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ऐ मन! तू अच्छा करता है!

दूसरे आएंगे, तो मुमक़िन है! कि सिर्फ़ तेरी गलतियाँ ही बताएंगे! घाव पर मरहम लगाने की बात कहकर, जख्मों को ही कुरेद जाएंगे!

दूसरे आएंगे, तो मुमक़िन है! कि सिर्फ़ तेरी गलतियाँ ही बताएंगे। घाव पर मरहम लगाने की बात कहकर, जख्मों को ही कुरेद जाएंगे।

ऐ मन! तू अच्छा करता है!
जो खुद रोकर,अपने आँसू खुद ही, पोंछ लेता है!
तू ये काम अच्छा करता है!

जो किसी भ्रम में नहीं जीता है।
अपने स्वाभिमान को तार-तार नहीं होने देता है।
ऐ मन! तू अच्छा करता है!

कोई आएगा और पोंछेगा आँसू मेरे,
इस भुलावे में नहीं जीता है।
खुद गिरता है, तो खुद उठने की भी,
ताकत रखता है।

खुद देता है, खुद को संबल!
और खुद ही अपनी राह चुनता है।
ऐ मन! तू अच्छा करता है!

दूसरे आएंगे, तो मुमक़िन है!
कि सिर्फ़ तेरी गलतियाँ ही बताएंगे।
घाव पर मरहम लगाने की बात कहकर,

जख्मों को ही कुरेद जाएंगे।
बची हुई आस और हिम्मत पर भी
प्रश्न चिन्ह लगाएंगे।
तेरे दामन में हैं, कितने दाग!
ये बार-बार तुझको ही, गिनवाएंगे।

फिर आएंगे कहकर,
बीच राह में ही, छोड़ जाएंगे।
तू समझाता रह जाएगा, खुद को!
और वो अपनी दुनिया में ही, मस्त हो जाएंगे।
ऐ मन! तू अच्छा करता है!

जो खुद रोकर, अपने आँसू खुद ही, पोंछ लेता है।
अच्छा करता है!
जो किसी भ्रम में नहीं जीता है,
अपने स्वाभिमान को तार-तार नहीं होने देता है।

मूल चित्र: Canva

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Deepika Mishra

I am a mom of two lovely kids, Content creator and Poetry lover. read more...

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