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बचपन में, अक्सर मैं सोचती, मैं आफिस जाऊंगी? या खाना पकाऊगीं? तय किया, आफिस जाऊंगी! तो बस, वहां जाती हूं, लेकिन...कुछ ऐसा भी करती हूँ...
बचपन में, अक्सर मैं सोचती, मैं आफिस जाऊंगी? या खाना पकाऊगीं? तय किया, आफिस जाऊंगी! तो बस, वहां जाती हूं, लेकिन…कुछ ऐसा भी करती हूँ…
बचपन में,मां को खाना पकाता देखकर,पिता को आफिस जाता देखकर,अक्सर मैं सोचती ,मैं आफिस जाऊंगी ?या खाना पकाऊगीं ?तय किया, आफिस जाऊंगी !तो बस, वहां जाती हूं,लेकिन, आकर खाना भी पकाती हूं !
मां को पैसे बचाते देखकर,पिता को पैसे कमाते देखकर,अक्सर मैं सोचती,मैं पैसा कमाऊंगी ?या पैसा बचाऊंगी ?तो बस, पैसा कमाती हूं,अपनी जरूरतों का मन मारकरपैसा भी बचाती हूं!
मूल चित्र : Canva
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