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उजड़ी हुई मांग के, सिंदूरी रंग को, आखिर कब तक, लिपटा कफन में देखें! शहीदों की कब्रों पर, आखिर कब तक सब्र रखें!
शहीदों की कब्रों पर,
आखिर कब तक सब्र रखें!
अरे! और कब तक!
मौन अपनी बंदूकें रखें!
मासूम से छिनता साया, बाप का देख,
आँसूओं को कब तक, आंख में बन्द रखें!
उजड़ी हुई मांग के, सिंदूरी रंग को,
आखिर कब तक, लिपटा कफन में देखें!
शहीद की अर्थी को,
बूढ़े बाप को, कंधा देते हुए देखें!
बहुत रोता है, दिल!
जब वीरों की शहादत पर,
नेताओं को बयानबाजी करते देखें!
हो चुकी, बहुत कहनी-सुनी!
अब बस! युद्ध शंखनाद!
अपने पास रखें।!
मूल चित्र: Canva
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