटी की तरफ से उनको रेक्टर्स प्राइज से भी नवाज़ा गया। IIM कोलकाता ने उन्हें रोल ऑफ ओनर से भी नवाज़ा। यह क़ाबिले तारीफ़ कार्य रहा। वहीं 26 जून 2020 को उनको पंजाब की पहली महिला चीफ़ सेक्रेटरी नियुक्य किया गया। इससे पहले कभी कोई महिला इस पद पर तैनात नहीं हुई है। विनी महाजन ने चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह की जगह ली है।
इनके पिता को मैन ऑफ इंटेग्रिटी के नाम से जाना जाता था। विनी महाजन भारत सरकार की सेवा में सचिव का पद संभालने वाली पंजाब कैडर की एकमात्र अधिकारी हैं। वह पंजाब में निवेश प्रोत्साहन, उद्योग एंव वाणिज्य, आइटी और प्रशासनिक सुधार और जन सुनवाई विभाग जैसे विभागों की अतिरिक्त मुख्य सचिव रहीं। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र रिस्पांस और खरीद कमेटी (Health Sector Response & Procurement Committee) की चेयरमैन के तौर पर कोविड-19 के संकट के नियंत्रण में अहम भूमिका निभाई है।
यह कितने गौरव की बात है, और आजकल के पिता को ऐसे पिता से सीख लेनी चाहिए, देखिए, आज कैसे एक महिला ने अपना कन्धा कुछ पितृसत्ता के पुजारियों से ऊंचा कर लिया।ज़्यादातर भारतीय पुरुषों के विचार यही रहते हैं कि लड़की है इसको पढ़ने की क्या ज़रूरत।
आज हम देख सकते हैं और गर्व से सीना ऊंचा कर सकते हैं कि विनी आज किस मुक़ाम पर हैं। उनकी उपाधियों को गिनते गिनते आपके हाथ थक सकते हैं, मगर विनी ने ख़ुद को कामयाब करने के लिए अपने निश्चय को कभी थकने नहीं दिया। वह मिसाल हैं, और एक ऐसा चिराग़ हैं उन महिलाओं के लिए जो कहीं न कहीं किसी घुप अंधेरे में अपने अस्तित्व को नज़रअंदाज़ किए हुए हैं। हमें उनकी आवाज़ बनना है, और चीख़ चीख़ कर सबको बताना है, महिलाओं को कमज़ोर बनाया जाता है, वरना उनसे बलवान शायद ही इस दुनिया में कोई होगा।
मूल चित्र : YouTube
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