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थोड़ा अंजुरि भर वक्त भरकर पार्सल कर देना, किसी बादामी लिफाफे में, कि जब तुम व्यस्त रहोतो गुजार लूं मैं कुछ वक्त, तुम्हारे साथ, तुम्हारे बिना!
थोड़ा अंजुरि भर वक्त भरकर पार्सल कर देना, किसी बादामी लिफाफे में, कि जब तुम व्यस्त रहो तो गुजार लूं मैं कुछ वक्त, तुम्हारे साथ, तुम्हारे बिना!
मुट्ठी भर धूप लेकर, लगा देना मेरे गालों पर! कि जब तुम सर्दी से कंपकंपाने लगोगे तो सटा दूंगी तुम्हारे सीने से!
एक सेर चाँदनी इकट्ठी कर लो किसी मर्तबान में, रात को भिजवा देना, रखकर सोऊंगी सिरहाने, ताकि जब तुम सपने में आओ तो, देख सकूं तुम्हें साफ साफ! दिन के उजालों में तो दिखते ही नहीं तुम आजकल!
थोड़ा अंजुरि भर वक्त भरकर पार्सल कर देना, किसी बादामी लिफाफे में, कि जब तुम व्यस्त रहो तो गुजार लूं मैं कुछ वक्त तुम्हारे साथ, तुम्हारे बिना!
हो सके तो एक पुड़िया में छटांक भर मेरी हंसी बांधकर रख लेना अपनी कमीज़ की जेब में, कि जब मैं रूठ जाऊं तो उसे खोलकर, मेरे गुस्से में घोलकर, पी सको तुम, और फिर उसके सुरूर में भूल जाओ मेरी सारी गुस्ताखियां!
किसी दिन अपनी मां की पुरानी चांदी की डिबिया में रख कर चुटकी भर अधिकार और रख देना हौले से मेरी हथेलियों पर, ताकि मैं खुलेआम, इठलाती हुई हुक्म चला सकूं सातों जन्म तुम पर!
मूल चित्र : Canva
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