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बीबीसी 2019 की टॉप 100 इंस्पायरिंग, इनोवेटिव और इन्फ्लुएंशियल वीमन, डॉ प्रगति सिंह एसेक्सुएलिटी के बारे में लोगों में जागरूकता फैला रही हैं।
सेक्स! सेक्स! सेक्स! आपके हिसाब से भी ये शब्द दो व्यक्तियों, जैसे कि प्यार और शादी के रिश्ते में होना बहुत ज़रूरी है। शायद इसके बिना तो आप उसे एक रिश्ते का नाम भी नहीं देंगे। लेकिन अगर मैं कहुँ कि मुझे किसी से प्यार है और मुझे उसकी तरफ किसी भी प्रकार का सेक्सुअल आकषर्ण नहीं है लेकिन मुझे उस के साथ रिलेशनशिप में रहना है। तो?
आप यही सोच रहें होंगे कि ये क्या बचपना है? फिर कैसा रिश्ता हुआ? अगर सेक्सुअल अट्रैक्शन नहीं है तो कैसा प्यार? लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये रिलेशनशिप भी उतने ही मायने रखतें हैं जितने दूसरे?
जी हाँ हम बात कर रहें हैं LGBTQIA ++ कम्युनिटी के एसेक्सुअल आइडेंटिटी की और इसी को एक एक्सपर्ट के नज़रिये से समझने के लिए हम ने डॉ प्रगति सिंह से बातचीत करी। इन्होंने 2014 में इंडिया में पहली बार एसेक्सुएलिटी को एक प्लेटफॉर्म देने के लिए इंडियन एसेस के नाम से एक फेसबुक पेज बनाया था। उसके बाद से ये निरंतर एसेक्सुएलिटी को लेकर लोगों को जागरूक कर रहीं हैं।
डॉ प्रगति सिंह को 2019 में बीबीसी के दुनिया के टॉप 100 इंस्पायरिंग, इनोवेटिव और इन्फ्लुएंशियल वीमन में चुना गया है। इसके अलावा इन्हें 2017 में विमंस वेब के ऑरेंज फ्लॉर फ़ेस्टिवल में इंटरनेट और सोशल मीडिया का बेहतरीन यूज़ करने के लिए डिजिटल क्रिएटिविटी की केटेगरी में भी अवार्ड मिला है।
डॉ प्रगति सिंह के अवार्ड्स की गिनती यहीं खत्म नहीं होती है। इन्हें कई और भी अवॉर्ड्स से नवाज़ा जा चुका है। डॉ प्रगति सिंह कई वर्षों से इस विषय पर रिसर्च भी कर रहीं हैं।
डॉ प्रगति सिंह से लिया गया टेलीफोनिक इंटरव्यू आपसे साझा कर रहे हैं जिससे आपको एसेक्सुअलिटी के बारे में जानने का मौका मिलेगा
मैंने 2013 में पहली बार ये टर्म डिसकवर किया था। उस समय इंडिया में इस पर कोई जानकारी मौजू़द नहीं थी। लेकिन कुछ वेस्टर्न कन्ट्रीज़ में इस के बारे में जानकारी थी। तो मैंने इसके बारे में पढ़ा और 6 – 7 महीनों की रिसर्च के बाद मैंने एक फेसबुक पेज बनाया। इंडियन एसेस ( Indian aces ) के नाम से पेज की शुरुवात करी जिस में मैंने इसके बारे में लोगो को जागरूक करना शुरू किया और इससे संबंधित जानकारी डालनी शुरू की। तब मैंने सोचा नहीं था कि ये यहां तक आ जायेगा। अब लोग इसके बारे में जानने लगे हैं।
एसेक्सुअलिटी वो आइडेंटिटी है जब एक व्यक्ति को किसी की और सेक्सुअल आकर्षण महसूस नहीं होता है। इसकी बस एक ही परिभाषा है और वो है कि अगर आपको कभी किसी की तरफ सेक्सुअल आकर्षण महसूस नहीं हुआ है तो शायद आप असेक्सुअल हैं। लेकिन अगर आपको सेक्स पसंद नहीं है या आप नहीं करना चाहते है वो एक अलग चीज़ है और वो किसी भी तरह से एसेक्सुअल की परिभाषा में नहीं आता है।
हाँ ऐसे बहुत से लोगों का सामना आज भी करना पड़ता है लेकिन मैं ये नहीं कहूंगी कि ये सिर्फ वही लोग हैं जो पिछड़ी हुई सोच वाले हैं या जिन्हें लगता है कि ये इम्पोर्टेन्ट नहीं है बल्कि कई ऐसे लोग भी हैं जिन्हें इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती है। इसीलिए वो लोग इसके खिलाफ हो जाते हैं। और इसके खिलाफ गलत गलत जानकारियाँ फ़ैलाना शुरू कर देते हैं।
इसके अलावा बहुत से चैलेंज मुझे भी अपने ही कम्युनिटी में भी देखने को मिलते हैं। एक फ़ेमिनिस्ट होने के नाते मैंने कई फ़ेमिनिस्ट ग्रुप्स में इसके बारे में बात करी लेकिन वहां से भी मुझे कई बार पूरा सपोर्ट नहीं मिला।
LGBTQIA ++ कम्युनिटी में भी इस को लेकर मैंने बात करी लेकिन वहां से भी ज़्यादातर मेंबर्स ने सपोर्ट किया मगर कई बार नहीं भी किया। कुछ लोगो का मानना है कि ये हमारी कम्युनिटी का हिस्सा नहीं है। ये एक अलग ग्रुप है।
मैं मेडिकल बैक ग्राउंड से हूँ तो मैंने जब वहां भी इसके बारे में बात करी तो वहां भी इसके बारे में कई गलत फ़हमिया है और कई इसे एक डिसऑर्डर की कैटेगरी में रखते हैं।
LGBTQIA ++ कम्युनिटी में अक्सर LGBT ग्रुप्स के बारे में ही बात होती है। लेकिन कई ऐसी आइडेंटिटीज़ हैं जिन पर बात ही नहीं हुई। और अगर एसेक्सुएलिटी की बात करें तो हां इसके बारे में भी कम ही बात हुई है। इसके कई कारण हैं। लेकिन मुख्य वज़ह में बताना चाहूंगी।
इसमें सबसे बड़ी कमी जागरूकता की है। एसेक्सुएलिटी के बारे में लोगो को जागरूकता ही नहीं है और इसी वजह से कुछ LGBT ग्रुप्स इसे अपनी कम्युनिटी का हिस्सा नहीं मानते हैं। लेकिन कई लोग इसे अपनाते भी हैं। हां ऐसी कोई ज़बरदस्ती नहीं है की आप एसेक्सुअल हैं तो आपको उस कम्युनिटी का हिस्सा बनना ही होगा। ये पूरी तरह से सामने वाले पर डिपेंड करता है, लेकिन एक दरवाजा खुला होना ज़रूरी है। मतलब अगर कोई उस कम्युनिटी में जाना चाहता है तो उसके लिए ऑप्शन होना चाहिए।
दूसरी वजह से कई एसेक्सुअल लोग खुद अपने आप को इस कम्युनिटी का हिस्सा नहीं मानते हैं। उन्हें LGBTQIA ++ कम्युनिटी के इवेंट्स में कम्फ़र्टेबल नहीं लगता है। जैसे अगर मैं प्राइड परेड की बात करूँ तो उस में मैं हमेशा हिस्सा लेती हूँ। मैं सालों से कोशिश करती आ रही हूँ की उसमें मेरे साथ एसेक्सुअल कम्युनिटी के लोग बड़ी संख्या में चलें।
कई एसेक्सुअल लोगों का मानना है कि ये इवेंट तो सेक्सुअलिटी का जश्न मनाने के लिए होता है और हम उसे अपने आप से जोड़ नहीं पाते हैं तो फिर हम क्यों ऐसे इवेंट्स का हिस्सा बनें? लेकिन मेरा मानना है कि LGBT टर्म यहीं खत्म नहीं होती है। इसके आगे भी कई आइडेंटिटिज़ है। ये LGBTQIA ++ है और सभी के बारे में बात होनी चाहिए।
हम कई तरह की वर्कशॉप्स लेते हैं जिन में हर तरह के लोग आते हैं। कई LGBTQIA ++ कम्युनिटी से, कई रिसर्च स्कॉलर, प्रोफेशनल्स, डॉक्टर आदि हिस्सा लेते हैं। उन वर्कशॉप्स के माध्यम से हम उन्हें ह्यूमन सेक्सुएलिटी के बारे में बताते हैं। उनके मिथक दूर करते हैं। उन्हें बताते है कि सेक्सुएलिटी एक ब्रॉड कॉसेप्ट है। और ऐसे ही एसेक्सुेलिटी के बारे में भी बताते हैं जिससे वर्कशॉप के अंत तक उन्हें ह्यूमन सेक्सुएलिटी के बारे में अच्छी जानकारी हो जाती है। तो ऐसी ही कई वर्कशॉप और इवेंट्स करते हैं।
किसी की तरफ आकर्षित होना या नहीं होना ये कैसे किसी की मर्ज़ी पर निर्भर हो सकता है। कई बार होता है की हम न चाहते हुए भी कई चीज़ों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। ठीक वैसे ही ये किसी की चॉइस पर डिपेंड नहीं करता है। हां अगर आपको सेक्स नहीं करना वो आपकी चॉइस हो सकती है लेकिन फिर वो एसेक्सुअलिटी की परिभाषा में नहीं आता है। वो तो कोई भी चूज़ कर सकता है।
बांझ तो एक अलग ही टर्म हो गयी है जो इससे कहीं संबंधित ही नहीं है लेकिन हां समाज में औरतों को बहुत सारे टेबूज़ से जोड़ा जाता है। तो मेरा मानना है कि इन सबका एक ही तरीका है जिससे हम इससे निज़ात पा सकते हैं और वो है शिक्षा। और शिक्षा से मेरा मतलब नहीं है कि इसके लिए आप एक स्कूली शिक्षा लें। इसके लिए आप स्वयं भी पढ़ सकती हैं। लेकिन इसके लिए गूगल करना बिलकुल सही नहीं होगा। गूगल पर इससे रिलेटेड बहुत गलत इनफार्मेशन है। कई आर्टिकल्स और ब्लॉग्स में इसकी परिभाषा को ही सही से नहीं बताया है।
इसी के लिए मैं वेबसाइट डेवलप कर रही हूँ – एसेक्सुएलिटी डॉट इन (asexuality.in)। इसमें हम इंडिया के संदर्भ में एसेक्सुएलिटी को समझायेंगे। इसमें लोगो की स्टोरीज़ होगी, आर्टिकल्स होंगे। तो मेरा यही कहना है की आप सही जानकारी रखें और फिर इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। तभी समाज में औरतों की स्थिति को लेकर कुछ सुधार हो सकता है।
हां, खासकर नॉन सेक्सुअल लोगों को अपना पार्टनर चुनने में बहुत दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है। और ये सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि वेस्टर्न कन्ट्रीज़ जैसे USA वगैरह में भी यही हाल है। कई लोग समझते हैं कि एक रिलेशनशिप बिना सेक्स के इन्कम्प्लीट है। लेकिन लोगों के लिए ये समझना बहुत ज़रूरी हो गया है कि ठीक है, अगर आपका रिलेशन सेक्स और रोमांस के बिना इन्कम्प्लीट है, लेकिन आप इसी क्राइटेरिया पर सभी के रिलेशनशिप को जज नहीं कर सकते हैं खासकर के नॉन सेक्सुअल लोगों के।
इसी के लिए मैं एक मैच मेकिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च करने जा रही हूँ। अभी ये बीटा वर्ज़न, प्लेटोनिसिटी डॉट ऑर्ग/बीटा में है। इसके तहत आप न सिर्फ नॉन सेक्सुअल रिलेशनशिप बल्कि नॉन रोमांटिक रिलेशनशिप्स के लिए भी एप्रोच कर सकते हैं। बहुत से लोगों का सोचना है कि अगर एक रिलेशनशिप में से सेक्स और रोमेंस दोनों हटा दिए जाये तो वो रिलेशन तो फिर दोस्ती का रह जाता है लेकिन मैं बता दूँ ऐसा नहीं है। कई लोग होते है जो एक प्लटॉनिक रिलेशन में रहना चाहते हैं और इनफैक्ट रह रहें हैं।
मैंने ये 2014 में एक फेसबुक पेज के रूप में शुरू किया था तब मैंने कभी नहीं सोचा था की ये मेरे लिए इतना इम्पोर्टेन्ट हो जायेगा और 2016 – 2017 तक आते आते मुझे इससे बहुत प्यार और लगाव हो गया। और उसके बाद से तो मैंने इस के लिए बहुत ही बढ़ चढ़कर काम किया है। लेकिन मैंने कभी किसी को महसूस नहीं होने दिया कि इसके पीछे मैंने कितनी मेहनत करी है।
पूरे इंडिया में मैंने लगभग 10 शहरों में इसके बारे में बात करी है और खासकर के छोटे शहरों में ये और भी मुश्किल है। जहां लोगो को सेक्स में बारे में खुलकर बोलने में भी झिझक है वहां उनसे एसेक्सुएलिटी के बारे में चर्चा करना चैलेंजिंग था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी और मैं लगातार काम कर रही हूँ। और मैंने कभी नहीं सोचा था की इसके लिए मुझे कभी कोई पहचान मिलेगी।
फिर एक दिन 2019 के शुरुवाती दिनों में मुझे एक मेल आया कि हमने आपको बीबीसी की टॉप 100 वीमन इन्फ्लुएंसर्स के लिए चुना है। मैंने कभी सोचा नहीं था की कोई मेरे काम को देख रहा है। उन्हें मेरे काम के बारे में सब कुछ पता था। ये मेरे एक सरप्राइज की तरह था। ये अवार्ड मेरे पिछले 5 – 6 सालों की लगातार मेहनत के लिए था। मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है की मुझे मेरे पैशन के लिए ग्लोबल रेकग्निशन मिली।
फैमिलीज़ के बारे में मैं ज़्यादा नहीं कह सकती क्योंकि मेरी बात सीधे युवाओं से होती है। मैं अपनी हर वर्कशॉप के अंत में यही बोलती हूँ की जहां भी आपको LGBTQ दिखे वह आप उसे LGBTQIA ++ करने को कहें। मैं सभी से यही कहती हूँ कि बस आपकी ये छोटी सी शुरुवात एक बहुत बड़े बदलाव की और कदम बड़ा रही है और उसका नतीज़ा आज यह है कि मैं ज़्यादातर जगहों पर जैसे सोशल मीडिया या कई मीडिया ऑउटलेट्स में LGBTQIA ++ ही देखती हूँ। इससे कम से कम लोगों को एसेक्सुएलिटी और बाकि आइडेन्टिटीज़ के बारे में पता तो चलेगा। तो कह सकते हैं कि हाँ अब इस पर बात होने लगी है लेकिन अभी भी सिर्फ एक या दो लोगों के बात करने से बात नहीं बनेगी। इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना है।
मुझे लगता है ये एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लोगों का खुलकर बात करना बहुत ज़रूरी हो गया है। लोगों को जागरूक करना बहुत ज़रूरी है। तो अगर आप लोगो तक सही जानकारी पहुंचा सकते हैं तो सबसे पहले वो करें। जहां भी जाये, हमेशा LGBTQIA ++ पूरी टर्म के बारे में बात करें।
RT! Spread this like wildfire! All people, aces, allies, queer people, all LGBTQIA+ identities, doctors, psychologists, teachers, students, lawyers, activists, home makers, media folk, ALL need to hear about our existence.(Also on our insta/ FB). #asexuality #asexual #indianaces pic.twitter.com/udJ991i3v4 — Indian Aces (Indian Asexuals) (@IndianAces_) June 21, 2020
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— Indian Aces (Indian Asexuals) (@IndianAces_) June 21, 2020
इसके अलावा आप इंडियन एसेस भी जुड़ सकते हैं। अगर आपके पास किसी भी तरह का टैलेंट है जैसे आप की सेक्स के विषय में विशेषज्ञ हैं या आप लिखते हैं, आर्ट करते हैं, वीडियोज़ बनाना जानते हैं या आप किसी तरह के फंड कंट्रीब्यूट करना चाहते हैं, तो हमारे जुड़ सकते हैं।
डॉ प्रगति सिंह कड़ी मेहनत से अपने सपनों को पूरा करने में विश्वास करती हैं
इनका कहना है कि “एक डॉक्टर होने के नाते मैंने अपनी मंथली सैलरी, रेकग्निशन, फ्यूचर सब कुछ छोड़ कर इसे शुरू किया था। और मैंने कभी नहीं सोचा था की मेरा पैशन ही मुझे इतनी ऊंचाइयों तो ले जायेगा। और अगर इस तरह की एप्रोच मेरे लिए काम कर सकती है तो ये कहीं ना कहीं सभी के लिए काम कर सकती है। मुझे लगता है की हर व्यक्ति को अपने अचीवमेंट्स का सोचे बिना अपने पैशन को फ़ॉलो करना चाहिए। बस आप अपने जीवन की वो एक चीज़ ढूंढ लें जिससे आपको सबसे ज्यादा प्यार है, आप जिस भी फील्ड में जाना चाहते हैं उसमें पूरी लगन से मेहनत करें। कामयाबी अपने आप आपके पास आएगी।”
तो ये थीं डॉ प्रगति सिंह से हमारी एक छोटी सी बातचीत। जिस में हमने एक ऐसे वर्ग के बारे में जाना जिसकी हमे बहुत कम जानकारी थी। उम्मीद है आप इसे खुले विचारों के साथ समझेंगे। और एक गुज़ारिश हैं, आप कोशिश करें कि इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को सही जानकारी दे सकें। इस छोटी सी पहल से हम अपने हिस्से का योगदान दे सकते हैं।
मूल चित्र : Dr. Pragati Singh
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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