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फेयर से तो हम आगे बढ़ गए, लेकिन लड़की हमें अभी भी लवली चाहिए…

संस्कारों का, यूँ कहिए कि एडिटिंग का डर है, वरना शुद्ध हिंदी में कुछ परोसने को जी चाहता  उनको, जो 'फेयर' मतलब 'ग्लो' के आगे नहीं सोच पाते।

संस्कारों का, यूँ कहिए कि एडिटिंग का डर है, वरना शुद्ध हिंदी में कुछ परोसने को जी चाहता  उनको, जो ‘फेयर’ मतलब ‘ग्लो’ के आगे नहीं सोच पाते।

फेयर एंड लवली ने अपने नाम में से फेयर हटा लिया। खबर पुरानी है काफी कुछ लिखा जा चुका है पर बहुत रोकने पर भी उदगार उतर गए स्क्रीन नुमा पन्ने पर।

ये जॉर्ज फ्लॉएड के मर्डर के बाद किया या मात्र औरतों के बेफिजूल से होने वाले ‘सम्मान के ठेस’, की वजह से लिया फैसला था, ये तो ठीक-ठीक नहीं पता लेकिन ये बहस का मुद्दा बना।

अरे! भारत क्यों पूछेगा ‘फेयर एंड लवली’ से कुछ भी? हर सवाल के लिए भारत के पास वक़्त नहीं, वो भी जब बात औरतों की हो।

ये तो बस सोशल मीडिया, आपका हमारा, सबका अपना अपना चैनल और उसके ढेरों रिपोर्टर! और मुद्दा बना सकारात्मक बहस का। लोगों को तसल्ली हुई कि हम प्रगति के पथ पर हैं। समाज बरसों पुरानी दकियानूसी सोच से आगे बढ़ रहा है, और भी न जाने क्या क्या। और क्या पता हो ही रहा हो!

हो सकता है अब चाचियां, मामियां, मौसी, जीजा, फूफा, काका और तमाम रिश्ते, लड़की में मीनमेख निकालने में रंग को नज़रंदाज़ करते हों।

“लड़की का रंग ज़रा दबा है”,

“ज़रा पक्का सा रंग है लाली का”,

“ए जीजी चिरौंजी का उबटन काहे न लगाय दिहो’,

“शी हैज़ अ बिट डार्क कॉम्पलेक्शन!”

अब शायद ऐसा सुनने को न मिले!

फेयर एंड  लवली से फेयर हटा दिया है और अब हम बन गए है नई पैकेजिंग में बरसों पुरानी सोच लिए नए भारत की नई क्रीम ‘ग्लो एंड लवली! टिंग टिंग टिटिंग।

संस्कारों का, यूँ कहिए कि एडिटिंग का डर है वरना शुद्ध हिंदी में कुछ परोसने को जी चाहता  उनको, जो ‘फेयर’ मतलब ‘ग्लो’ के आगे नहीं सोच पाते।

हाँ नही तो! आखिर औरत हो, नारी हो, प्रकृति हो, तुम्हारा तो सर्जन ही इस जग की हर तकलीफ को अपने अंदर समाहित करने के लिए हुआ है। भाग्य ही भोग्या का है!

तो भोगो! फेयर हटा दिया पर लवली तो आपको होना ही पड़ेगा।

लड़की के तमाम गुण-दोष सब आंकने पूरा परिवार जाएगा

कल ही एक उम्र के काफी छोटी सखी ने कहा, “मां पापा शादी के लिए लड़का खोज रहे हैं और मुझे वज़न कम करना है। कहा गया है। क्या करूँ जुम्बा या एरोबिक?”

और साथ ही ये सवाल भी कि, हमें क्यों तौल जाता है ऐसे? इस तौल में अचानक गोश्त बाजार की बू आयी। जिस्म के वज़न की कीमत!

किसी भी वैवाहिक कॉलम में देख लीजिये, गोरी स्लिम ,सुंदर सुशील गृहकार्य में दक्ष पढ़ी लिखी कन्या कि तलाश है। लड़का सम्भान्त परिवार का, स्मार्ट, 6 अंको में कमाता है!

मतलब लड़के का परिवार और आय ज़रूरी है। और लड़की के तमाम गुण दोष सब आंकने पूरा परिवार जाएगा।

अब लड़की लवली तो होनी ही चहिये –

लवली देह

“न रंग नहीं, बस आकार, 36,26,36”

“कौन चक्की का आटा खियाये हो! अरे ससुराल वाले देख कर ही डर जइहें।”

“बेबस यू नीड तो लूज़ सम वेट!”

“शादी में दिक्कत आएगी ज़रा लड़की को कहिए वाक पर जाया करे।”

“डाइट फूड ट्राई कर ना!”

लवली स्वभाव

सोचने वाले दिमाग को बिदाई के चावल के साथ ही मायके में बिखेर आना, इस लवली व्यवहार की कुंजी होती है। कम बोलना, ज़रूरत न हो तो न बोलना।

ससुराल के हर कहे में हां बोलना।अगर आपके पास समाज में होने वाले किसी भी कार्य के परिपेक्ष में अपना कोई नज़रिया है तो उसे गठिया लो पल्लू की चाभी से और खोंस लो , या फिर बेसन लगा कर तल के गटक जाओ “हाँ में हाँ ” की चटनी के साथ। लवली स्वभाव में अपने नज़रिये को दोयम दर्जे पर रखना अति उत्तम गुण है।

लवली कामकाज

हाँ,अब यह थोड़ी मुश्किल होगी पर “तुम ‘हे नारी’, तुम हर असाध्य को साध्य कर लोगी!”

तो सुबह सवेरे की चाय से ले कर रात के भोजन तक (अन्नपूर्णा हो न )अपना गुण दिखाओ ,सरस्वती की आराधना की थी मायके में तो अब लक्ष्मी भी घर तक लाओ अर्थात कमाओ। कामकाजी आज की महिला बनो। अपने पैरों पर खड़ी रहो और कंधे से कंधा मिला कर चलो।

अब इस चलने में ये जो ज़रा से घर के काम है या मातृत्व का वरदान है अथवा रिश्तों के तमाम दांव पेंच है उन्हें सर माथे ही रखो। (‘जननी सर्वोपरि ‘याद है न ?) और इससे पहले की गलती से किसी उलझन में तुम्हारी ज़बान खुलने की कोशिश करे तो शहहह! लवली स्वभाव की सूचि याद करो।

तो जनाब कुल मिला कर लवली होने के लिए ग्लो का खोना लाज़मी है इसलिए ‘फेयर एंड लवली’ न सही ‘ग्लो एंड लवली’ की बिक्री होती रहेगी तब तक जब तक ‘सुंदर सुशील गोरी कन्या’ की तलाश नहीं रूकती।

तब तक जब तक सोशल मिडिया से ले कर बड़े परदे तक मुख्य भूमिका में नायिका गोरी हो और अगर रंग दबा है तो समाज की सतायी और हक़ के लिए कदम कदम पर जंग लड़ती।

ये क्रीम तब तक बिकेगी जब तक औरत ज़िन्दगी में हंसती मुस्कराती फेयर /ग्लो एंड लवली की बजाय हैप्पी एंड इंडिपेंडेंट नहीं हो जाती !

मूल चित्र : Canva 

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Sarita Nirjhra

Founder KalaManthan "An Art Platform" An Equalist. Proud woman. Love to dwell upon the layers within one statement. Poetess || Writer || Entrepreneur read more...

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