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विरह वेदना की लड़ियों में अपनी आत्मा की संतुष्टि का मिल पाना मुश्किल है, यह ज़रूरी नहीं कि जिसको हम चाहते हैं, हमको वो मिल जाए...
विरह वेदना की लड़ियों में अपनी आत्मा की संतुष्टि का मिल पाना मुश्किल है, यह ज़रूरी नहीं कि जिसको हम चाहते हैं, हमको वो मिल जाए…
मेरे सवालों पर तेरा ख़ामोश हो जाना, मेरी ख़ुशियों पर किसी और को हक़ दे जाना, बाहों में पनाह की ख़ातिर तेरा हर पल मुझे तरसाना, याद है मुझे ज़माने भर के सामने वो तेरा ग़ैर हो जाना।
यूँ तो कोई शिकवा ही नहीं था मुझे मेरी ज़िंदगी से, पर तेरे न होने का ज़िंदगी से शिकवा हो जाना, मेरी उजली रातों का वो स्याह हो जाना, याद है मुझे ज़माने भर के सामने वो तेरा ग़ैर हो जाना।
बेवजह बेशुमार मेरे आँसुओं का बरस जाना, फिर भी तुझ पर मेरा हक़ न जता पाना, चाहत का नफ़रत में बदल जाना, याद है मुझे ज़माने भर के सामने वो तेरा ग़ैर हो जाना।
दिल का दर बदर ठोकरें खाना, एक पल कहीं न चैन पाना, मेरे दिन का अंधकार मय हो जाना, याद है मुझे ज़माने भर के सामने वो तेरा ग़ैर हो जाना।
मूल चित्र : Pexels
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