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पिछले साल भी हम कहीं नहीं गए थे। पहले बच्चे छोटे थे, तब कहीं, नहीं जा सके। अब जब बच्चे बड़े होने लगे हैं, तब आपको ढेर सारे काम रहते हैं।
“रोहित अगले सप्ताह से बच्चों की समर वैकेशन होने वाली हैं, आप कहीं बाहर घूमने का कोई प्लान बना रहे हो क्या?” वीना ने पूछा।
“नहीं यार! इस बार भी पॉसिबल नहीं है, ऑफिस में काम ज़्यादा है और करने वाले कम, तो बॉस ने मना कर दिया है, कि आप कहीं मत जाना। कुछ जरूरी काम भी है और मीटिंग्स भी हैं। शायद मुझे 1-2 ऑफिशियल टूर पर भी जाना पड़े।” रोहित ने कहा।
“ओह! पिछले साल भी हम कहीं नहीं गए थे। पहले बच्चे छोटे थे, तब कहीं, नहीं जा सके। अब जब बच्चे बड़े होने लगे हैं, तब आपको ढेर सारे काम रहते हैं। लेकिन कोई बात नहीं, हर साल की तरह मैं बच्चों को लेकर मायके चली जाऊंगी। यहाँ पापा और मम्मी जी तो हैं, आपके साथ! कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।”
“हां यह ठीक है। बच्चों का मन भी लग जायेगा। वहाँ जाकर तो वैसे भी, ये दोनों मस्त हो जाते हैं। मुझे भी भूल जाते हैं।” रोहित ने हँसते हुए कहा।
“तो आप टिकट बुक करवा देना, हम चले जायेंगे। फिर रिया और करन की छुट्टियाँ होने वाली हैं। “अब तो दोनों बच्चे ननिहाल जाने को उतावले हो गए। वहाँ दीदी और भैया के बच्चे भी आ रहे हैं। इनका मन लग जायेगा।”
रोहित ने कहा, “हां, लेकिन वहाँ जाने से पहले कुछ तैयारी कर लेना। कैसे बच्चों को बिजी रखना है? वरना ये आपस में ही लड़ते रहेंगे और अपनी छुट्टियाँ खराब कर लेंगे।”
सही कहा आपने! मैं कल ही, इन सब शैतानों के लिए, बंदोबस्त कर लेती हूँ।
फिर वीना, रोहित को अपने प्लान बताने लगी, “छुट्टियाँ बच्चों के लिए, बहुत खास होती हैं और इन्हें किसी भी हाल में, मैं खराब नहीं करूंगी। मैं अपनी कल्पना का इस्तेमाल करूंगी। अपने बच्चों के शौक और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए, इनके लिए एक्टिविटीज बना लूँगी।”
“बच्चों के साथ मिलकर हम सब इनडोर गेम्स लूडो, साँप-सीढ़ी, कैरम, सुडोकू, ताश के कुछ गेम्स, चैस आदि भी खेल सकते हैं। अब तो बच्चों के लिए यूट्यूब पर बहुत से आर्ट और क्राफ्ट के वीडियो मिल जायँगे। वो सब इन्हें दिखा कर, इन्हें बनाने को कहूंगी। साथ ही साथ इन्हें रसोई में शिकंजी, आइस कैंडी बनाने का काम सिखा दूंगी, जिसमें उन्हें मजा भी आएगा और वह कुछ नया भी सीख जाएंगे। सैंडविच, बॉईल एग बनाना सिखाना बेहद आसान रहता है।”
“बच्चों को हम बागवानी में भी व्यस्त कर सकती हैं, जिससे उन्हें खेल-खेल में पेड़-पौधों की अहमियत के बारे में सीखने को मिलेगा। नानी के घर छुट्टियों में कोई टाइम टेबल नहीं होगा। मतलब देर तक सोना, खूब मस्ती करना और उनके साथ उनकी शरारतों में, मैं भी हिस्सा बन जाऊंगी। इससे बच्चे तो बहुत खुश हो ही जाएंगे और मेरा भी मूड फ्रेश हो जाएगा।”
तभी रोहित ने कहा, “इन छुट्टियों के चक्कर में, पढ़ाई मत भूल जाना। छुट्टियों में खेल-कूद के साथ-साथ उनकी पढ़ाई पर भी नजर रखना। रोज एक या दो घंटे पढ़ाई के लिए जरूर सुनिश्चित कर लेना। जिसमें बच्चे अपना हॉलिडे होमवर्क करने के साथ-साथ कुछ याद करने का काम भी कर सकते हैं।”
“हाँ! आप चिंता मत करो। मुझे पता है कि छुट्टियों के बाद ही इनके एग्जाम भी तो हैं”, वीना ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ठीक है फिर! कर लो तुम पैकिंग, बच्चों के साथ अपने मायके जाने की।”, अब रोहित और वीना दोनों हँसने लगे।
दोस्तों! इन छुट्टियों में आप सब कहाँ जा रहे हो? अपने मायके या ससुराल?
मूल चित्र: Canva
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