कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कविता, मेरे दिल की आवाज़…

कभी बयान करती रहीं, दुख! तो कभी झूमती रहीं, खुशी में! और सफर जिन्दगी का, करती रहीं, आसान! खुशनुमा!

कभी बयान करती रहीं, दुख! तो कभी झूमती रहीं, खुशी में! और सफर जिन्दगी का, करती रहीं, आसान! खुशनुमा!

कविता मन का साज़,
दिल की आवाज़।
रुह का सुकून,
और जीवन का जुनून।

बन भावों से,
बहकर कलम से,
कमल सी पन्नों पर खिलती रहीं।

उन्ही पन्नों को बाँधने के प्रयास में,
कविताएँ मेरी बहती रहीं।

कभी बयान करती रहीं, दुख।
तो कभी झूमती रहीं, खुशी में,
और सफर जिन्दगी का, करती रहीं,
आसान! खुशनुमा!

मूल चित्र: Canva

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Dr .Pragya kaushik

Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger ,Media Literacy and Digital Safety Mentor. read more...

16 Posts | 44,831 Views
All Categories