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अवसाद ग्रस्तता के समय कुछ सकारात्मक सोच के कथनों को पढ़ने और लिखने से मुझे उसका मुकाबला करने की हिम्मत प्राप्त हुई।
अवसाद ग्रस्तता के समय इन 10 सकारात्मक सोच के कथनों को पढ़ने और लिखने से मुझे उसका मुकाबला करने की हिम्मत प्राप्त हुई।
अनुवाद : मान्या श्रीवास्तव
अवसाद ग्रस्तता के समय कुछ सकारात्मक सोच के कथनों को पढ़ने और लिखने से मुझे उसका मुकाबला करने की हिम्मत प्राप्त हुई। यहाँ उनमें से दस कथन हैं जो शायद आपकी भी मदद कर सकते हैं।
चेतावनी : इस पोस्ट में अवसाद और कुछ आत्महत्या की प्रवृत्ति का विवरण है जो कुछ लोगों को उद्धेलित कर सकता है।
यह एक सच है : जीवन कठिन है और जब आपको कोई एक मानसिक बीमारी होती है या दो, तो यह और कठिन हो जाता है। मैं यह इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती हूं?
क्योंकि मैं नैदानिक अवसाद यानि क्लिनिकल डिप्रेशन, सामान्यीकृत चिंता, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार के लक्षणों से जूझ रही हूँ। मुझे पूरा यकीन है कि मैं भी एगोराफोबिक बॉर्डरलाइनर हूं, लेकिन इस कहानी के बारे में कभी फिर बात करेंगे ।
इन सभी मानसिक बीमारियों में से अगर कोई ऐसी बीमारी हो जिससे मैं छुटकारा पाने के लिए चुन सकती हूं, तो यह मैं नैदानिक अवसाद चुनुंगी ।
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, इस तरह का अवसाद मेरे जीवन के हर पहलू पर एक बड़ा प्रभाव डालता है। मैं हर सुबह थकी हुई और उदास जागती हूँ और दिन के ख़तम होने का इंतज़ार करती हूँ ताकि मैं अपने सुरक्षित स्थानों में से एक में वापस जा सकूं : मेरा बिस्तर। और ये यहीं पर ख़त्म नहीं होता है – मुझे आत्महत्या करने विचार भी आते हैं।
आत्महत्या के विचार दो प्रकार हैं : निष्क्रिय और सक्रिय। निष्क्रिय आत्मघाती व्यवहार तब होता है जब आप अब जीना नहीं चाहते हैं, लेकिन आप सांस लेते रहते हैं। सक्रिय आत्मघाती व्यवहार तब होता है जब आप जीना नहीं चाहते हैं और आप सक्रिय रूप से अपना जीवन लेने के तरीकों के बारे में सोचते हैं, यहां तक कि अपना जीवन लेने की योजना भी बनाते हैं। मैं निष्क्रिय आत्मघाती विचार को संभाल सकती हूं, लेकिन जब भी ऐसे विचारों का हमला होता है, तब सक्रिय आत्मघाती विचार मेरे ऊपर भारी पड़ता है।
स्वाभाविक रूप से, सक्रिय आत्मघाती विचार भयानक है, और क्योंकि जीवन आसान नहीं होता है तो मुझे वह विचार बार-बार आता है।
सक्रिय आत्मघाती विचार को निष्क्रिय आत्मघाती विचार की तरह नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। जब वह विचार आता है, तो यह आपका पूरा ध्यान मांगता है।क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब आपके सिर में एक आवाज लगातार बनी रहती है, जो बार बार कहती है की न केवल खुद को मारना, बल्कि इसे कैसे करना है, यह बताना कितना कठिन काम है?मेरे शब्दों में में यही कहूँगी : वह आत्मा-कुचलने वाला है और मैं यह कभी नहीं चाहूंगी की किसी के साथ ऐसा हो।
अगर हम ध्यान से दूर तक देखें तो हमें पता चलेगा की ज़िन्दगी अपनी समस्याओं का हल खुद ही देती है। मुझे यह सकारात्मक सोच के रूप में प्राप्त हुआ। कुछ भी सोचने से पहले मेरी बात सुनें।
मैं आपके संदेह को समझती हूं, मैं भी ऐसे लोगों को संदेह से देखती थी और सोचती थी कि कुछ कथनों को बार बार दोहराने से किसी का जीवन कैसे बदल सकता है ?
मुझे लगता है कि मैंने इस तरह महसूस इसीलिए किया क्योंकि मैं सकारात्मक कथन में विश्वास करने वाले लोगों को पसंद नहीं करती थी। उनके लिए मेरे तिरस्कार ने मुझे इस तथ्य को भुला दिया था कि, शब्द शक्तिशाली हैं और शब्द ही हैं जो क्रिया बन जाते हैं।आखिरकार, मैं पिछले महीने उन पर विश्वास करने लगी और एक तरह से मुझे नहीं पता कि मैं कबसे विश्वास करने लगी।
एक दिन आधी रात का समय था – हर कोई सो रहा था और मैं गंभीर रूप से उदास थी और सोने में असमर्थ थी। नेटफ्लिक्स के साथ खुद को बहलाने के बजाय, मेरे सिर के अंदर की आवाज ने मुझे एक कलम लेने और लिखने के लिए कहा।
अवसादग्रस्तता के दौरान खुद की एक महत्वपूर्ण आवाज सुनना अविश्वसनीय रूप से कठिन है।इसलिए मुझे पता नहीं है कि मुझे बिस्तर से बाहर निकालने के लिए किस बात ने प्रेरित किया, मैं उठी और मेज पर बैठी, एक कलम उठाई और अपनी नोटबुक खोली । लेकिन यह वही है जो मैंने किया था – और ऐसे ही मैंने 30 कथनों लिखकर समाप्त किया। यहां तक कि जब मैंने उन्हें लिखा था, मुझे पूरा यकीन नहीं था कि वे मेरी मदद करेंगे और मैंने उन पर कुछ ख़ास विश्वास किए बिना लिखा।
लेकिन अगले दिन, जागने के ठीक बाद, मेने अपने जर्नल्स को ज़ोर ज़ोर से पढ़ा, खुद के जीवन के बारे में अच्छा महसूस किया।
तब से, मैं उन्हें रोज पढ़ रही हूं और उन्होंने हमेशा मुझे बेहतर महसूस कराया, भले ही थोड़ा ही क्यों न हो।
सच है, उन्होंने मेरी सक्रिय आत्महत्या के विचार को रोका नहीं, लेकिन वे मुझे उस पर कार्य करने से रोकने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली थे। और अब, मैं आपके साथ इन सकारात्मक कथनों को साझा करना चाहती हूं ताकि आप भी उनसे लाभान्वित हो सकें, भले ही आपको मानसिक बीमारी हो या न हो:
शेष बीस पुष्टिओं को पढ़ने के लिए, यहां मेरी निशुल्क पुस्तक ’30 पावरफुल अफेयर्स टू बूस्ट योर मेंटल हेल्थ’ है।
यदि इस लेख ने आपको किसी भी तरह से मदद की है, तो इसे अपने जीवन में उन लोगों के साथ साझा करें – विशेष रूप से जिनके जीवन परिपूर्ण लगते हैं। क्योंकि ईमानदार होकर कहें तो हर किसी को समस्या है और किसी के पास एक आदर्श जीवन नहीं है।
इसका एक संस्करण पहले यहां प्रकाशित किया गया था।
मूल चित्र : YouTube short film What's Wrong
Mahevash Shaikh is a millennial blogger, author, and poet who writes about mental health, culture, and society. She lives to question convention and redefine normal. read more...
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