कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
सौम्या को होश आ रहा था और निक्की का दिल फटा जा रहा था। अपनी बहन की तकलीफ़ उससे देखी नहीं जा रही थी। सौम्या को जब होश आया तो उसे खाना और दवाई खिलाकर सुला दिया गया।
शादी के कई सालों बाद जब पहली बार निक्की मायके आई तो, घर में चारों तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ फैली हुई थी। घर में सब ख़ुश थे । मम्मी-पापा , दादा-दादी सब अपने अपने तरीके से अपनी बेटी को दुलार कर रहे थे।
निक्की भी बहुत खुश थी । बगल में बड़े चाचा-चाची का घर था, वो वहां से भी सबसे मिलकर आ गई। उसके पति विशाल को जरूरी काम निपटाने थे, इसलिए वो निक्की को ले जाने के लिए, अगले सप्ताह आने वाला था।
निक्की एक सप्ताह के लिए अपने मायके आई थी। मायके में वो अपने ससुराल वालों की ही बातें सबको बता रही थी। सब उससे बार-बार यही पूछ रहे थे, ससुराल में सब उसका ध्यान रखते हैं या नहीं?
निक्की की बातों से उसके परिवार वाले आश्वस्त हो गए कि उनकी बेटी ससुराल में खुश है। निक्की की बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि उसे किसी की आवाज़ सुनाई दी।
उसे लगा किसी ने उसे आवाज दी ! कई सालों बाद उसने जब ये आवाज़ सुनी तो, लगा ये आवाज़ तो जानी, पहचानी है। निक्की जब पलटती है, तो दरवाजे पर उसे, किसी की परछाई नजर आती है।निक्की के घर वाले भी उसी दिशा में देखते हैं, सामने खड़ी परछाई किसी और की नहीं, बल्कि उसकी चचेरी बहन सौम्या की थी!
सौम्या को देख निक्की की आँखें खुली रह गईं। वो दौड़कर जाती है और सौम्या को अन्दर लेकर आती है। चेहरे से वो अपनी बहन को पहचान ही नहीं पा रही थी। गोरा रंग, काला पड़ गया था, गाल अंदर की तरफ़ धंस गए थे। उसके सारे बाल सफ़ेद हो गए थे और चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ गई थी।
निक्की अपनी बहन के गले लगकर रोने लगी ।“दीदी! आपको क्या हो गया है? आपकी हालत ऐसे कैसे हो गई? जीजा जी कहां है?”इतने सारे सवाल, एक साथ सुनकर सौम्या रोने लगी। उसका रोना सुनकर, सौम्या की दादी भी अपने आँसुओं को नहीं रोक पाई थी।
घर का माहौल थोड़ा शांत हुआ तो, निक्की अपनी बहन सौम्या के बारे में जानना चाह रही थी।
सौम्या पाँच साल पहले, अपने ही मोहल्ले के एक लड़के, सतीश के साथ भागकर शादी कर ली थी। उसके बाद सतीश और सौम्या के परिवार वालों ने उन दोनों को उस मोहल्ले से बाहर निकाल दिया था।
सौम्या ने जिस लड़के से शादी की थी, वो ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था। शहर में वे दोनों किसी भी तरह से कमा के खा रहे थे। सौम्या अठारह की हुई थी तब, जब उसने उस लड़के से शादी की थी।
कुछ साल तो उनके, ऐसे ही गुजर गए। पर बाद में स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। रोज मजदूरों का काम कर-कर के सतीश भी थक गया था, वो दोस्त जो शादी करने की सलाह देते थे, उनका दूर-दूर तक पता नहीं था।
अभी एक महीना पहले सतीश एक दुर्घटना में मारा गया। अकेली सौम्या कैसे संभालती, अपने आप को। सतीश के जाने के बाद उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो हिम्मत कर अपने घर आ गई।
पहले वो सतीश के घर गई , जहां उसके परिवार वालों ने उसे अपने घर से निकाल दिया। रोती हुई सौम्या जब अपने घर में आई तो माता-पिता का दिल पसीज गया और उन्होंने अपनी बेटी को अपने पास रख लिया ।
निक्की के बिदाई के अगले दिन ही सौम्य आ गई थी।
निक्की बगल से अपने बड़े चाचा-चाची को भी बुला लाई। उसने सबको एक साथ बैठा कर हाथ जोड़ कर कहा, “आप सबसे, मेरी विनती है कि आप सौम्या दीदी को माफ कर दीजिए। गलती इंसान से ही होती है। सौम्या दीदी बहुत मुश्किल समय से गुजर रही है। इस परिस्थिति में हमें उनकी ताकत बनना चाहिए ।
उनसे जो गलती हुई थी वो उनके चेहरे से साफ-साफ झलक रही है। हमें उनके लिए कुछ सोचना पड़ेगा । हमें उनकी जिंदगी फिर से संवारनी होगी। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि वो अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दें, जिससे उन्हें इस कष्ट से उबरने में मदद मिलेगी। आप सब मुझसे वादा करिए, सब लोग सौम्या दीदी का ध्यान रखेंगे और उनको इस दुःख से बाहर निकालने में उनकी मदद करेंगे।
निक्की की दादी ने सबसे पहले कहा , “मैं अपनी पोती की जिंदगी संवारने के लिए उसकी मदद करूंगी”।सब अपने घर की बेटी की जिंदगी संवारने के लिए तैयार थे।
मूल चित्र: Canva
read more...
Please enter your email address