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इस बार ऑनलाइन हरियाली तीज भी मनाई जा रही है, और इसे आप भी ट्राई कर सकती हैं। जब ‘वर्क फ्रॉम होम’ हो सकता है तो ‘पर्व फ्रॉम होम’ क्यों नहीं?
अब तक हम सब कहीं ना कहीं कोरोना के साथ जीना सीख ही चुके हैं। हमें ये बात मालूम है कि जब तक इसकी वैक्सीनेशन नहीं आएगी तब तक इसका पक्का इलाज नहीं मिल सकता। वो वैक्सीनेशन कब आएगी ये कोई नहीं जानता, हां, बस उम्मीद है कि जल्दी ही आ जाए। लोगों का रवैया अब धीरे-धीरे ‘कोरोना होता है तो हो जाए, क्या करें ज़िंदगी थोड़ी ना रूक जाएगी, देख लेंगे’ वाला हो गया है।
देखिए साल 2020 आधा तो निकल ही गया, आधा रह गया है और त्योहारों की झड़ी लगने वाली है। ऐसे समय में जब आप और हम पहले से ही इस कोरोना काल से शारीरिक और मानसिक तौर पर इतना प्रभावित हो गए हैं, उस समय इन त्योहारों के रूप में हमें अपनी रूकी हुई ज़िंदगी में इस साल के कुछ यादगार पल ज़रूर जोड़ लेने चाहिए।
जब 2020 याद करें तो बस कोरोना की ही बातें ना हो बल्कि मन में यह ख्याल आए कि “समय तो बड़ा मुश्किल था लेकिन फिर भी अपनों के साथ वक्त बिताने और त्योहार मनाने का भरपूर समय मिल गया और ढेर सारी यादें इकट्ठा हो गई।” ताकि हम जब मुड़कर यह साल देखें तो बस डर और अनिश्चितता की याद ना आए बल्कि त्योहारों की हंसी-खुशी और ढेर सारी खाई मिठाइयां भी याद आ जाएं।
एक त्योहार जो पहले की बजाए अब थोड़ा सा फीका हो गया है, जिसमें कभी हर तरफ़ सावन के मौसम में झूले ही झूले दिखाई देते थे, उसी तीज के त्योहार पर इस बार बाहर ना सही अपने घर की बालकनी में ही झूला लगा लीजिए और अपने परिवारवालों के साथ चंद लम्हे हंसी के संजो लीजिए।
होली, दीवाली की कहानियां तो हमने बहुत सुनी है लेकिन आज मैं आपके लिए लेकर आई हूं तीज की कहानी…….
श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानि सावन के मौसम का सबसे अहम त्योहार तीज खासकर हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के इलाकों में मनाया जाता है। लेकिन त्योहार तो त्योहार होता है और हंसने, गाने, नए कपड़े पहनने, मिठाइयां खाने में कौन सा टैक्स लगेगा, हमें तो बस बहाना चाहिए। हिंदू मान्यता के अनुसार तीज सुहागन महिलाओं के लिए बहुत मायने रखता है। इस दिन औरतें अपने सुहाग के लिए मां गौरी की पूजा करती हैं।
तीज की पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने व्रत रखकर भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया था। कुंवारी लड़कियां भी इस दिन व्रत रखकर अच्छे वर की कामना करती हैं।
व्रत रखना ना रखना आपकी अपनी पसंद हैं लेकिन अगर आप व्रत नहीं भी रखना चाहतीं तो भी त्योहार का आनंद तो उठा ही सकते हैं।
हिंदू सभ्यता के अनुसार हरा रंग तीज का माना जाता है इसलिए महिलाएं और युवतियां आज के दिन हरे कपड़े, हरा दुपट्टा, हरी-हरी चूड़िया और मेंहदी लगाती हैं। आप चाहें तो अपने किसी भी चहेते रंग को तीज पर पहन सकती हैं। मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना के बाद बारी आती है झूले झूलने की। वैसे तो तीज पर जगह-जगह खूब मेले लगते हैं लेकिन इस बार ऐसा तो होगा नहीं। पर क्या इससे आपकी और हमारी त्योहार मनाने की मंशा कम हो जाएगी। ज़रा भी नहीं…
परंपराएं तो बनती और बदलती रहती हैं। तीज पर बढ़िया से पकवान बनाइए, अपने फेवरेट रंग के कपड़े पहनिए, थोड़ा सज-संवर लीजिए, अपनों के साथ बैठकर पुरानी तीज की यादें ताज़ा कीजिए और झूले झूलना बिलकुल मत भूलिएगा।
संजने-संवरने से याद आया कि मेंहदी तो ज़रूर लगा ही लें क्योंकि त्योहार का मज़ा भी तब है जब उससे जुड़ी छोटी-छोटी चीज़ें की जाएं। मेहंदी तीज का रंग है इसे अपने हाथों पर सुंदर-सुंदर डिज़ाइन बनाना मत भूलिएगा। मेहंदी हमारी संस्कृति में सुहागन महिलाओं के सोलह सिंगार हिस्सा मानी जाती है।
मुझे पता है आपने लॉकडाउन में कम से कम एक डिश तो बनानी सीख ही ली होगी। बाहर ना खा पाने की वजह से घर में ही गोलगप्पे, जलेबी, उपमा या केक वगैरह बनाया होगा। हरियाली तीज पर भी ऐसे ही कुछ पकवान बनाने ज़रूर ट्राइ कीजिए। हर त्योहार का अपनी एक मिठाई होती है, जैसे होली की गुजिया, दीवाली के ड्राई फ्रूट्स, दशहरे की जलेबी…..बस….बस लिखते-लिखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया है।
ख़ैर बात है हरियाली तीज की तो बताते हैं आपको कि हरियाली तीज पर आप क्या-क्या बना सकते हैं। सबसे पहला नंबर आता है घेवर और फिरनी का। बढ़िया शुद्ध देसी घी मैदा, शक्कर और पिस्ता बादाम डालकर बना घेवर का स्वाद लाजवाब होता है। इसके अलावा आप केसरिया भात (चावल और शक्कर से बनने वाला व्यंजन), दाल-भाटी, शुक्तो बना सकते हैं।
इसे बनाने के लिए आपको चाहिए मैदा, घी, दूध, पानी, चीनी और घी।
घी और ठंडे दूध को मिलाकर फेंटे और उसमें छना हुए मैदा मिला लें। फिर पानी उबालिए और इन तीनों चीज़ों को उसमें फेंटते रहिए जब तक घोल चिकना ना हो जाए। फिर चाहें तो इस मिश्रण में पीला रंग मिला लें और इसे काफ़ी पतला कर लें। अब किसी बड़े बर्तन में काफी घी गरम कर लीजिए और बनाए हुए घोल को चम्मच से धीरे-धीरे भरकर थोड़ी ऊंचाई से घी में डालते चाहिए। हल्का भूरा होने तक इसे सिकने दें और फिर चाशनी में डुबाकर निकाल लीजिए। घेवर तैयार है। अगर आपका मन हो तो ऊपर थोड़ें ड्राय फ्रूट्स डालकर सजा दीजिए।
जैसे नाम वैसी ही बनाने की विधि। इस डिश को मीठे चावल भी कहा जाता है। इसके लिए आपको 10 मिनट के लिए चावल भिगोने हैं और फिर उसे पानी के साथ तेज आंच पर पकने तक रख दें। पकने के बाद चावलों को छान कर अलग कर लें और उसमें घी, चीनी मिलाएं। सब अच्छे से मिल जाए इसके लिए चावलों को फिर से 2 मिनट के लिए गैस पर रख कर हिलाएं और उतारने के बाद इसमें इलायची, केसर, काजू, नारियल या जो भी आपका मन हो वो डालकर ढंक दें। थोड़ी देर बाद आपके चावलों का रंग केसर जैसे हो जाएगा।
सत्तू भुने हुए चने और जौ को पीस कर बनाया जाता है। य़ह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद पौष्टिक होता है। इसे ना पकाने की ज़रूरत होती है और ना ही ये जल्दी खराब होता है। सत्तू के लड्डू बनाने के लिए आप सबसे पहले कड़ाही में ढेर सारा घी गर्म कर लीजिए और जब घी गर्म हो जाए तो इसमें छाना हुआ सत्तू डाल दीजिए। आपको थोड़ी देर में हल्की सी खुशबू आएगी जिसके बाद आप गैस बंद कर सकते हैं। अब इसमें काजू, बादाम और इलायची मिलाकर पूरे मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने के लिए थाली में फैला कर रख दीजिए। ढकने से पहले इसमें बूरा (चीनी का पाउडर) भी मिला लीजिएगा। कुछ ही मिनटों बाद अपने हाथों से गोल-गोल लड्डू बनाइए और सबको खिलाइए।
ये हैं तीज के कुछ गाने, कोई हरियाणवी, कोई राजस्थानी तो कोई भोजपुरी। भाषा अलग-अलग है लेकिन आनंद एक सा।
पकवान तो बनते रहेंगे लेकिन थोड़ा सा ब्रेक ले लेते हैं और रूख़ करते हैं हरियाली तीज के गानों की ओर। कोई भी खुशी का मौका बिना गाने-बजाने और डांस के बिना अधूरा सा होता है। हरतालिका तीज के मौके पर भी अपने परिजनों के साथ ख़ूब मस्ती कीजिए। भजन सुनिए या कोई फिल्मी गीत, जमकर नाचिए और सावन की तीज का आनंद उठाइए।
“मेरी बहना बोली कोयलिया काली, आए सै तीज हरियाली” हरियाणवी गाना है जिसमें महिलाएं झूले लेते हुए तीज का आनंद ले रही हैं।
“सावन री तीज आई रे बंधुड़ा” राजस्थानी फॉक सॉन्ग है। इसका संगीत बहुत ही मधुर है।
भोजपुरी गाना “साथ मेरा होले सातों जनम के, भोले बाबा रखिहा सिंदुरा वा की लाज” बहुत ही लोकप्रिय गाना है जो बिहार में तीज की संस्कृति को दर्शाता है
चावलों को 2-3 घंटे पानी में भिगाएं और इसका पानी निकालकर दरदरा पीस लें। एक गहरे बर्तन में चावल का पेस्ट, दूध, चीनी, केसर और इलायची डालकर गैस पर मीडियम आंच पर तब तक हिलाकर पकातें रहें जब तक ये मिश्रण अच्छे से पक नहीं जाता। अब दूध में बादाम, पिस्ता, काजू, किशमिश डालकर मिलाएं और गैस बंद कर दें। दूध में मैंगो पल्प डालकर चलाएं और इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दीजिए। जब मैंगे फिरनी अच्छी तरह ठंडी हो जाए तो इसे बचे हुए बादाम, पिस्ता और किशमिश से गार्निश करके सभी के लिए परोसें।
बहुत मीठा-मीठा हो गया है इसलिए सोचा अब थोड़ा नमकीन हो जाए। इसके लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में मैदा, घी, अजवायन, बेकिंग पाउडर को अच्छी तरह मिला लें। अब इस मिश्रण में धीरे -धीरे पानी या दूध की सहायता से टाइट आटा गूंथ ले और 10 मिनट के लिए सेट होने अलग ढक कर रख दें। एक कड़ाई में तेल गरम होने रख दें और साथ ही गूंथे हुए आटे की छोटी लोई ले कर मठरी के आकार की बेल लें। मठरियों को चाकू से कोई भी आकार देकर काट लीजिए और फिर कड़ाई में तल लीजिए। खस्ता कुरकुरी मठरी एकदम तैयार है। इसे आप चाय के साथ या आचार के साथ खा सकते हैं।
हर त्योहार अपने साथ नई उमंग और उत्साह लेकर आता है। राजस्थान में एक कहावत है, ‘तीज, तीवरां बावड़ी, ले डूबी गणगौर’, यानि तीज से शुरू होने वाली त्योहारों की झड़ी गणगौर के विसर्जन कर चलती है। सीधे शब्दों में सारे बड़े-बड़े त्योहार तीज के बाद ही आते हैं। चाहे रक्षाबंधन हो, जन्माष्टमी, नवरात्र, दशहरा या दीवाली। त्योहारों की इन सौगात को संजो कर रखिए और खुश रहिए। चलिए फिर ज्यादा वक्त नहीं है…तीज की तैयारी भी तो करनी है।
अच्छा हां जाते-जाते एक ख़बर बता दूं कि इस बार ऑनलाइन तीज भी मनाई जा रही है। कोरोना के काले बदरा छाएं हैं तो दिल्ली में जगह-जगह पर महिलाओं ने ये फ़ैसला लिया है कि इस बार वो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के सहारे तीज मनाएंगी। महिलाएं वीडियो कॉल से माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ेगी और गीत-संगीत का प्रोग्राम करेंगी। आइडिया तो अच्छा है। आप भी ट्राई कर सकती हैं। जब ‘वर्क फ्रॉम होम’ हो सकता है तो ‘पर्व फ्रॉम होम’ क्यों नहीं? है ना….
मूल चित्र : Canva
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