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बॉलीवुड कोरियोग्राफर सरोज खान भारत में कोरियोग्राफी की महारथी थीं और हमेशा रहेंगी, उन्होंने सिनेमा में डांस के मायने को नई परिभाषा दी।
मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान ने अब हमारे बीच नहीं रही। 2 जुलाई को देर रात कार्डिएक अरेस्ट के बाद उनका निधन हो गया। 20 जून को सरोज खान को सांस लेने में तकलीफ हुई थी जिसके बाद उन्हें मुंबई के गुरुनानक अस्पताल में दाखिल कराया गया था। थोड़ी-थोड़ी तबीयत सुधर रही थी लेकिन फिर अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वो हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गईं।
बॉलीवुड कोरियोग्राफर सरोज खान का सिनेमा जगत में कम से कम 40 साल का करियर रहा जिसमें उन्होंने 2000 से भी ज्यादा गानों की कोरियोग्राफी की। बॉलीवुड में तब कोरियोग्राफी उतना पॉपुलर करियर नहीं था जितना की आज है। तब फिल्मों में डांस सिखाने के लिए पर सबसे पहला ख्याल सरोज खान का ही आता था। यूं तो सरोज खान ने अनगिनत फिल्मों के गानों पर बॉलीवुड के कई स्टार्स और कलाकारों को नचाया।
22 नवंबर 1948 को मुंबई के कृशचन सिंह और नोनी साधु सिंह के घर एक बेटी का जन्म हुआ। नाम रखा गया निर्मला। ये बात कम ही लोगों को पता है कि सरोज ख़ान हिंदू थीं और उन्होंने बाद में इस्लाम क़बूल किया था। शादी से पहले सरोज खान एक सिंधी पंजाबी थीं। इस्लाम धर्म कबूल करने के बारे में वो कहती थीं, ‘मुझे सपने में एक बच्ची मस्जिद के अंदर से पुकारती थी। सपने में वो बच्ची मुझे अपनी मां बताती थी और बार-बार पुकारती थी, मुझे वो सपना कई बार आता था।’
1962 में सरोज खान ने डांस टीचर बी. सोहनलाल से शादी की थी। उस वक्त सरोज खान केवल 13 साल की थीं और सोहनलाल 41 साल के। इस फासले के बावजूद उन दोनों ने प्रेम विवाह किया और सिर्फ 14 साल की उम्र में सरोज खान मां बनीं।
सरोज खान बताती हैं कि ‘वो स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं और एक दिन उनके डांस टीचर ने काला धागा उनके गले में बांध दिया और मेरी शादी हो गई!’ शादी के कुछ साल बाद रिश्ते में अनबन शुरू हो गई। दोनों ने प्रोफेशनल तौर पर एक साथ काम करना बरकरार रखा लेकिन आख़िरकार सोहनलाल सरोज और दो बच्चों को छोड़कर मद्रास चले गए।
ख़बरों की माने तो सरोज को ये बात नहीं पता थी कि सोहनलाल पहले से शादीशुदा हैं और उन्होंने सरोज से हुए अपने बच्चों को नाम देने से भी इनकार कर दिया था। सरोज खान ने अपने बच्चों की परवरिश मां-बाप बनकर की। कई साल बाद सरोज खान ने फिर से शादी की। बिज़नेसमैन सरकार रोशन खान की पहले भी शादी हो चुकी थी लेकिन सरोज और वो एक-दूसरे को बेहद पसंद करते थे इसलिए शादी का फ़ैसला किया।
जब सरोज ख़ान सिर्फ 3 साल की थी तो उन्होंने बाल कलाकार के रूप में फिल्म नज़राना में काम किया। सरोज खान को कथक, कथकली, मणिपुरी, भरतनाट्यम में महारथ हासिल था। एक वक्त था जब सिनेमा की हर बड़ी फिल्म की कोरियोग्राफर सरोज खान ही हुआ करती थीं।
उनकी पहली कोरियोग्राफ्ड फिल्म “गीता मेरा नाम” (1974) थी लेकिन उनका करियर ग्राफ बढ़ा 1987 के बाद। उन्होंने एक के बाद एक कई हिट गाने किए जिसके डांस मूव्स आज भी हिट हैं। फिल्म मिस्टर इंडिया (1987) का ‘हवा हवाई’ , चांदनी (1989), माधुरी दीक्षित की फिल्म तेजाब (1988) का गाना ‘एक-दो-तीन’ और बेटा फिल्म के गाने ‘धक-धक करने लगा’ ने उन्हें बॉलीवुड की मास्टरजी बना दिया।
सरोज खान को बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। ऐसा पहली बार था कि किसी कोरियोग्राफर को यह सम्मान मिला था। उसके बाद तो उन्होंने 1989 से लेकर 1991 तक लगातार तीन बार ये अवॉर्ड जीता। सरोज खान अपने काम में माहिर थीं। यही वजह है कि श्रीदेवी से लेकर आलिया भट्ट तक उन्होंने सबको अपनी उंगलियों पर नचाया। उनका आख़िरी कोरियोग्राफ किया था फिल्म कलंक का “घर मोरे परदेसिया’ था।
सरोज खान ने 40 साल के लंबे करियर में अनगिनत फिल्मी सितारों के साथ काम किया है। उनके जाने पर भी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। माधुरी दीक्षित जिन्हें करियर में सरोज खान के गानों का बहुत बड़ा योगदान रहा उन्होंने एक बेहद प्यारी तस्वीर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा है।
‘मैं बहुत दुखी हूं और मेरे बाद इस दुख को बयान करने के लिए शब्द भी नहीं हैं। सरोज खान मेरी फिल्मी यात्रा के शुरुआत से ही मेरे साथ जुड़ी हुई थीं। सिर्फ डांस नहीं उनसे और भी बहुत कुछ सीखा। उनके साथ पर एक साथ ज़ेहन में कई यादें और तस्वीरें सामने आ रही हैं। उनका जाना मेरी निजी हानि है। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं।’
अक्षय कुमार नेअपने ट्विटर हैंडल पर लिखा ‘आज दिन की शुरुआत इस दुखद ख़बर के साथ हुई कि महान कोरियोग्राफर सरोज खान अब हमारे बीच नहीं रही। उन्होंने डांस को हर एक के लिए आसान बना दिया था। उनका जाना पूरी फिल्म इंडस्ट्री का भारी नुकसान है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।”
इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम आता है माधुरी दीक्षित का। आज माधुरी को हम धक-धक गर्ल पुकारते हैं तो इसका श्रेय सरोज खान को जाता है क्योंकि माधुरी को डांसिंग स्टार बनाने वाले उनके इस गाने की रचयिता सरोज खान ही थी। इसके अलावा उन्होंने माधुरी दीक्षित के लिए डोला रे डोला, एक दो तीन, चोली के पीछ क्या है जैसे सुपरहिट गानों की कोरियोग्राफी की थी।
श्रीदेवी अपने ज़माने की डांसिंग क्वीन कही जाती थी। जब उनकी फिल्म मिस्टर इंडिया आई तो वो हवा-हवाई के नाम से जानी जाने लगी। इस गाने की कोरियोग्राफर भी सरोज खान ही थीं। फिल्म के डायरेक्टर शेखर कपूर कहते हैं कि सरोज खान के योगदान के बिना मिस्टर इंडिया वैसी नहीं होती। श्रीदेवी के साथ रिहर्सल करते हुए उन्हें देखता था तो उनकी एनर्जी काबिल-ए-तारीफ़ होती थी।
शाहरूख खान, ऐश्वर्या और माधुरी दीक्षित की फिल्म देवदास तो हिट थी ही लेकिन इस फिल्म का गाना डोला रे डोला उससे भी ज्यादा हिट हुआ था। मास्टरजी के मूव्स ने इस गाने को विजुएली इतना सुंदर बना दिया था कि आज भी इसकी कोरियोग्राफी याद की जाती है।
https://www.youtube.com/watch?v=Jbn39j-xa-k
करीना कपूर के करियर में फिल्म जब वी मेट का अहम योगदान रहा। इस फिल्म के गाने ‘य़े इश्क हाय’ की कोरियोग्राफर भी सरोज खान ही थीं जिसके लिए उन्हें बेस्ट कोरियोग्राफर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला।
बॉलीवुड कोरियोग्राफर सरोज खान भारत में कोरियोग्राफी की महारथी थी और हमेशा रहेंगी। उन्होंने सिनेमा में डांस के मायने को नई परिभाषा दी और इस कला को हर दिल तक पहुंचाने का काम किया। उनकी अद्भुत ऊर्जा, कदम ताल और आंखों से ही डांस करने वाली भाव भंगिमाएं कमाल के थे। उनकी यादें उनके गानों के साथ हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
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